इस देश में राष्ट्रपति भवन की रक्षा करते हैं बाज और उल्लू, जानिए कैसे?

कौओं के मल-मूत्र से राष्ट्रपति भवन और उसके आसपास की इमारतें गंदी हो जाती हैं, फिर इनकी सफाई और अन्य रखरखाव के लिए काफी मेहनत और पैसों को खर्च करना पड़ता है, इसलिए कौए राष्ट्रपति भवन से दूर रह सके,

Update: 2019-04-25 09:10 GMT

जयपुर: किसी भी देश में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की सुरक्षा में ट्रेंड कमांडो को तैनात किया जाता है। किसी तरह की चूक न हो सके इसलिए ड्रोन कैमरे से नजर रखी जाती है। लेकिन एक ऐसा देश भी है जहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य शीर्ष लोगों की रक्षा के लिए कोई कमांडो, सिक्योरिटी गार्ड या फिर ड्रोन कैमरे नहीं, बल्कि पक्षियों को तैनात किया जाता है। इस देश के राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में बाज और उल्लू की तैनाती की जाती हैें।

ऐसा काल्पनिक नहीं, सच में रूस की जहां राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन और उसके आसपास मौजूद प्रमुख सरकारी इमारतों की सुरक्षा तो वैसे वहां का प्रशासन पुख्ता रखता है लेकिन देश के रक्षा विभाग ने इसके लिए बाज और उल्लुओं की एक टीम पाल कर रखी है। जिसे साल 1984 में बनाया गया था। मौजूदा समय में 10 से ज्यादा बाज और उल्लू इस टीम में हैं। इन बाजों और उल्लुओं को सुरक्षा के लिहाज से कुछ खास ट्रेनिंग भी जाती है जिससे की ये सुरक्षा में किसी तरह की कमी न रखें। कौओं से राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा के लिए इन बाजों और उल्लुओं की तैनाती की गई है।

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दरअसल, कौओं के मल-मूत्र से राष्ट्रपति भवन और उसके आसपास की इमारतें गंदी हो जाती हैं, फिर इनकी सफाई और अन्य रखरखाव के लिए काफी मेहनत और पैसों को खर्च करना पड़ता है, इसलिए कौए राष्ट्रपति भवन से दूर रह सके, इस कारण से भी बाज और उल्लू को यहां पर तैनात किया गया है। इन पक्षियों को इस कदर ट्रेनड किया जाता है कि ये राष्ट्रपति भवन के आसपास कौओं की आवाज सुन लें या उन्हें आसमान में मंडराते देख लें उन कौंओं की खैर नहीं। तुरंत ही उन्हें ये बाज और उल्लू झपट पड़ते हैं और उन्हें दूर भगा देते हैं या मार ही डालते हैं।

क्रेमलिन और उसके आसपास की इमारतों की देखरेख करने वाले पावेल माल्कोव का कहना है कि सोवियत संघ के शुरुआती दौर में इन इमारतों की सुरक्षा के लिए कौओं को मार गिराने वाले गार्ड रखे गए थे। साथ ही उन्हें डराने के लिए शिकारी परिदों की रिकॉर्डेड आवाज का भी इस्तेमाल किया गया था, लेकिन ये सारे तरीके फेल साबित हुए थे। इन परिंदों को अब एक और खास तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि अगर कोई छोटा ड्रोन भी राष्ट्रपति भवन के आसपास दिखाई दे तो वो उससे भी निपट सकें।

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