होगा धरती का विनाश: आग की बारिश से राख होंगे लोग, वैज्ञानिकों की भी हालत खराब

अमेरिका के रिसर्चर्स ने नए स्टैटिस्टिकल एनालिसिस के तहत यह पाया है कि पूरे जीवन को नष्ट कर देने वाले धूमकेतुओं की बारिश हर 2.6 से 3 करोड़ साल में होती है। ये तब होता है जब वे गैलेक्सी से होकर गुजरते हैं।

Update: 2021-01-18 08:58 GMT
होगा धरती का विनाश: आग की बारिश से राख होंगे लोग, वैज्ञानिकों की भी हालत खराब

नई दिल्ली: वो कैसा मंजर होगा जब पृथ्वी पर प्रलय आएगा, सोचकर कर देखिए। हमने फिल्मों और कहानियों में प्रलय के बारे में देखा और सुना ही होगा। कहा जाता है कि पृथ्वी पर विनाशकारी प्रलय हर 2.7 करोड़ साल बाद आता है। कुछ एक्सपर्ट तो ये भी कहते है कि आखिरी बार प्रलय 6.6 करोड़ साल पहले आया था, उस दौरान पृथ्वी पर शायद एस्टरॉइड या धूमकेतु के गिरे, जिसके कारण डायनोसॉर (Dinosaurs) विलुप्त हो गए थे। वहीं ये भी कहा जाता है कि प्रलय के समय आकाश से आग के गोले गिरेगें। चलिए जानते है क्या है इसके पीछे का राज...

धूमकेतुओं की बारिश

अमेरिका के रिसर्चर्स ने नए स्टैटिस्टिकल एनालिसिस के तहत यह पाया है कि पूरे जीवन को नष्ट कर देने वाले धूमकेतुओं की बारिश हर 2.6 से 3 करोड़ साल में होती है। ये तब होता है जब वे गैलेक्सी से होकर गुजरते हैं। यह प्रलय कम से कम 3 करोड़ साल पीछे है। कहा जाता है कि गैलेक्सी से होकर गुजरने वाले ये धूमकेतु अगर गलती से भी धरती से टकराते हैं तो पूरी दुनिया में अंधेरा छा जाएगा। वहीं जंगलों में आग, एसिड की बारिश होगी। साथ ही ओजोन परत का भी खतमा हो जाएगा। मनुष्य से लेकर सभी जीव भी नष्ट हो जाएंगे।

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धरती से निकला था लावा

कुछ वैज्ञानिकों यह भी कहते है, “अभी तक जमीन और पानी पर एक साथ विनाश तब हुए थे, जब धरती के अंदर से लावा निकलकर बाहर आ गया था।” वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि गैलेक्सी में जिस तरीके से पृथ्वी चक्कर लगाती है, उससे खतरा भी तय होता है।“

प्रोफेसर माइकल रैम्पीनो ने किया खुलासा

पृथ्वी पर होने वाले प्रलय के की चर्चा को लेकर न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल रैम्पीनो का कहना है, “ऐसा लगता है कि बड़े ऑब्जेक्ट और धरती के अंदर होने वाली ऐक्टिविटी (जिससे लावा निकल सकता है) यह 2.7 करोड़ साल के अंतर पर विनाशकारी घटनाओं के साथ हो सकता है।” इतना ही उन्होंने ऐसी घटना के बारे में जानकारी साझा करते हुए बताया, “पहले भी तीन ऐसी विनाशकारी घटनाएं हो चुकी हैं। ये सभी वैश्विक स्तर पर आपदा और सामूहिक विनाश का कारण बनने की क्षमता रखती थी।”

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