Lok sabha election 2019 : पश्चिम से बही चुनावी हवा अब बनी पुरवइया

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ लोकसभा चुनाव का चक्रवात मध्यम रफ्तार के साथ अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में दाखिल होने जा रहा है। पुरवइया की इस जद में देश और प्रदेश के बड़े-बड़े क्षत्रप मुकाबिल हैं।

Update: 2019-05-09 13:03 GMT

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ लोकसभा चुनाव का चक्रवात मध्यम रफ्तार के साथ अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में दाखिल होने जा रहा है। पुरवइया की इस जद में देश और प्रदेश के बड़े-बड़े क्षत्रप मुकाबिल हैं। इन दो चरणों से सत्ता की हवा किसकी तरफ जा रही है इस बात का फैसला होने के साथ ही यह भी पता लगेगा कि इस चुनावी पुरवइया की बयार में किस दल के तम्बू गड़े रहेंगे और किसके उखड़ेंगे। पूर्वांचल में भाजपा की प्रतिष्ठा फंसी हुई है क्योंकि इसी क्षेत्र में पीएम मोदी सहित कई दिग्गज चुनाव मैदान में उतरे हैं।

पूर्वांचल में इस बार के चुनाव में महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, आजमगढ़, बलिया, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और राबट्र्सगंज से सपा और डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, देवरिया, बांसगांव, लालगंज, घोसी, सलेमपुर, जौनपुर, मछलीशहर, गाजीपुर, भदोही से बसपा ने अपना उम्मीदवार उतारा है।

 

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छठे चरण में अखिलेश यादव, मेनका गांधी, संजय सिंह व रीता बहुगुणा जोशी की किस्मत का फैसला होगा वहीं सातवें में नरेन्द्र मोदी, मनोज सिन्हा, डॉ. रमापति राम त्रिपाठी, महेन्द्रनाथ पाण्डेय तथा वीरेन्द्र सिंह मस्त आदि धुरधंरों की किस्मत तय होगी। पूर्वांचल में 2014 के चुनाव में आजमगढ़ छोडक़र सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया था पर 5 साल बाद हो रहे लोकसभा के चुनावी परिदृश्य में अब बड़ा अंतर आ गया है। तब भाजपा कांग्रेस से सत्ता छीनने के प्रयास में थी पर इस बार वह सत्ता दोबारा पाने के प्रयास में है। तब प्रदेश में सपा की सरकार होने के कारण भाजपा को विपक्ष में होने का लाभ मिला था पर अब सपा सत्ता से बाहर है। इसके अलावा सपा को सहयोगी के रूप में उसे बसपा का भी साथ मिल चुका है।

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छोटे दलों की होगी परीक्षा

पूर्वांचल में होने वाले चुनाव की खास बात यह है कि इन आखिरी चरणों के चुनाव में छोटे दल जिन्हें अपनी जाति पर भरोसा है, को अपनी ताकत दिखानी होगी। प्रदेश में राजभर, कुर्मी, निषाद व कुशवाहा ऐसी जातियां है जो किसी की भी प्रत्याशी की किस्मत बना सकती है तो उसकी किस्मत बिगाडऩे की भी ताकत रखती हैं।

खास कर अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल को कुर्मी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर को राजभर, निषाद दल के संजय निषाद तथा जन अधिकार पार्टी के बाबू सिंह कुशवाहा को कुशवाहा जाति के वोटों का गुमान है। जन अधिकार पार्टी इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी है तो अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल 2014 की तरह एक बार फिर भाजपा को सत्ता दिलाने के लिए पूर्वांचल में कुर्मी प्रभाव वाले क्षेत्रों में खूब मेहनत कर रही हैं।

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पता लगेगी राजभर की ताकत

यूपी सरकार में भाजपा की सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी लगातार दो साल से भाजपा से नाराज चल रही है। यही कारण है कि उसने अलग होकर खुद की पार्टी के 31 उम्मीदवार उतारकर भाजपा को पूर्वांचल में परेशान कर रखा है। पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की ताकत का अंदाजा इन्हीं चरणों के चुनाव में हो पाएगा।निषाद दल के अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद ने योगी आदित्यनाथ की परंपरागत संसदीय सीट गोरखपुर में उपचुनाव में विजय हासिल की थी।

तब निषाद दल ने सपा-बसपा के सहयोग से चुनाव जीता था, लेकिन अब डॉ. संजय निषाद भाजपा का सहयोग कर रहे हैं। इस दल का निषाद, केवट व बिंद जाति पर अच्छा खासा असर है। अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को भाजपा ने दो सीटें दी हैं। इस बार मिर्जापुर और राबट्र्सगंज सीट अपना दल (एस) के खाते में आई हैं। इन्हें जीतना और पूर्वांचल की दूसरी सीटें जितवाना अनुप्रिया के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।

