Ram Mandir And India Politics: रामलहर में हिचकोले खाती भारतीय विपक्ष की राजनीति
Ram Mandir And India Politics: अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीरामलला का दिव्य भव्य प्राण प्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हो जाने के बाद पूरे देश का वातावरण राममय है और स्वाभाविक रूप से भारतीय राजनीति भी इस राममय वातावरण से अछूती नही है। इसी राममय वातावरण के मध्य संसद व कई विधानसभाओं के बजट सत्रों का आयोजन हो रहा है किंतु चर्चा बजट की कम और रामराज्य की अधिक हो रही है।
Ram Mandir And India Politics: अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीरामलला का दिव्य भव्य प्राण प्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हो जाने के बाद पूरे देश का वातावरण राममय है और स्वाभाविक रूप से भारतीय राजनीति भी इस राममय वातावरण से अछूती नही है। इसी राममय वातावरण के मध्य संसद व कई विधानसभाओं के बजट सत्रों का आयोजन हो रहा है किंतु चर्चा बजट की कम और रामराज्य की अधिक हो रही है। जिन विधानसभाओं में राजनैतिक कारणवश राम मंदिर के समर्थन में चर्चा नहीं हो पा रही है वहां विरोध में बैठकर भी भारतीय जनता पार्टी के विधायक जयश्रीराम का नारा लगाकर वातवारण को राममय बन रहे हैं और देश में रामलहर को तीव्र कर रहे हैं। बंगाल की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने जयश्रीराम का नारा लगाया जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई वहीं दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू जी अपनी कैबिनेट सहयोगियों व विधायकों के साथ रामलला के दर्शन कर कर अभिभूत हो गये।
रामलला का जादू ऐसा है कि हिंदुत्व व राम मंदिर आंदोलन के धुरविरोधी रहे लोग जो कहा करते थे कि अयोध्या में विवादित स्थल पर शौचालय और अस्पताल बनना चाहिए वो भी सपरिवार राम मंदिर दर्शन के लिए आ रहे हैं। इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उदहारण से समझें जो कहा करते थे कि उनकी नानी कहती हैं कि वहां राम मंदिर नहीं बनना चाहिए अब अपने परिवार व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए प्रभु श्रीराम के दर्शन करने के लिए अयोध्या पहुंच गये। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वर्चस्व वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के विधायक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बस में बैठकर रामलला के दर्शन करने चले गये और फिर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न सम्मान मिलने से गदगद रालोद नेता जयंत चौधरी ने सपा गठबंधन से नाता तोड़कर राजग गठबधन में सम्मिलित होने की भी घोषणा कर दी।
राममय भारत और रामद्रोही सिद्ध होता विपक्ष
अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह और इससे पूर्व माननीय उच्चतम न्यायालय के राम मंदिर पर ऐतिहासिक निर्णय के बाद भूमि पूजन समारोह का बहिष्कार और अब संसद तथा राज्य विधानसभाओं में राम मंदिर पर प्रस्तावों का विरोध करके विपक्ष ने यह सिद्ध कर दिया है कि मुस्लिम तुष्टीकरण में आकंठ डूबे विपक्ष को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर स्वीकार नहीं है और उसके मन में एक गहरी पीड़ा भरी हुई है। विपक्ष ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का बहिष्कार किया और फिर उसके बाद संसद और विधानसभा में जिस भाषा का प्रयोग किया उससे संपूर्ण सनातन समाज आहत है।
संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस तथा सत्र के अंतिम दिन जब रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा पर प्रस्ताव पारित हुआ सदन का वातावरण राममय था हुआ किंतु यह दुर्भाग्य की बात रही कि कांग्रेस सहित ओवैसी जैसे सांसदों ने रामभक्तों को गहरा दुख पहुंचाया और यह भी बता दिया कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इन दलों की सरकारों में आया होता तो यह राम मंदिर आज भी न बन पाया होता। विपक्षी दलों की हरकतों से यह साफ संदेश चला गया है कि अगर केंद्र या राज्य में भाजपा सरकार न होती तो राम मंदिर के निर्माण में किसी न किसी प्रकार से रोड़े अटकाये जाते और इसका निर्माण संभव न होता । राममंदिर निर्माण का पूरा श्री प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को जाता है।
