The Future of Mobility: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य

Technological Leap: भारत दुनिया में दोपहिया वाहनों का सबसे बड़ा विनिर्माता और दोपहिया वाहनों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। ओला द्वारा हाल ही में तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में दुनिया के सबसे बड़े ई-स्कूटर विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन करने की घोषणा पिछले कुछ वर्षों के दौरान दोपहिया वाहनों के प्रति भारत की भावना को दर्शाती है।

Written By :  Amitabh Kant
Published By :  Pallavi Srivastava
Update: 2021-06-26 09:42 GMT

Business News: चेतक, स्पेक्ट्रा, बुलेट, यज्‍दी, लूना, राजदूत - ये नाम दशकों से भारतीय परिवारों का एक अभिन्न हिस्‍सा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से लेकर केरल के हरे-भरे मेड़ तक, सर्व-उद्देश्यीय दोपहिया वाहन एक सर्वव्यापी सांस्कृतिक का प्रतीक रहा है। आवागमन के एक आसान और द्रुतगामी साधन के रूप में इसने सामाजिक संपर्क को सुविधाजनक बनाया। यह 80 और 90 के दशक के दौरान भारत का सर्वोत्कृष्ट पारिवारिक वाहन रहा है। सहस्राब्दी के मोड़ पर धीरे-धीरे दोपहिया वाहन लड़कियों और लड़कों द्वारा समान रूप से व्यक्तिगत स्वतंत्रता को व्यक्त करने का एक साधन बन गए जो एक उज्ज्वल, समझदार और आगे की ओर बढ़ते हुए देश की छवि को दर्शाता है। ओला द्वारा हाल ही में तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में दुनिया के सबसे बड़े ई-स्कूटर विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन करने की घोषणा पिछले कुछ वर्षों के दौरान दोपहिया वाहनों के प्रति भारत की भावना को दर्शाती है। भारतीय मोबिलिटी क्षेत्र में दोपहिया वाहनों का वर्चस्‍व रहा है जो वाहनों की कुल बिक्री में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान करते हैं। साथ ही, भारत दुनिया में दोपहिया वाहनों का सबसे बड़ा विनिर्माता और दोपहिया वाहनों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।

तेजी से बदल रही इस दुनिया में परिवहन एवं मो‍बिलिटी परिवेश में भी बदलाव आवश्यक है। भारत मोबिलिटी क्षेत्र में वैश्विक बदलाव को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। धुआं छोड़ने वाले पारंपरिक मोटर वाहनों ने शेयर्ड, कनेक्‍टेड और शून्‍य उत्‍सर्जन वाली इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए मार्ग प्रशस्‍त किया है। फेम 2 की हालिया रीमॉडलिंग परिवहन के लिए एक किफायती, सुलभ एवं न्यायसंगत भविष्य तैयार करने की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। इससे जीवनयापन की सुगमता और उत्पादकता के स्तर में वृद्धि होगी। मोबिलिटी क्षेत्र में विकास की प्रासंगिकता को आईआईटी-दिल्ली द्वारा मान्यता दी गई है जिसने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में दो साल का एमटेक पाठ्यक्रम शुरू किया है। दोपहिया और तिपहिया वाहन भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के शुरुआती चरण का पथ प्रदर्शक होने जा रहे हैं। इसलिए नई फेम 2 योजना के तहत उनके विद्युतीकरण पर अधिक जोर दिया गया है।

18 राज्‍य परिवर्तनकारी मोबिलिटी को रफ्तार देगें

भारत की एक सबसे अच्छी रैपिड ट्रांजिट प्रणाली अहमदाबाद बीआरटीएस पर यात्री अब शून्‍य उत्‍सर्जन वाली बसों में सवारी का लाभ उठा सकते हैं जिसे इको लाइफ बस नाम दिया गया है। हाल में इस शहर ने ग्रीन ट्रांजिट को समर्थ बनाने के लिए अत्‍याधुनिक चार्जिंग बुनियादी ढांचे के साथ जेबीएम ऑटो से 50 नई इलेक्ट्रिक बसें हासिल की हैं। अहमदाबाद से महज तीन घंटे की दूरी पर केवड़िया में केवल इलेक्ट्रिक वाहन वाले भारत के पहले शहर का विकास किया जा रहा है। गुजरात की ही तरह करीब 18 राज्‍य इस परिवर्तनकारी मोबिलिटी को रफ्तार देने के लिए अगले मोर्चे पर तैनात हैं। इन राज्‍यों ने ई-मोबिलिटी परिवेश की मदद के लिए राज्यस्तरीय ई-वाहन नीतियां तैयार की हैं। साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, छोटी-बड़ी बसें आदि सभी भारत की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के बहुउपयोगी एवं जीवंत परिदृश्य का निर्माण करती हैं। इनका विद्युतीकरण आवागमन के इन स्थायी साधनों को चुनने वाले लोगों को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर अग्रसर करने में बुनियादी तौर पर समर्थ करेगा। एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) की पहचान ई-मोबिलिटी को रफ्तार देने लिए एक प्रमुख वाहक के रूप में की गई है। यह विभिन्‍न उपयोगकर्ता श्रेणियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले 3 लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन खरीदेगी और 9 शहरों में 40 लाख सार्वजनिक परिवहन उपयोगकर्ताओं को लक्षित करेगी।