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अनुप्रिया के सामने चुनौती

पिछले चुनाव में भाजपा ने अपना दल (एस)को मिर्जापुर और प्रतापगढ़ की सीट दी थी जिसमें मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल और प्रतापगढ़ हरबंश सिंह चुनाव जीते थे। अब इन चरणों के चुनाव में अनुप्रिया पटेल के लिए पूर्वांचल में कुर्मी वोटों को अपने पाले में करने की बड़ी चुनौती है। अपना दल (एस) का असर इलाहाबाद से आजमगढ़ तक अलग-अलग हिस्से में है। उनके सामने कांग्रेस के ललितेश त्रिपाठी और गठबंधन के रामचरित निषाद से जबर्दस्त टक्कर है। अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल को पिछले चुनाव में 4.36 लाख वोट मिले थे। बसपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर थी मगर इस बार गठबंधन प्रत्याशी उनके सामने चुनाव मैदान में है।

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वाराणसी-आजमगढ़ पर सबकी नजर

पूर्वांचल की सीटों की बात की जाए तो आजमगढ़ छोडक़र सभी सीट भाजपा के पास है, लेकिन इस बार वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़ और इलाहाबाद पर सबकी नजर है। पिछले चुनाव में वाराणसी से चुनाव जीतकर मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। तब उन्होंने अरविंद केजरीवाल को 3. 71 लाख वोटों से हराया था। इस बार मोदी के लिए जीत-हार मायने नहीं रखती बल्कि जीत का अंतर बढ़ाना उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण है। इसी तरह गोरखपुर सीट पर हुए उपचुनाव में हार की कसक पूरे भाजपा परिवार को अब तक है। वहां से रविकिशन तो केवल प्रतीकात्मक प्रत्याशी है बल्कि सीट पर भाजपा का फिर से कब्जा होना पार्टी और खास तौर पर मुख्यमंत्री योगी के लिए बेहद जरूरी है।

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पूर्वांचल की ही एक और सीट आजमगढ़ सत्ता और विपक्ष के बीच नाक की लड़ाई बन चुकी है। मुलायम सिंह यादव की जगह उनके पुत्र और महागठबंधन के सूत्रधार अखिलेश यादव चुनाव मैदान में है। इस चुनाव में इस बार न तो उनके चाचा शिवपाल साथ में है और न ही मुलायम सिंह एड़ी चोटी का जोर लगाने के लिए इस क्षेत्र का दौरा कर रहे है। उनके पास एकमात्र सहारा है तो केवल बसपा सुप्रीमो मायावती का। जिनके दलित वोटों के सहारे अखिलेश यादव की चुनावी नैया पार हो सकती है।

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भाजपा ने अखिलेश यादव को संसद जाने से रोकने के लिए भोजपुरी फिल्मों के ‘अमिताभ बच्चन’ दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव में उतारा है। लोकसभा के पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 3.40 लाख वोट मिले थे जबकि भाजपा के रमाकांत यादव को 2.72 लाख और बसपा को 2.66 लाख मत मिले थे। बेहद कड़े मुकाबले में मुलायम सिंह यादव 63,204 मतों से विजयी हुए थे वह भी तब जब उनके पुत्र अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और और उन्होंने प्रदेश में खूब विकास कार्य करवाए गए थे।

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गाजीपुर में कड़ा मुकाबला

इलाहाबाद में इस बार अपने गृहनगर से भाजपा ने प्रदेश की कैबिनेट मंत्री डॉ.रीता बहुगुणा जोशी को चुनाव मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए योगेश शुक्ला से है जबकि अम्बेडकरनगर में योगी सरकार में सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा का मुकाबला बसपा के विधायक और पूर्व सांसद राकेश पांडेय के पुत्र रितेश पांडेय से है। यहां कांग्रेस के उम्मेद सिंह का पर्चा खारिज हो चुका है। पूर्वांचल में एक और हाई प्रोफाइल सीट गाजीपुर में जोरदार मुकाबला है जिसमेंकेंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का मुकाबला गठबंधन के अफजाल अंसारी से है जो मुख्तार अंसारी के भाई हैं। पिछले चुनाव में सपा की शिवकन्या कुशवाहा ने मनोज सिन्हा को कड़ी टक्कर दी थी। वह मात्र 32 हजार वोटों से जीते थे।

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प्रतापगढ़ की सीट पर राजा भैया के करीबी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जनसत्ता पार्टी के उम्मीदवार हैं। यहां गठबंधन के तहत बसपा प्रत्याशी अशोक त्रिपाठी, कांग्रेस की राजकुमार रत्नासिंह और भाजपा के संगमलाल गुप्ता के बीच कड़ा मुकाबला है। इस बार के चुनाव में रत्ना सिंह राजपूत, मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाताओं के सहारे जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं। अक्षय प्रताप से ज्यादा राजा भैया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। बसपा के अशोक त्रिपाठी ब्राह्मण, दलित और यादव मतों के सहारे जंग जीतना चाहते हैं जबकि भाजपा के उम्मीदवार संगमलाल गुप्ता को केवल मोदी के जादू का ही भरोसा है।

