Bihar Politics: बिहार में फिर पलटी मारी, आखिर क्यों और क्या होगा असर
Bihar Politics: नीतीश कुमार के एनडीए में आने का असर उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी पड़ेगा।क्योंकि यहाँ नीतीश कुमार व उनकी जाति का कुछ क्षेत्रों में प्रभाव है।
बिहार में एक बार फिर पलटमारी की राजनीति हो गयी है। जद यू के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो संपूर्ण भारत में विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाकर प्रधानमंत्री मोदी व भारतीय जनता पार्टी को आगामी लोकसभा चुनावों में सत्ता से बाहर करके स्वयं प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे थे । अचानक उस सपने को छोड़कर अपने पुराने सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर एक बार फिर एनडीए के मुख्यमंत्री बन गये हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतनी बार पलटी मार चुके हैं और विगत 18 माह की उनकी सरकार की ओर से लगातार हिंदू विरोधी गतिविधियाँ हो रही थीं । इन दोनों ही बातों को नजरंदाज करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने उनके ऊपर एक बार फिर भरोसा जताया है । तो उसके पीछे कुछ विशेष कारण अवश्य होंगे ।
केवल बिहार ही नहीं अपितु झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अच्छा प्रभाव है, अगर वह महागठबंधन के साथ रहते तो बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर भी भाजपा व एनडीए का नुकसान कर सकते थे। कहने को तो भाजपा यह भी पूरे जोर शोर से कह रही है कि बिहार को जंगलराज से आजादी दिलाने व बिहार की गरीब महिलाओं ,युवाओं व समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान व विकास के लिए नीतीश कुमार पर एक बार फिर भरोसा जताया गया है ।
बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए के साथ आ जाने के बाद राजद नेता लालू यादव व उनके परिवार पर अनेक घोटालों में सीबीआई, ईडी सहित विभिन्न जांच एजेंसियों की कार्यवाही का मार्ग प्रशस्त हो गया है। जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू यादव व उनके परिवार के सदस्यों से पूछताछ नहीं हो पा रही थी ।.वह अब प्रारम्भ हो चुकी है। दिल्ली की एक अदालत ने ईडी के आरोप पत्रों को संज्ञान में लेते हुए इनको आगामी 9 फरवरी को तलब किया है। राजद के सरकार में होने के कारण चारा घोटाले में लालू यादव की जमानत नहीं रद्द हो पा रही थी। बिहार में महागठबंधन की सरकार के चलते लालू यादव जहां अपने अशिक्षित बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए लगातार साजिश रच रहे थे। वह कई बार साक्षात्कार में कह रहे थे कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए हम अब पूरी तरह से फिट हो चुके हैं और आगामी लोकसभा चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी फिट कर देंगे ।
माना जा रहा है कि बिहार में अयोध्या में 22 जनवरी को प्रभुराम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम लहर चल रही थी । भाजपा की लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ रही थी । किंतु राजनीति में किसी भी प्रकार का जोखिम लेना ठीक नहीं रहता। उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी का सर्वे करवाया था ।.जिसमें जद यू को नुकसान हो रहा था।नीतीश कुमार के भाजपा के साथ आ जाने से एनडीए ने महागठबंधन पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने विकसित भारत का जो संकल्प लिया है । उसके लिए केंद्र में उनका तीसरी बार आना आवश्यक है । साथ ही सनातन हिंदू समाज के ज्ञानवापी और श्री कृष्ण जन्मभूमि की समस्या का निदान के लिए भी केंद्र में मोदी जी का होना आवश्यक है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा दो तिहाई बहुमत से कम की सरकार का जोखिम नहीं लेना चाहते । अतः प्रत्येक प्रान्त में इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर कार्य कर रहे हैं ।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पिछड़े समाज के वोटरों में अब भी बहुत गहरा प्रभाव है जो कि लगभग 36 प्रतिशत हैं। यह मतदाता एक झटके में सारा गणित बदल सकता है।2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने 40 मे से 39 लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त की थी। अबकी बार एक बार फिर बिहार में यही समीकरण फिट बैठ गया है।
नीतीश कुमार के एनडीए में वापस लौटने की पटकथा कई दिनों से लिखी जा रही थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में काफी तनाव में थे । क्योंकि उन पर लगातार कई तरह के दबाव डाले जा रहे थे। सत्ता पर नियंत्रण रखने के लिए लालू यादव का खेमा जद यू को तोड़ने का लगातार प्रयास कर रहा था। नीतीश कुमार जी की महागठबंधन में शामिल दलों व नेताओं से बन नहीं पा रही थी। बिहार में महागठबंधन की सरकार में आर्थिक नुकसान हो रहा था। सरकार में लालू यादव एंड कंपनी का वर्चस्व स्थापित हो रहा था जिसके कारण नीतीश जी के शराब बंदी का वादा भी खोखला साबित हो रहा था और जनता के बीच उनकी छवि खराब हो रही थी। जदयू और राजद के नेता अपनी ही सरकार के कामकाज के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे।
नीतीश कुमार के एनडीए में आने का असर उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी पड़ेगा।क्योंकि यहाँ नीतीश कुमार व उनकी जाति का कुछ क्षेत्रों में प्रभाव है। नीतीश जी के कभी फूलपुर लेकसभा से चुनाव लड़ने की चर्चा होती थी और कभी वाराणसी से अब ऐसी किसी भी संभावना पर विराम लग गया है।
बिहार में महागठबंधन टूट जाने के बाद जद यू के सभी नेता व प्रवक्ता अब कांग्रेस पर हमलावर हो गये हैं। जद यू के प्रवक्ता अब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का नाम लेने लगे हैं। एनडीए गठबंधन अब बिहार में रामराज्य की स्थापना की बात कह रहा है। नीतीश कुमार के अलग हो जाने के बाद राहुल गाँधी व कांग्रेस के नेतृत्व पर सवालिया निशान खड़े हो गये हैं।अब महागठबंधन के दूसरे दल भी अलग हो सकते हैं।जद यू का कहना है कि कांग्रेस अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।
कुछ लोग कह रहे हैं कि भाजपा ने अपने बंद दरवाजे आखिर नीतीश के लिए क्यों खोल दिये ? जिनके खिलाफ लगातार संघर्ष किया जा रहा था । किंतु ऐसे लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि राजनीति में कभी भी किसी के लिए कोई दरवाजा नहीं बंद होता है।नीतीश ने महागठबंधन में अपना व अपनी पार्टी का भविष्य अच्छी तरह से भांप लिया था। नीतीश को यह भी पता चल चुका था कि प्रधानमंत्री तो नरेंद्र मोदी ही बनेंगे और यही कारण रहा कि एक बार फिर नीतीश कुमार एनडीए के साथ हो गये हैं । अब वह लालू यादव एंड कंपनी को फिट कर देंगे। बिहार में बहार आ गयी है। अब आशा की जानी चाहिए बिहार अब पूरी तरह से जंगलराज से मुक्त हो जायेगा।
( लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं।)