ई-साइकिल pic(social media)

58 देशों में उपयोग किया जाता है ई-साइकिल

सार्वजनिक परिवहन भारत के शहरीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक साबित होगा। कुछ साल पहले पुणे के कुछ कॉलेज छात्रों ने अपने उन सहपाठियों के लिए परिवहन समाधान पर विचार करना शुरू किया जो कैब का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। उनके विचार-मंथन का परिणाम ई-मोटरैड नामक एक ओईएम के रूप में सामने आया जो यात्रियों के लिए ई-साइकिल बनाती है। उनकी साइकिल दैनिक आवागमन के लिए पर्यावरण के अनुकूल समाधान प्रदान करती है और अब 58 देशों में उनका उपयोग किया जाता है।

भारत के 17 शहर वर्ष 2035 तक सबसे तेजी से उभरने वाले दुनिया के शीर्ष 20 शहरों में शामिल होने के लिए तैयार हैं और इसलिए शहरीकरण की रफ्तार तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। भारतीय शहर वायु प्रदूषण की जबरदस्‍त चुनौती से भी जूझ रहे हैं जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हमारे समय की एक सबसे बड़ी आपात स्थिति है। इससे एक ऐसी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली तैयार करने के लिए जबरदस्‍त अवसर पैदा होता है जो किफायती एवं पर्यावरण के अनुकूल तरीके से शहरों के भीतर आवाजाही के लिए अत्याधुनिक, स्वच्छ एवं सुविधाजनक हो। जल्‍द ही शहरों, कस्बों और गांवों को कम लागत वाले इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग पॉइंट का लाभ मिलेगा जिससे इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया को अपनाने में तेजी आएगी। आगामी भारतीय मानक ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे को तेजी से बढ़ाने का मार्ग प्रशस्‍त करेगा जिसकी देश में काफी आवश्यकता है। स्मार्टफोन से संचालित एक स्मार्ट एसी चार्जिंग पॉइंट के लिए 3,500 रुपये (50 डॉलर) से कम का लक्षित मूल्‍य देश में कम लागत वाले ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचा स्‍थापित करने में जबरदस्‍त सफलता हासिल करेगा।

भारत में शेयर्ड मोबिलिटी और सार्वजनिक परिवहन का समृद्ध इतिहास रहा है। इनमें से कई परिवहन साधन तो लोकप्रिय संस्कृति की पहचान बन गए हैं, जैसे- कोलकाता में ट्राम, मुंबई में लोकल ट्रेन और हाल में दिल्ली मेट्रो रेल। सार्वजनिक परिवहन एवं शेयर्ड मोबिलिटी के लिए भारतीय यात्रियों की व्यवहार संबंधी प्राथमिकता इलेक्ट्रिक वाहनों को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। संशोधित फेम 2 के तहत मुंबई, दिल्ली, बेंगलूरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, सूरत और पुणे जैसे भारतीय शहरों में अधिकतम विद्युतीकरण हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इससे न केवल बड़े पैमाने पर ई-बसों का विद्युतीकरण होगा बल्कि अन्य शहरों में उसे दोहराने के लिए एक खाका भी तैयार होगा।

इलेक्ट्रिक रिक्शा प्रतिदिन 6 करोड़ से अधिक लोगों को परिवहन सुविधा प्रदान करते हैं

भारतीय शहरों में तिपहिया वाहनों का व्‍यापक प्रसार देखा गया है क्योंकि ये दूरदराज के इलाकों के लिए किफायती और पॉइंट-टु-पॉइंट कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। इसके अलावा ये कई लोगों के लिए आजीविका के अवसर पैदा भी करते हैं। भारतीय सड़कों पर 20 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक रिक्शा चल रहे हैं जो प्रतिदिन 6 करोड़ से अधिक लोगों को परिवहन सुविधा प्रदान करते हैं। ई-3डब्‍ल्‍यू की बड़े पैमाने पर खरीद से कीमतों में भारी कमी आएगी और इसका लाभ भारत के दूर-दराज के इलाकों तक भी पहुंचेगा।

