मुंबई: एक संगीतकार के रुप में राजेश रोशन किसी परिचय के मोहताज नहीं है, लेकिन शुरू में उनकी इच्छा संगीतकार बनने की नहीं थी बल्कि वे सरकारी नौकरी करना चाहते थे। उनका जन्म 24 मई 1955 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता रोशन बॉलीवुड के फेमस डायरेक्टर और म्यूजिशियन थे। घर में संगीत का माहौल होने के बावजूद उनकी संगीत में कोई रूचि नहीं थी। उनका मानना था संगीतकार बनने से अच्छा है कि 10 से 5 बजे तक की सरकारी नौकरी की जाए जिससे उनका जीवन सुरक्षित रहेगा।
ऐसे बने म्यूजिशियन
राजेश रोशन के पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां संगीतकार फैयाज अहमद खान से संगीत की तालीम लेने लगीं। उनके साथ वह भी वहां जाया करते थे। फिर धीरे-धीरे उनकी रुचि भी संगीत में हो गई और वो भी फैयाज खान से संगीत की तालीम लेने लगे।
70 के दशक में राजेश रोशन संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के एसिस्टेंट के तौर पर काम करने लगे। उन्होंने लगभग 5 साल तक उनके साथ काम किया। राजेश रोशन ने म्यूजिक डायरेक्टर के रुप में फिल्मी करियर की शुरूआत साल 1974 में महमूद की फिल्म कुंवारा बाप से की, लेकिन फिल्म सफल रहीं।
पहली बार अमिताभ से गाना गवाया
राजेश रोशन की किस्मत का सितारा 1975 में दिखाई फिल्म जूली से चमका है । इस फिल्म में 'दिल क्या करे जब किसी कोट, 'माई हार्ट इज बीटिंग, ये रातें नई पुरानी और जूली आई लव यू, जैसे गाने बहुत लोकप्रिय हुए। इस फिल्म और संगीत की सफलता के बाद बतौर संगीतकार वो पहचान बनाने में कामयाब हो गए।
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मिस्टर नटवरलाल राजेश रोशन के साथ ही सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के करियर के लिए भी महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। इस फिल्म से पहले अमिताभ बच्चन ने फिल्मों के लिए कोई गाना नहीं गाया था।
ये राजेश रोशन ही थे जिन्होंने अमिताभ बच्चन की गायकी पर भरोसा जताते हुए उनसे फिल्म में 'मेरे पास आओ मेरे दोस्तों' गाना गाने को कहा। ये गाना आज भी लोकप्रिय है।
लगभग 4 साल तक मायानगरी मुंबई में संघर्ष करने के बाद राजेश रोशन को 1979 में अमिताभ बच्चन की फिल्म मिस्टर नटवरलाल में संगीत देने का मौका मिला। इस फिल्म में उनका गीत 'परदेसिया ये सच है पिया' बहुत पसंद किया गया। इस फिल्म के संगीत की सफलता के बाद राजेश रोशन का सितारा चमक उठा।
ऋतिक से मिलता है मार्गदर्शन
राजेश रोशन हिंदी फिल्म संगीत के क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम है। अनेक हिट गानों की धुन राजेश ने ही बनाई है। फिर भी जमीन से जुड़े राजेश इसका श्रेय अपने भतीजे ऋतिक को देते है। कहने का मतलब राकेश रोशन द्वारा बनाई गई फिल्मों की कामयाबी में संगीत का बहुत बड़ा योगदान है और इन सभी फिल्मों को राजेश ने ही संगीत दिया है। राजेश का कहना है कि आयटम सांग बनाना कभी भी उनकी संगीत देने की शैली का हिस्सा नहीं रहा है, लेकिन ऋतिक हमेशा उनका इस काम में हेल्प करते है कि आज का युवा क्या सुनना पसंद करता है। उन्होंने कहा- इस मामले में वे हमेशा उनका मार्गदर्शन करते है।
मिले कई सम्मान
राजेश रोशन अब तक दो बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं।पहली बार 1975 में आई फिल्म 'जूली' के लिए और फिर 2000 में प्रदर्शित फिल्म 'कहो ना प्यार है' के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। राजेश रोशन लगभग 125 फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन कर चुके हैं। उनके भाई राकेश रोशन और भतीजा ऋतिक रोशन भी इंडस्ट्री में जाना माना नाम है।