WOW: लॉकडाउन में ये फैमिली कर रही लाइफ को पूरा एन्जॉय, बताया- कहा किया आइसोलेट
पूरी दुनिया में लॉकडाउन है लोग कोरोना से जूझ रहे हैं। ऐसे में दुनिया के हर कोने में सभी ने खुद को अपने घरों में कैद कर आईसोलेट किया हैं।लॉकडाउन में कई ऐसे भी लोग हैं, जो दूसरी जगहों पर जाकर फंसे हुए हैं। लेकिन ऐसे में एक अच्छी खबर है कि एक फैमिली ने लॉकडाउन में खुद को आइसोलेट करने के लिए अलग तरीका अपनाया है।
जयपुर पूरी दुनिया में लॉकडाउन है लोग कोरोना से जूझ रहे हैं। ऐसे में दुनिया के हर कोने में सभी ने खुद को अपने घरों में कैद कर आईसोलेट किया हैं।लॉकडाउन में कई ऐसे भी लोग हैं, जो दूसरी जगहों पर जाकर फंसे हुए हैं। लेकिन ऐसे में एक अच्छी खबर है कि एक फैमिली ने लॉकडाउन में खुद को आइसोलेट करने के लिए अलग तरीका अपनाया है। ये फैमिली शहर से दूर प्रकृति की गोद में खुद आइसोलेट किया है। जी हां लंदन के रहने वाले एक परिवार की कहानी कुछ अलग ही है। इस परिवार ने सुकून और चैन की तलाश के लिए खुद को इंडोनेशिया के खूबसूरत द्वीप बाली में आईसोलेट किया है।इस परिवार में चार लोग हैं, जिसमें 49 वर्षीय डेव, 39 वर्षीय उनकी पत्नी कोरिन प्रुडेन और उनके जुड़वां बच्चे हैं। यह परिवार दूसरे विदेशियों की तरह यहां फंसा नहीं है बल्कि खुद सुकून और चैन पाने के लिए यहां आया हैं।
बयां किया अपनी कहानी
स्टाग्राम पर इस परिवार ने अपनी कहानी बयां की है। इस परिवार ने बताया कि 16 मार्च को वो लंदन से बाली गए थे। वो पिछले पांच साल से हंगरी के बुडापेस्ट में रह रहे हैं और वहीं पर उनका एक कैफे है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से सबकुछ बंद हो गया और वो लौट नहीं पाए। चूंकि उन्होंने पहले ही प्लान बनाया था कि वो कम से कम छह महीने के लिए घूमने और रहने दक्षिणी अमेरिका जाएंगे, लेकिन कोरोना की वजह से अमेरिका में हालात काफी खराब हो गए, इसलिए उन्होंने बाली का प्लान बनाया और फ्लाइट की टिकट लेकर वो वहां पहुंच गए।
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अब डेव अपने परिवार के साथ बाली के एक गांव में चावल के खेतों के पास बांस की झोपड़ी में रह रहे हैं। उन्होंने ये जगह किराये पर ली है। उनका कहना है कि उन्हें यहां स्वर्ग जैसा अनुभव हो रहा है और अपने परिवार के साथ शांति और सुकून महसूस कर रहे हैं। इतना ही नहीं, खेतों के बीच में एक स्विमिंग पूल भी है, जहां डेव अपने परिवार के साथ नहाने का आनंद लेते हैं। वो कहते हैं कि उनके बच्चों को भी यहां काफी अच्छा लग रहा है
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ऐसे में लंदन या फिर बुडापेस्ट में रहना और खाना उनके लिए काफी महंगा पड़ता। साथ ही वो दिन-रात कोरोना की खबरें सुन-सुनकर तंग आ गए थे, इसलिए वो सबकुछ छोड़कर कुदरत के बीच पहुंच गए।
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