भारतीय सड़कों पर 20 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक रिक्शा चल रहे हैं pic(social media)

सब्सिडी को 10,000 प्रति किलोवॉट ऑवर से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति किलोवॉट ऑवर

अक्टूबर 2013 में प्रतिष्ठित आईआईटी मद्रास में दो पूर्व छात्रों की वापसी हुई जिन्होंने लीथियम आयन बैटरी पैक विकसित करने का निर्णय लिया। दोनों पूर्व छात्रों ने भारत का पहला स्मार्ट इलेक्ट्रिक स्कूटर एथर एस340 बनाया। उसके आठ साल बाद एथर एनर्जी प्रतिदिन सौ से अधिक स्मार्ट इलेक्ट्रिक स्कूटर का निर्माण कर रही है और संशोधित प्रावधानों को लागू करने वाली पहली कुछ फर्मों में शामिल है। नई फेम 2 योजना के नियमों के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया के लिए सब्सिडी को 10,000 प्रति किलोवॉट ऑवर से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति किलोवॉट ऑवर कर दिया गया है। जबकि इंसेंटिव की सीमा को पहले के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है।

बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति को बनाए रखने और वैश्विक बाजारों में बढ़ने के लिए भारत को इलेक्ट्रिक दोपहिया (ई-2डब्‍ल्‍यू) के लिए बदलाव को अवश्‍य अपनाना चाहिए। ई-2डब्‍ल्‍यू विद्युतीकरण के लिए सबसे आसान है क्योंकि इस श्रेणी में बैटरी का आकार छोटा है और इसमें स्‍वचालन एवं बिजली इलेक्ट्रॉनिक्स कम है। ऐसे में उसका विनिर्माण अपेक्षाकृत आसान है। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है कि हाल में ओला जैसे उद्योग द्वारा की गई पहल इस दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम हैं। ओला ने 33 करोड़ डॉलर के निवेश से एक मेगा-फैक्‍ट्री स्‍थापित करने की योजना बनाई है जहां 2022 से 1 करोड़ से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन होगा। साथ ही, फेम 2 में हालिया बदलावों का जमीनी स्‍तर पर प्रभाव पहले से ही देखा जा रहा है। इसी क्रम में रिवोल्‍ट मोटर्स ने 2 घंटे से भी कम समय में 50 करोड़ रुपये मूल्‍य की बाइकों की बिक्री की। स्मार्ट इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने से भारत की अन्य देशों पर ऊर्जा निर्भरता भी कम होगी। ई-2डब्ल्यू की सफलता निस्संदेह भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी और इसे दुनिया का निर्यात केंद्र बनाएगी।

बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन की रीढ़ है

इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास का अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा जिसमें बैटरी भंडारण प्रमुख क्षेत्रों में से एक होगा। बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन की रीढ़ है जो उसकी लागत का 40-50 प्रतिशत हिस्‍सा है। भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और भंडारण में उपयोग के लिए लगभग 1,200 जीडब्‍ल्‍यूएच बैटरी की आवश्यकता है। हाल में भारत सरकार ने 2030 तक 31,600 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एडवांस्‍ड सेल केमिस्‍ट्री (एसीसी) बैटरी के विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भी शुरू की है। पीएलआई योजना के साथ मिलकर फेम 2 की हालिया रीमॉडलिंग देश में बैटरी परिवेश को बेहतर करने के लिए अवसर प्रदान करेगी।

कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनिया को शून्‍य अपशिष्ट वाली स्‍थायी जीवन शैली के प्रति बढ़ती जागरुकता के साथ एक क्रांति के शिखर पर ला दिया है। भारत परिवहन के शून्य उत्सर्जन वाले साधनों को आगे बढ़ाने और उस बदलाव का नेतृत्व करने के लिए अच्छी स्थित में है। फेम 2 योजना की हालिया रीमॉडलिंग से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में काफी प्रोत्साहन मिलेगा। ये प्रोत्साहन भारत भर में स्वच्छ मोबिलिटी के भविष्य का मार्ग प्रशस्‍त करेंगे, भारत की परिवहन प्रणाली को समृद्ध करेंगे और भारतीयों द्वारा परिवहन विकल्‍प के चयन पर एक अमिट छाप छोड़ेंगे।

ये लेखक के निजी विचार हैं। लेखक अभिताभ कान्त नीति आयोग के सीईओ हैं।

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