Budget 2023: वादों को पूरा करने का एक साधन

Budget: वर्ष 2018 के उतरार्द्ध में, PM मोदी द्वारा अपने 2014 के घोषणापत्र में किए गए वादों की समीक्षा करने के लिए कई कवायदें की गईं थीं। वादों को पूरा करने के मामले में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था।

Report :  Karan Bhasin
Update:2023-01-03 16:33 IST

बजट: वादों को पूरा करने का एक साधन: Photo- Social Media

Budget: वादे, भारतीय राजनीति (indian politics) की एक सर्वोत्कृष्ट विशेषता रहे हैं। इन वादों में से कई पूरे होते हैं, तो कई अधूरे रह जाते हैं। घोषणापत्र, सरकारी कार्यक्रम और यहां तक कि बजट की कवायद भी चुनावी राजनीति या गठबंधन की मजबूरियों का शिकार रहीं हैं, जिसके लिए ऐसे वादों की जरूरत होती है, जिन्हें तोड़ा जाना होता है।

वर्ष 2018 के उतरार्द्ध में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा अपने 2014 के घोषणापत्र में किए गए वादों की समीक्षा करने के लिए कई कवायदें की गईं थीं। वादों को पूरा करने के मामले में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। पूर्ण और सापेक्ष दोनों ही सन्दर्भों में। वर्ष 2019 के बाद, एक ऐसी महामारी आई जिसने सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों और सरकारी वित्त में बड़ा व्यवधान पैदा किया है। इसलिए समय आ गया है कि बजट घोषणाओं पर करीब से नजर डाली जाए। यह देखा जाए कि क्या उसमें, खासकर रेल बजट से संबंधित, किए गए वादे पूरे किए गए हैं या फिर वे पिछली बजट घोषणाओं की तरह ही अधूरे रह गए हैं।

बजट की घोषणाओं का परीक्षण

हमने बजट 2022-23 में की गई 34 प्रमुख घोषणाओं पर बारीकी से गौर किया है और उनके कार्यान्वयन का आंकलन किया है। इनमें से कई घोषणाओं से विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों का जुड़ाव है, जो उनके समयबद्ध कार्यान्वयन को मुश्किल बनाता है। इस दृष्टि से, इन घोषणाओं के कार्यान्वयन के मामले में बेहतर प्रदर्शन भारत सरकार की बेहतर प्रशासनिक दक्षता का संकेत हो सकती है।

आश्चर्यजनक रूप से, दो बातों को दर्शाते हुए इन प्रमुख घोषणाओं में से प्रत्येक में काफी प्रगति हुई है। पहली बात उठाए जा सकने लायक कदमों की घोषणा करके वार्षिक बजट की विश्वसनीयता को बहाल करने के सचेत प्रयास से संबंधित है । दूसरी बात पहले ही घोषित किए जा चुके प्रावधानों को प्रभावी तरीके से कार्यान्वित करने को लेकर किए गए केन्द्रित प्रयासों से संबंधित है। यह सब महामारी के दौरान राजकोषीय आंकड़ों को व्यवस्थित करने की पृष्ठभूमि में हुआ है। व्यवस्थित करने की यह प्रक्रिया 2014 के पहले से अपेक्षित थी । क्योंकि एक के बाद एक मंत्रियों ने बैलेंस शीट से इतर जाकर उधार के माध्यम से वास्तविक घाटे को कम करने की कोशिश की थी। इसलिए यह स्पष्ट है कि अंतिम उद्देश्य बजट की कवायद की गंभीरता को बहाल करना और अधूरे वादों के पिछले अनुभवों से आगे बढ़ना है।

पीएम गति शक्ति योजना

आइए, पिछले बजट में पीएम गति शक्ति की घोषणा से शुरुआत करते हैं। इसका उद्देश्य एक ऐसे मंच का निर्माण करना था जो बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने में मदद करे। बुनियादी ढांचे के विकास के विभिन्न पहलुओं के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार विभिन्न मंत्रालयों के कारण होने वाली देरी को कम करे। यह मंच 16 मंत्रालयों को एकजुट करता है। देश भर में मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के तेजी से विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाले बुनियादी ढांचे से  जुड़ी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन को संभव बनाता है। यह मंच पिछले कुछ समय से सक्रिय है। पीएम गति शक्ति नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन में दी गई 4827 परियोजनाओं में से 766 की रूपरेखा नेशनल मास्टर प्लान के मंच पर तैयार कर दी गई है।

