Interesting Facts: दो रंगों के क्यों होते हैं दवा वाले कैप्सूल, जानिए इसके पीछे का कारण...
Interesting Facts: कैप्सूल दो पार्ट में होता है इसका छोटे वाले हिस्से को कैप के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और दूसरे हिस्से को कंटेनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
Interesting Facts Capsule Color: आप सभी ने कैप्सूल को तो देखा ही होगा, दवा खाते समय आपकी नजर कैप्सूल के रंग पर तो गई होगी लेकिन क्या आपने सोचा है कभी की ये हमेशा दो कलर में क्यों होते हैं। ज्यादातर कैप्सूल एक साइड से छोटे और एक साइड से बड़े क्यों होते हैं। इसके पीछे भी छुपा है लॉजिक। बता दें कि कैप्सूल दो पार्ट में होता है इसका छोटे वाले हिस्से को कैप के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और दूसरे हिस्से को कंटेनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें दवाई रखी जाती है। फिर कैप से उसे बंद कर दिया जाता है।
रंग के पीछे छुपा है बड़ा राज
कैप्सूल बनाने वाले लोगों को कोई भी तरह की मिस अंडरस्टैंडिंग न हो कि कौनसा कैप है और कौनसा कंटेनर इसलिए कैप्सूल में दो कलर होते हैं। आपको रंग के पीछे का एक बड़ा राज बता दें तो आपको विश्वास नहीं होगा, क्योंकि इन कलर को चेंज करने के लिए कंपनी को 5 लाख एक्स्ट्रा ख़र्च करने पड़ते हैं। अगर कैप्सूल बनाने वाले पैसों को बचाने का सोचे तो डिफेक्टिव कैप्सूल किसी भी व्यक्ति के पास आ सकता है। जिसकी वजह से लोगों के साथ कोई भी हादसा हो सकता है। लेकिन इसके रंग का एक बेनिफ्ट मरीजों को भी मिलता है। वह आसानी से अपनी दवा पहचान सकते हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कैप्सूल की लेयर आखिर किस चीज़ से बनी होती है दिखने में तो वह एक प्लास्टिक की लेयर लगती है। लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है। इसे जिलेटिन और सेल्यूयोज इन दो पदार्थ से मिलकर कैप्सूल की लेयर बनती है। लेकिन कई देशों में जिलेटिन पदार्थ से जो भी कैप्सूल बनते हैं उन पर रोक लगा रखी है और भारत में केंद्रीय स्वास्थय मंत्रालय ने जिलेटिन को बंद कर सिर्फ सेल्यूयोज के कैप्सूल बनाने का आर्डर दिया है। कोई भी चीज बनाने से पहले सरकार उसकी अच्छी तरह से जांच करती है।