लखनऊ: भारत देश को कई तरह के रीति- रिवाज और परम्पराओं का देश माना जाता है यहां विभिन्न धर्मों जातियों और समुदायों के लोग रहते हैं। यहां तरह-तरह के धार्मिक स्थल है सबकी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। और उन मान्यताओ को लेकर कई लोगों के अन्दर अंधविश्वास भी है। बता दें, भारत देश में आज भी कई ऐसे गांव हैं। जहां आज भी लोग अपने पूर्वजों द्वारा बनाये गए रिवाजों का पूरी श्रद्धा से पालन करते हैं पर ये रिवाज मामूली नहीं होते बल्कि धर्म के नाम का चोला ओढ़ अन्धविश्वास का हिस्सा होते हैं।
अंधविश्वास से भरे रीति रिवाज:
बारिश लाने के लिए मेंढकों की शादी
असम और त्रिपुरा जैसी जगहों के बारे में तो सुना ही होगा जहां आज भी आदिवासी इलाकों में लोग बारिश के लिए मेंढकों की शादी कराते हैं। यहां ऐसी मान्यता है कि मेंढकों की शादी कराने से इंद्र देवता प्रसन्न होते हैं और उस साल भरपूर बारिश होती है। इसलिए यहां के लोग आज भी अच्छी बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी पूरे रस्मो रिवाजों के साथ करवाते हैं। जिससे पानी न होने के कारण हुए समस्या को दूर कर सके और भरपूर बारिश का मजा ले सके।
बच्चियों की कुत्तों से शादी
ये एक ऐसा रिवाज हैं जो की परम्परा ना कहकर कुरुति कहा जा सकता हैं, तो ज्यादा उपयुक्त होगा। इस रस्म क बारे में जान कर आपको शायद यकीन नही होगा लेकिन ये सत्य हैं। बता दें, हमारे देश के झारखंड राज्य के कई इलाकों में एक ऐसी परम्परा प्रचलित है जोकि किसी अंधविश्वास से कम नही हैं जी हां, यहां के लोग भूतों का साया और अशुभ ग्रहों का प्रभाव हटाने के लिए बच्चियों की शादी एक कुत्ते से करवा दी जाती हैं। हालाकि ये शादी सांकेतिक होती हैं, लेकिन होती हैं शादी बिल्कुल हिन्दू रीति रिवाजों के साथ की जाती हैं जिसमें पूरा समाज और करीबी रिश्तेदार भी सामिल होते हैं।
चर्म रोगों से बचने के लिए, बचे भोजन से स्नान
कर्नाटक के कुछ ग्रामीण इलाकों में स्थित मंदिरों में भोजन के बाद बचे हुए खाने पर लोटने की अजीबों ग़रीब परंपरा है। माना जाता है कि, ऐसा करने से चर्म रोग और बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। दरअसल यहां पर मंदिर के बाहर ब्राह्मणों को केले के पत्ते पर भोजन कराया जाता है। बाद में नीची जाति के लोग इस बचे हुए भोजन पर लोटते हैं। इसके बाद ये लोग कुमारधारा नदी में नहाते हैं और इस तरह यह परंपरा पूरी होती है।
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खौलते दूध से बच्चों को नहलाना
हर मां चाहती हैं कि उसका बच्चा दिखने में सुन्दर हो। वहीं उत्तरप्रदेश के वाराणसी और मिर्जापुर में कराहा पूजन की अनोखी परंपरा है। जहां बच्चा गोरा हो, इसके लिए मां अपने बच्चे की दूध और बादाम से मालिश करती है। और पिता खौलते दूध से बच्चे को स्नान करवाता है और बाद में खुद भी स्नान करता है। कहते हैं इससे भगवान प्रसन्न होकर बच्चे को अपना आशीर्वाद देते है।
चेचक से बचने के लिए छेदते हैं शरीर
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में अजीबो-गरीब परंपरा है। यहां चेचक से बचने के लिए हनुमान जयंती के मौके पर कुछ लोग शरीर को छिदवाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि इससे माता का कोप नहीं सहना पड़ेगा यानी चेचक से बच जाएंगे। शरीर को छेदने के बाद ये लोग खुशी से नाचते-गाते हैं।
गायों के पैरों से कुचलना
अगर इंसान के ऊपर कोई भरी चीज चढ़ जाये जैसे कोई जानवर या वाहन तो सोचिये इंसान बचेगा की जिंदा रहेगा, ख़ैर वो तो किस्मत की बात हैं। बता दें, भारत में मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के कुछ गावों में एक अजीब सी परम्परा का पालन सदियों से किया जा रहा है। कहते हैं दिवाली के दुसरे दिन जो कि एकादशी का पर्व कहलाता है। मान्यता ये हैं कि, इस दिन उज्जैन जिले के भिदावाद और आस पास के गाँव के लोग पहले अपनी गायों को रंगों और मेहंदी से अलग-अलग पैटर्न से सजाते हैं। उसके बाद लोग अपने गले में माला डालकर रास्ते में लेट जाते है और अंत में दौड़ती हुए गायें उन पर से गुजर जाती हैं।