संसद सत्र के अंतिम दिन रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के प्रस्ताव पर चर्चा के अवसर पर भगवान राम के विभिन्न रूपों का ऐसा गुणगान हुआ कि पूरा सदन राममय नजर आया। राम मंदिर पर आया यह प्रस्ताव ऐतिहासिक है जो भावी पीढ़ी को देश के मूल्यों पर गर्व करने की संवैधानिक शक्ति देगा। प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राम के बिना भारत की कल्पना करने वाले गुलामी काल के प्रतिनिधि हैं। राम राज्य किसी एक धर्म या संप्रदाय के लिए नहीं हैं। राम और राम के चरित्र को फिर से स्थापित करने का काम 22 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी के हाथों हुआ है। प्रस्ताव पढ़ते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदियों की प्रतीक्षा के उपरांत अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ है। यह मंदिर एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतीक है। इस प्रस्ताव के माध्यम से सदन के सदस्य अयोध्या में हुए ऐतिहासिक कार्य की सराहना करते हैं। अयोध्या में बन रहा राम मंदिर पत्थरों से बनी कोई संरचना नहीं अपितु आस्था और विश्वास की भवनाओं से परिपूर्ण है। मंदिर निर्माण एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और यह आने वाली पीढ़ि़यों को आशा व एकता के मूल्य सिखाएगा।
अयेध्या में प्रभु श्रीराम की भव्य दिव्य एवं नव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर उत्तर प्रदेश विधानसभा में जोरदार चर्चा हुई जिसमे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भाषण सबसे महत्वपूर्ण रहा जिसके कारण समाजवादी दल पूरी तरह बैकफुट पर आ गया, यहीं नहीं सदन के सत्र के दौरान सोशल मीडिया में “सपा रामद्रोही” ट्रेंड भी हो गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव पर करारा प्रहार किया और कहा कि मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह वोटबैंक पर असर के डर से अयोध्या और मथुरा नहीं जाते थे। उन्होंने सपा पर हमला बोलते हुए कहा कि आपकी सरकार ने काशी में ताला लगवाया था और मथुरा में जन्मभूमि पर भी। हमारी सरकार ने दोनों जगह ताले खुलवा दिये। सपा शासन में धार्मिक पर्यटन की उपेक्षा हुई। हमारे आराध्य तो राम है। उनके नाम पर राजनीति कैसे हो सकती है।उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 में अपना पहला बजट प्रभु श्रीराम को साक्षी बनाकर प्रस्तुत किया था। अब आठवां बजट प्रस्तुत करने का अवसर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हुआ है जो रामराज्य को समर्पित है । सदन के नेता के विपरीत नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बयान में उनकी राजनैतिक मजबूरियां साफ दिखाई पड़ी हैं। स्पष्ट दिख रहा था कि वे अयोध्या में एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन व मेडिकल कालेज आदि बनने से खुश नहीं है और इसीलिए आरोप लगा रहे हैं कि अयोध्या में सबसे बड़ा जमीन घोटाला हुआ है। यह समाजवाद की विकृत मानसिकता का उदाहरण है।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व की एक ऐसी लहर चला दी है कि विरोधी पस्त हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री का भाषण राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक क्षेत्रों मे दूरगामी प्रभाव वाला है। मुख्यमंत्री ने ज्ञानवापी व मथुरा -वृंदावन को लेकर जो संदेश दिया है उसका भी दूरगामी संकेत मिल रहा है। 7 फरवरी 2024 को योगी जी ने अपने भाषण में समाजवाद के पीडीए के नारे को भी ध्वस्त कर दिया है।उन्होंने विपक्ष से पूछा कि, “क्या शबरी और निषादराज पीडीए नहीं? उन्होंने अपने भाषण के माध्यम से निषादराज, शबरी, जटायु जैसे उदाहरणों के साथ हिंदुत्व को भी साधा है और सोशल इंजीनियरिंग को भी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ की जोड़ी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अपना राजनैतिक एजेंडा व चुनावी तैयारी भी खूब जोरदार तरीके से कर ली है।
विपक्ष ने खो दिया एक सुनहरा अवसर
राम लहर के कारण मुद्दा विहीन विपक्षी राजनीति हिचकोले खा रही है और भारतीय जनता पार्टी आगे निकलती जा रही है। इस राम लहर में अयोध्या व काशी पहुँच रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ बड़ा प्रभाव डाल रही है। काशी की ज्ञानवापी में व्यासजी के तहखाने में भी श्रद्धालुओें की भारी भीड़ उमड़ रही है और अभी तक पांच लाख से अधिक लोग वहां पर पूजा कर चुके हैं।
हिंदुत्व की लहर से ही घबराकर विपक्ष कट्टरपंथी तत्वों की आड़ लेकर वातावरण को बिगाड़ने का षड्यंत्र भी रच रहा है। हाल ही में बरेली में मौलाना तौकीर रजा ने जेल भरो आंदोलन के माध्यम से वातावरण को खराब करने का असफल प्रयास किया। आने वाला समय सरकार और सनातन समाज दोनों के लिए बहुत सावधानी बरतने वाला है क्योंकि अराजक तत्व ऐसे कुप्रयास करते रहेंगे किन्तु शीघ्र ही उनको समझ में आ जाएगा कि अब प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है देश रामराज्य की स्थापना की दिशा में चल पड़ा है ।