Incredible Village Longwa: ऐसा गांव जहां किचन म्यांमार में और बेडरूम भारत में
Incredible Village Longwa: इस गांव में मुख्यत: कोन्याक आदिवासी रहते हैं।किसी ज़माने में इन आदिवासियों को "हेड हंटर" भी कहा जाता था ।
Incredible Village Longwa: भारत में एक ऐसा गांव भी है जिसका आधा हिस्सा भारत में पड़ता है, तो आधा म्यांमार में है। ये गांव है नागालैंड में जिसका नाम है लोंगवा।नागालैंड के मोन जिले में स्थित लोंगवा को लोग पूर्वी छोर का आखिरी गांव भी कहते हैं। लोंगवा गांव नागालैंड की राजधानी कोहिमा से 380 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस गांव में मुख्यत: कोन्याक आदिवासी रहते हैं।किसी ज़माने में इन आदिवासियों को "हेड हंटर" भी कहा जाता था क्योंकि कबीलों की लड़ाई में योद्धा दुश्मनों के सिर काट दिया करते थे। 1940 में ही हेड हंटिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। माना जाता है कि 1969 के बाद हेड हंटिंग की घटना इन आदिवासियों के गांव में नहीं हुई। गाँव में कई परिवारों के पास पीतल की खोपड़ी का हार है, जिसे वे एक महत्वपूर्ण मान्यता मानते हैं। इस हार को युद्ध में जीत का प्रतीक माना जाता है।
लोंगवा गांव चूंकि ठीक सरहद पर है सो यहां के लोग भारत और म्यांमार दोनों देश के नागरिक हैं। कोन्याक आदिवासियों में मुखिया या राजा प्रथा चलती है। इस राजा को "अंग" कहा जाता है। यह राजा कई गांवों का प्रमुख होता है। उन्हें एक से ज्यादा पत्नियां रखने की छूट है। फिलहाल जो यहां का मुखिया है, उसकी 60 बीवियां हैं। भारत और म्यांमार की सीमा इस गांव के मुखिया के घर के बीच से होकर निकलती है। इसलिए कहा जाता है कि यहां का राजा खाना भारत में खाता है और सोता म्यांमार में है। मुखिया का नागालैंड के अलावा अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार के 70 से अधिक गांव में वर्चस्व स्थापित है। यानी इस गांव के मुखिया का आदेश दूर-दूर तक लागू होता है।
दो राज्यों से शिक्षा लेते हैं बच्चे
इस गांव के बच्चे प्राथमिक शिक्षा के लिए म्यांमार के स्कूल और उच्च शिक्षा के लिए भारतीय स्कूल में पढ़ते हैं। इसके अलावा लोंगवा गांव के बारे में कहा जाता है किसी किसी घर का किचन भारत में स्थित है और सोने का कमरा म्यांमार में है। यही नहीं, भारत के कुछ लोग खेती करने म्यांमार में जाते हैं तो कुछ म्यांमार से भारत में खेती करने आते हैं।लोंगवा गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोग भारतीय सेना के साथ-साथ म्यांमार की सेना में भी शामिल है। सीमा पर मौजूद होने के बाद कई लोगों के पास दोनों ही देशों में रहने का निवास स्थल है जिसके चलते सेना में शामिल होते रहते हैं।
साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार यहां 732 परिवार हैं। इनकी संख्या करीब 5132 है। नगालैंड में रहने वाली 16 आधिकारिक जनजातियों में से कोन्याक सबसे बड़ी जनजाति है। इस जनजाति के लोग तिब्बती-म्यांमारी बोली बोलते हैं, लेकिन अलग-अलग गांवों में इसमें थोड़ा-बहुत बदलाव आ जाता है। नागा और असमी मिश्रित भाषा "नगामीज" भी यहां बोली जाती है। आओलिंग मोन्यू यहां का बेहद ही खूबसूरत और रंगों से भरा दर्शनीय त्योहार है। यह त्योहार हर साल अप्रैल के पहले हफ्ते में मनाया जाता है। ये सुरम्य और प्राकृतिक छटा से भरपूर जगह अवश्य घूम कर आना चाहिए।