Pro. Sadanand Shahi Poem: इलाहाबाद विश्वविद्यालय का अतिथीगृह कमरा नम्बर ग्यारह

Pro. Sadanand Shahi Poem: प्रोफेसर सदानंद शाही बीएचयू के हिंदी विभागाध्यक्ष रहे। 2 महीने हुए सेवानिवृत्ति के। इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर उनकी यह कविता कुछ अपेक्षा, अफसोस और अवसाद से लैस है।

Report :  Network
Update:2023-09-28 13:38 IST
BHU Professor Sadanand Shahi (फोटो: सोशल मीडिया )

एक कोलाज

इलाहाबाद विश्वविद्यालय का अतिथिगृह

कमरा नम्बर ग्यारह में

लेटा हूँ चुपचाप

जो कभी अपने को पूरब का आक्सफोर्ड

कहलाते हुए इठलाया करता था

वही इलाहाबाद विश्वविद्यालय

आखिर इठलाने के लिए भी हमें

पूरब का ही सही

आक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज ही होना था

एक तरफ की दीवाल का पूरा पलस्तर झड गया है

जिससे

उस महान विश्वविद्यालय का गौरव-रेत

झर रहा है लगातार

सीलन की छाप लिए

उभर रही हैं तरह तरह की आकृतियां

मुक्तिबोध की कविताओं के पात्र

प्रकट हो रहे हैं

दीवाल पर लटका टीवी स्तब्ध है

पूरी दीवाल ही टीवी स्क्रीन में बदल गयी है

उतरने लगी हैं

तरह तरह की चित्र कथाएं

विशालकाय कुर्सी पर पसरा है

डोमा उस्ताद

अध्यापकों की क्लास लगाता है लगातार

औरांगऊटांग और ब्रह्मराक्षस

करते हुए सिरफुटौवल

आते हैं

जाते हैं

कि उभर आते हैं गाँधी के दो बन्दर

तीसरे को तलाशते हुए

कभी दिखने लगती है

दिल के तख्त पर विराजमान भूलगलती

ईमान का सिर कलम करती हुई

दीमक के बदले सुनहरे नायाब पंखों का सौदा करते

मक्कार बूढे

सिर खुजाते हुए

कि

अचानक कहीं से कोई गुप्त रिमोट कन्ट्रोल

होता है सक्रिय

चेनल बदलता

ताबडतोड

यह क्या !

इस महान और पुराने विश्वविद्यालय में घुसे चले आ रहे हैं

नये पुराने

सभी विश्वविद्यालय

किन्हीं अदृश्य हाथों की

कूची

अजीब से अजीबतर रंगों से तरबतर

चल रही है लगातार

नये पंचतंत्र की कहानियाँ रचते

शेर और गीदड

लोमडी और कौवे

बन्दर और बिल्लियां

चला रहे हैं

साझी परियोजनाएँ

गाँधी,टैगोर,महामना

लटके हुए दीवालों पर

ताकते हैं टुकुर टुकुर

देखते हुए सबकुछ

(भागते हैं दमतोड)

अखबार और टीवी चेनल

तरह तरह की एजेन्सियाँ

विश्वस्तरीय घोषित करने पर

तुली हुई हैं

सम-उचित फीस पर

डोमा उस्ताद

चकित हैं अपनी ही उस्तादी पर

बैठे बैठे इतरा रहा है

कलगीं में खोंसे हुए अखबार

जो बताये जा रहे हैं उसे

कि

वही है विश्वस्तरीय विद्वान

और वह है तो उसका विश्वविद्यालय

होगा ही विश्वस्तरीय

इस तरह बन रहा है

उच्चशिक्षा का कोलाज

शानदार

विश्वस्तरीय

अन्तरराष्ट्रीय!

कुछ समय पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में था।

कुछ अनुभूतियाँ इन पंक्तियों में दर्ज हैं ।

विश्वविद्यालय की 137वर्ष की यात्रा देखिए कहाँ तक पहुँचे ।

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