गुजरात के बाद अब नरेंद्र मोदी की नजर उत्तर-पूर्व के राज्यों पर

Update: 2017-12-17 07:50 GMT

विनोद कपूर

लखनऊ: गुजरात विधानसभा चुनाव से निपटने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने उत्तर पूर्व के राज्यों में मोर्चा खोल दिया। अभी तक देश की मुख्य धारा से वंचित रहे उत्तर पूर्व के राज्यों को पीएम ने 90 हजार करोड़ रुपए की सौगात दी। ऐसा तो होना ही था। अगले साल उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में चुनाव जो होने हैं।

पीएम मोदी गुजरात चुनाव से निपटने के बाद सीधे मेघालय पहुंच गए। उत्तर-पूर्व के राज्य सिर्फ इसलिए देश की मुख्य धारा में नहीं आ सके, क्योंकि लोकसभा में उन राज्यों की सदस्य संख्या काफी कम है। केंद्र में पूर्व में बनी सरकारों ने कभी भी उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इसी का नतीजा था कि नगालैंड और मणिपुर में उग्रवादी गतिविधियां पनपीं।

डॉक्टर सीएम के बावजूद राज्य की सेहत ख़राब

पीएम इसी बात को ध्यान रख पहले पहले मिजोरम और मेघालय गए। वहां उन्होंने राजनीतिक हमले भी किए। कहा, कि 'मेघालय के सीएम डॉक्टर हैं लेकिन इस राज्य का स्वास्थ्य पूरी तरह से खराब है। उन्होंने कहा, कि उत्तर-पूर्व के राज्यों की राजधानी को रेल से जोड़ने की योजना पर काम हो रहा है।'

गुजरात रिजल्ट 'लहर' या 'संजीवनी'

गौरतलब है, कि गुजरात के नतीजे कल यानि 18 दिसंबर को आ रहे हैं। इस चुनाव के नतीजे जहां एक ओर पीएम मोदी की 'लहर' का टेस्ट हैं, वहीं मरणासन्न हो चुकी कांग्रेस को क्या संजीवनी मिल पाएगी? इसका जवाब भी मिलेगा।

उत्तर-पूर्व में अग्निपरीक्षा

लोकसभा के लिए 2019 में होने वाले चुनाव से पहले अभी कई राज्यों में चुनाव होने हैं। जहां सभी पार्टियों को एक-दूसरे से लोहा लेना है। ये सभी चुनाव मोदी और बीजेपी की अग्निपरीक्षा के रूप में देखे जाएंगे। उत्तर-पूर्व के तीन राज्य मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2018 में समाप्त हो रहा है। चुनाव आयोग की परंपरा और विधानसभा के कार्यकाल के खत्म होने के लिहाज से इन राज्यों में फरवरी-मार्च में चुनाव हो सकते हैं। पीएम का दौरा संभवत: इसीलिए था।

2019 आम चुनाव से पहले कई बड़े राज्यों में चुनाव

कांग्रेस के शासन वाली कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल अगले साल मई में खत्म हो रहा है। लिहाजा, वहां भी अप्रैल-मई के बीच चुनाव कराए जा सकते हैं। बीजेपी शासित राजस्थान विधानसभा का कार्यकाल जनवरी 2019 में समाप्त होगा। यहां पर दिसंबर 2018-जनवरी 2019 में चुनाव कराए जा सकते हैं। इसी समय में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे। अब तक की परंपरा के मुताबिक राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एक साथ ही चुनाव होते रहे हैं। मतलब, अगले साल कम से कम सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। मोदी की कोशिश होगी, कि इन राज्यों से भी कांग्रेस को पीछे और नीचे किया जाए।

'मोदी लहर' का होगा टेस्ट

इस तरह देख जाए तो कुल मिलाकर 2019 के आम चुनाव से पहले देश के कई बड़े राज्यों में विधानसभा के चुनाव होंगे। इन चुनावों में मोदी लहर और सरकार द्वारा पिछले पांच सालों में किए गए कामों का मूल्यांकन होगा। ये चुनाव ही लोकसभा चुनाव की दिशा तय करेंगे।

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