इसके अलावा, वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्गों में 25,000 किलोमीटर का विस्तार करने के निर्णय की घोषणा की थी। वित्त मंत्रालय ने पहले ही राज्य की सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने के लिए संशोधित दिशानिर्देश तैयार करना शुरू कर दिया है। उसका इरादा इस नीति को अंतिम रूप दिए जाने के बाद नए राष्ट्रीय राजमार्गों को अधिसूचित करने का है। मंत्रालय वर्तमान वित्तीय वर्ष में मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्गों को बेहतर बनाने की प्रक्रिया का समर्थन करने हेतु मौजूदा परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहा है।

यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप)

एक अन्य महत्वपूर्ण घोषणा यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप) से संबंधित है। इसकी घोषणा विभिन्न तरीकों से माल की कुशल आवाजाही, लॉजिस्टिक संबंधी लागत एवं लगने वाले समय को कम करने, समय-समय पर इन्वेंट्री प्रबंधन में सहायता करने और थकाऊ दस्तावेजीकरण को खत्म करने के उद्देश्य से की गई थी। इस मंच को सभी हितधारकों को वास्तविक समय में जानकारी प्रदान करनी थी। आगे चलकर इस मंच को इसी के अनुरूप विकसित किया गया ।इसने देश के लॉजिस्टिक क्षेत्र को एक नए तरीके से बढ़ावा देने के प्रयास में विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों की 29 डिजिटल प्रणालियों को एकीकृत किया है।

कृषि क्षेत्र में किसान ड्रोन के उपयोग के संदर्भ में, वित्त मंत्रालय राज्य सरकारों और संबंधित संगठनों को इसे खरीदने के लिए धन जारी कर रहा है। इसी तरह, ईसीएलजीएस वृद्धि को 17 अगस्त 2022 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई थी।

आवास योजना

पीएम आवास योजना के तहत सभी के लिए आवास को लेकर एक बड़ी घोषणा की गई। वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में इस कार्यक्रम के तहत 80 लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। कुल 120.38 लाख स्वीकृत आवासों में से 104.12 लाख आवासों का निर्माण कार्य शुरू हो गया है । जबकि 30 सितंबर तक 63.27 लाख आवासों को वितरित कर दिया गया है या फिर उनका निर्माण पूरा कर लिया गया है।

ये वैसे कुछ उदाहरण हैं, जिनकी घोषणा बजट के एक हिस्से के रूप में की गई थीं और साथ ही इनके कार्यान्वयन की स्थिति के बारे में कुछ विवरण भी दिए गए हैं। सभी 34 प्रमुख घोषणाओं के गहन विश्लेषण से इनमें से प्रत्येक में काफी प्रगति का पता चलता है। इससे वादा किए गए कार्यों को पूरा करने की दिशा में बेहतर दक्षता और प्रतिबद्धता का संकेत मिलता है।

निजी क्षेत्र के कर्मचारी लक्ष्यों को परिभाषित करने और वित्तीय वर्ष के दौरान उन लक्ष्यों की प्रगति पर नज़र रखने के महत्व से अवगत होते हैं। पिछले साल की गई बजट घोषणाओं के विश्लेषण से यह संकेत मिलता है कि वित्त मंत्रालय द्वारा भी इसी तरह का दृष्टिकोण अपनाया गया है। यह अतीत की तुलना में, खासकर किसी ठोस उपाय के बिना की जाने वाली लोकलुभावन घोषणाओं से पैदा होने वाली निराशा को देखते हुए, एक स्वागत योग्य बदलाव है। वर्ष 2008 की कृषि ऋण माफी से उपजी कड़वी निराशा इस प्रकार की लोकलुभावन घोषणा का एक सटीक उदहारण है।

ठोस क्रियान्वयन

कार्यान्वन के इरादे से लैस विवेकपूर्ण नीतियां राजकोष की पवित्रता और सरकार एवं नागरिकों के बीच विश्वास बनाए रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती हैं। इसलिए, यह कवायद एक व्यक्ति को इस निष्कर्ष को ओर ले जाती है कि पिछले कई वर्षों में देश के बजट की वार्षिक कवायद सही दिशा में बढ़ी है क्योंकि वे वितरण के एक साधन बनकर उभरे हैं। बजट 2022-23 ने बजट घोषणाओं के कार्यान्वन के पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सरकार आने वाले वर्षों में अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ पाती है या नहीं। 

(लेखक ऑपइंडिया में राजनीतिक अर्थशास्त्री हैं।)

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