स्कूल बस का रंग क्यों होता है पीला..? इसके पीछे की वजह कर देगी आपको हैरान!

स्कूल बस का रंग आखिर पीला ही क्यों होता है..? सफेद नीला, लाल और हरा क्यों नहीं होता। आपको बता दें कि यह नियम सुप्रीम कोर्ट ने लागू किया है

Written By :  Anjali Soni
Update: 2022-09-20 06:46 GMT

School Bus Colour Interesting:आप लोगों ने बच्चों को स्कूल जाते हुए कई बार देखा होगा और आप भी सब स्कूल बस में तो गए होंगे लेकिन क्या आप लोगों ने कभी सोचा है कि स्कूल बस का रंग आखिर पीला ही क्यों होता है..? सफेद नीला, लाल और हरा क्यों नहीं होता। आपको बता दें कि यह नियम सुप्रीम कोर्ट ने लागू किया है अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि सरकार ने आखिर बस का रंग पीला ही क्यों चुना है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक कारण है। भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश में स्कूल बस का रंग पीला ही होता है। लेकिन इस पिले रंग के पीछे बच्चों की सेफ्टी हैं।

आखिर बस का रंग लाल क्यों नहीं होता है ?

वैज्ञानिक तौर पर देखें तो रेड कलर की सबसे ज्यादा वेवलेंथ होती है। रेड कलर दूर से ही दिख भी जाता है। और रेड कलर तो खतरे का निशान भी होता है,अब आप सोच रहे होंगे कि स्कूल बस फिर तो लाल ही होनी चाहिए थी लेकिन इसके पीछे एक बहुत बड़ा फैक्ट है रेड कलर की वेवलेंथ ज्यादा होती है लेकिन येलो कलर सबसे ज्यादा  आकर्षित करता है। और येलो कलर हम आसानी से देख लेते हैं अंधेरे में भी यह कलर हमें आसानी से नजर आ जाता है। और भी कई रीज़न है कि ये कलर स्कूल बस के लिए सेफ रहता है,ये कोहरे में भी नजर आ जाता है क्योंकि सारे स्कूल सुबह ही ओपन होते हैं और सर्दियों की सुबह तो कोहरे से भरी होती है। इसलिए वैज्ञानिक तौर पर बस पिले रंग की होती है।

स्कूल बस की शुरुआत

लंदन में सबसे पहले स्कूल बस की शुरुआत हुई थी। ये बात 1827 की है जब इस बस में कुल 25 बच्चे आ सकते थे लेकिन तब स्कूल बस का कोई एक रंग नहीं था हर कलर की बस इस्तेमाल की जाती थी। लेकिन फिर अमेरिका ने बस के पिले रंग की शुरुआत की। कार के मुकाबले बस में ट्रेवल करना ज्यादा सेफ माना जाता है क्योंकि बस की सीट इतनी ऊंची होती है कि एक्सीडेंट के टाइम वो एयर बैग की तरह ही सीट पर बैठे स्टूडेंट को चोट नहीं लगने देगी अगर बस से कार टकराती भी है तो बस के निचे हिस्से पर नुकसान होगा अंदर बैठे हुए लोग सेफ रहते है और अगर सभी लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तमाल करे तो देश में कितना प्रदूषण और एक्सीडेंट कम हो जाएंगे।

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