नीतीश कुमार का करतब!

Bihar Election: आरजेडी के तेजस्वी यादव भले ही बिहार में संपूर्ण शराबबंदी के मामले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजते हो मगर इसका फायदा प्रदेश में जरूर हुआ है।

Written By :  K Vikram Rao
Published By :  Bishwajeet Kumar
Update:2022-04-04 18:13 IST

नीतीश कुमार (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

Bihar Election: बिहार में सम्पूर्ण शराबबंदी का भले ही नेता विपक्ष लालूपुत्र तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) मजाक उड़ाये, पर उन्हें याद रखना चाहिये कि छात्राओं को साइकिल बांटने पर नीतीश के जनता दल (यू) (JDU) को गत चुनाव में थोक में वोट मिले थे।

इस बार भी पीड़ित सतंप्त महिलायें, खासकर ग्रामीण, के वर्ग में एक विशाल वोट भण्डार नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिये क्रमश: तैयार हो रहा हैं। नीतीश समझ गये कि अहीर और मुसलमान वोटरों (Muslim voters) की भांति उनके सजातीय कुर्मी वोट बहुमत सीटे जीतने हेतु पर्याप्त नहीं हैं। उनके जातिगत वोटर समूह की संख्या छोटी है।

एक श्रमजीवी पत्रकार के नाते मैं नीतीश कुमार की मद्यनिषेद्य वाली पाबंदी का शतप्रतिशत समर्थक हूं। युवा पत्रकारों के ठर्रा और देसी पीने से यकृत (लिवर) को फटते, फिर मरते सुना और देखा है। जवां विधवाओं को तड़पते-सिसकते देखा है। अहमदाबाद में (मोरारजी देसाई की शराब बंदी नीति के प्रथम राज्य बम्बई, 1950 से) और फिर अपनी गुजरात पत्रकार यूनियन द्वारा चला विरोध-अभियान बड़ा सबल था। सामाजिक स्तर पर भी। अपने संगठन की ओर से शराब-जनित हानियों पर जागरुकता अभियान भी मैंने चलाया था। पत्रकार साथियों की पत्नियों से मैं आग्रह करता था कि शाम ढले किवाड की सिटकनी चढ़ा दो। पति लौटे तो खिड़की से सूंघों और जांचों कि बदबू आ रही है। यदि नहीं, तभी किवाड़ खोलना। रातभर बाहर ही पड़े रहने दो। मिजाज दुरुस्त हो जायेंगे। मेरा तर्क था कि क्या हक है पति को बीवी बच्चों को यतीम बनाने का? निकाह और पाणिग्रहण के सूत्रों में ऐसा कोई भी नियम नहीं उल्लिखित है। मेरे प्रयास से यदाकदा पुलिस को सूचना देकर इन मद्यसेवी पत्रकारों का हवालात में रात गुजारने का यत्न भी होता रहा।

इन्हीं कारणों से नीतीश कुमार के जनसंघर्ष का मैं अगाध पैरोकार हूं। मगर एक सियासी विशिष्टता भी है। अब जाति-विहीन, हमदर्दों का वोट बैंक बिहार के मुख्यमंत्री ने तैयार कर लिया है। महिला वोटर, अर्थात 45 से 50 फीसदी, समर्थक बन गयी हैं। लालूपुत्र तेजस्वी ने इस आदर्श मानवीय कदम का भी विरोध कर अपना चुनावी हथियार बनाकर नीतीश के वोट समर्थक वर्ग पर डाका डालने की साजिश रची थी। सफलता ज्यादा नहीं मिली। मुख्य कारण यही कि देसी दारू के विरुद्ध बिहार की महिलाओं का संघर्ष असरदार हो रहा है।

बिहार में चार लाख पीने वाले जमानत पर

एक समस्या जरुर बिहार में उभरी है। साढ़े चार लाख पीने वाले जमानत पर है। मगर यह स्वाभाविक है, चिन्ताजनक नहीं। अदालत में हाजिरी लगाना वर्ना जमानत निरस्त होने के खौफ से माहौल माकूल हो रहा है। पुलिस द्वारा होश उड़ाने की कोशिश से शराबी को भान हो जाता है कि लाभ कम तथा हा​नि भारी पड़ती है। नीतीश रहे लोहियावादी जिनके प्रेरक बापू (महात्मा गांधी) थे। पिछली सदी (1920 के आसपास) गांधी जी ने मदिरा विक्रय केन्द्रों और विलायती कपड़ों को न खरीदने का जनसंघर्ष चलाया था। बड़ा कारगर था। जवाहरलाल नेहरु ने अपने पिता मोतीलाल नेहरु की भांति मद्यसेवन से स्वयं परहेज किया था। यहां कानपुर की उस युग की घटना का जिक्र कर दूं। वहां सत्याग्रही महिलाओं को व्यापारियों के गुर्गे, अधिकतर जिन्ना के मुस्लिम लीगी गुण्डे, छेड़ते थे। तंग करते थे। तब संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी के दैनिक ''प्रताप'' में कार्यरत भगत सिंह और उनके साथी इन गुर्गों को खदेड़ते थे। उनके तरीके पूर्णतया गांधीवादी नहीं होते थे। जैसे को तैसा वाला नियम लागू होता था।

अर्थात बिहार में नीतीश कुमार के जनता दल द्वारा आन्दोलन का संगठनात्मक ढांचा दुरुस्त रहे तो उसके स्वयं सेवक दारु-बंदी नीति को कारगर बनाने में क्रियाशील रह सकते हैं। जैसे लोहिया ने बुर्का-विरोधी जनसंघर्ष चलाया था। तब सोशलिस्ट पार्टी मुस्लिम वोट बैंक के लिये बिकी नहीं थी। तीन बीवी वाली प्रथा जिसका विरोध करने के कारण लोहिया 1967 में कन्नौज (बाद में अखिलेश यादव का संसदीय चुनाव) से केवल 500 वोटों से ही जीते थे। मगर देश को बता गये कि प्रत्येक भारतीय पर संहिता के नियम समान रुप से लागू होना चाहिये। कितना अंतर है अब के वोटार्थी समाजवादियों में और तब के लोहियावादियों में!

इस माह बिहार की शराब बंदी को ठीक छह वर्ष (अप्रैल 2016) हो गये। महिला वोटर अब बड़ी तादाद में तैयार हो गयीं हैं। मद्यनिषेद्य का मखौल उड़ानेवाले लालूपुत्र तेजस्वी को शीघ्र यह पता चलेगा। नीतीश को शौर्य चक्र से सम्मानित करना होगा क्योंकि उन्होंने अवसरवादी वोट बैंक को ध्वस्त कर स्वच्छ और सिद्धांतप्रिय मतदाता समूह संजोया है।

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