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बेटे की सीट पर इस बार मां प्रत्याशी

आखिरी चरणों के चुनाव में एक और हाई प्रोफाइल सीट सुल्तानपुर की है जहां गांधी परिवार की बहू और भाजपा की कद्दावर महिला नेता मेनका गांधी चुनाव मैदान में हैं। पहले यह सीट उनके पुत्र वरुण गांधी के हाथ में थी। वह पिछला चुनाव इसी सीट से जीते थे। सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा से वरुण गांधी की जगह उनकी मां मेनका गांधी चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस से डॉ.संजय सिंह और बसपा से चंद्रभद्र सिंह हैं। पिछले चुनाव में वरुण गांधी इस सीट पर करीब 4 लाख 10 हजार वोट हासिल कर सांसद बने थे। हालांकि उस समय सपा और बसपा अलग-अलग चुनावी मैदान में थे। इस बार के हालात बदले नजर आ रहे हैं। इस बार सपा-बसपा साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं। 2014 में इन दोनों पार्टियों के वोट मिला दें तो भाजपा से करीब 50 हजार से ज्यादा होता है। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट बरकरार रखना बड़ी चुनौती होगी।

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संतकबीर नगर में त्रिकोणीय मुकाबला

संतकबीर नगर सीट पर भाजपा ने जूता कांड के बाद अपने मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर सपा से आए प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा है। बसपा ने यहां बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी और कांग्रेस ने भालचंद्र यादव को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है। इस इलाके के यादव समुदाय के बीच भालचंद्र की मजबूत पकड़ मानी जाती है। बसपा दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण मतों के सहारे जीत की उम्मीद लगाए हुए है, लेकिन भालचंद्र ने आखिर वक्त में कांग्रेस के टिकट पर उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। देवरिया में ज्यादा उम्र के कारण कलराज मिश्र का टिकट काटकर भाजपा ने इस बार डा रमापति रामत्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है।

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डॉ.रमापति राम त्रिपाठी का मुकाबला कांग्रेस के नियाजअहमद और महागठबंधन के विनोद जायसवाल से है।छठवें चरण में महत्वपूर्ण मुकाबले में डुमरियागंज में भाजपा के जगदम्बिका पाल के सामने गठबंधन के आफताब आलम और कांग्रेस के चंद्रेश उपाध्याय हैं।

इसी तरह बस्ती में भाजपा के हरीश द्विवेदी, गठबंधन के राम प्रसाद चौधरी तथा कांग्रेस के राजकिशोर सिंह के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। जबकि श्रावस्ती में भाजपा के दद्दन मिश्रा और कांग्रेस के धीरेन्द्र सिंह के अलावा गठबंधन के राम शिरोमणि वर्मा भी मुकाबले में है।

भाजपा के लिए महत्वपूर्ण एक और सीट मछलीशहर में प्रत्याशी बीपी सरोज का मुकाबला गठबंधन के टी.राम तथा कांग्रेसजनाधिकार पार्टी के अमरनाथ पासवान से हो रहा है। लालगंज में भाजपा सांसद नीलम सोनकर एक बार फिर मैदान में है। उनके सामने गठबंधन प्रत्याशी संगीता आजाद तथा कांग्रेस के पंकज मोहन के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होरहा है। जबकि जौनपुर में भाजपा के केपी सिंह का कांग्रेस देवव्रत मिश्र तथा गठबंधन के श्याम सिंह यादव के बीच जोर आजमाइश चल रही है।

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कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला

सातवें चरण में वाराणसी में भाजपा के नरेंद्र मोदी का मुकाबला कांग्रेस के अजय राय और सपा-बसपा गठबंधन की शालिनी यादव से है। जबकि चंदौली में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय के सामने कांग्रेस की शिवकन्या कुशवाहा और गठबंधन डॉ संजय चौहान हैं। इसी तरह महराजगंज में भाजपा के पंकज चौधरी गठबंधन अखिलेश सिंह और कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत्र से मुकाबला कर रहे हैं। अन्य दिलचस्प मुकाबलों में कुशीनगर से कांग्रेस के आरपीएन सिंह के सामने भाजपा के विजय दुबे, बलिया में भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त के सामने गठबंधन के सनातन पांडेय, बांसगांव से भाजपा के कमलेश पासवान और गठबंधन के सदल प्रसाद,घोसी में भाजपा के हरि नारायण राजभर और कांग्रेस के बालकृष्ष्ण चौहान, सलेमपुर में भाजपा के रवींद्र कुशवाहा और कांग्रेस के डॉ राजेश मिश्रा तथा रॉबटट्र्सगंज में सपा के भाईलाल कोल अपना दल (एस) के पकौड़ी लाल कोल के बीच जबरदस्त मुकाबला होने की उम्मीद है।

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