Foreign Policy: भारत से चीन आगे क्यों ?

Foreign Policy: हम चीन को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना प्रतिद्वंदी समझते हैं और अपनी जनता को हम यह समझाते रहते हैं कि देखो, हम चीन से कितने आगे हैं। लेकिन कल ईरान और सउदी अरब के बीच जो समझौता हुआ है, उसका सारा श्रेय चीन लूटे चले जा रहा है और भारत बगलें झांक रहा है।

Written By :  Dr. Ved Pratap Vaidik
Update: 2023-03-12 04:14 GMT

Foreign Policy of India and China (Photo: Social Media)

Foreign Policy: विदेश नीति के मामले में चीन कैसे भारत से ज्यादा सफल हो रहा है, इसका ताजा उदाहरण हमारे सामने आया है। हम चीन को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना प्रतिद्वंदी समझते हैं और अपनी जनता को हम यह समझाते रहते हैं कि देखो, हम चीन से कितने आगे हैं। लेकिन कल ईरान और सउदी अरब के बीच जो समझौता हुआ है, उसका सारा श्रेय चीन लूटे चले जा रहा है । भारत बगलें झांक रहा है। पिछले सात साल से ईरान और सउदी अरब के बीच राजनयिक संबंध भंग हो चुके थे, क्योंकि सउदी अरब में एक शिया मौलवी की हत्या कर दी गई थी। 

ईरान एक शिया राष्ट्र है। तेहरान स्थित सउदी राजदूतावास पर ईरानी शियाओं ने जबर्दस्त हमला बोल दिया था। सउदी सरकार ने कूटनीतिक रिश्ता तोड़ दिया। इस बीच सउदी अरब और ईरान पश्चिम एशियाई देशों के आंतरिक मामलों में एक-दूसरे के विरूद्ध हस्तक्षेप भी करते रहे। यमन, सीरिया, एराक और लेबनान जैसे देशों में एक-दूसरे के समर्थकों को सैन्य-सहायता भी देते रहे। सउदी अरब ने ईरान पर ये आरोप भी लगाए कि यमन के हाउथी बागियों से उसने सउदी अरब में सीमा-पार से प्रक्षेपास्त्र और ड्रोन आक्रमण भी करवाए तथा उसके तेल के कुओं को उड़ाने की भी कोशिशें कीं।

दोनों इस्लामी देशों के संबंध इतने कटु हो गए थे कि सउदी अरब के शासक मोहम्मद बिन सलमान ने यहां तक कह दिया कि आयतुल्लाह खामेनई ‘नया हिटलर’ है। सउदी अरब लंबे समय से अमेरिका के नजदीक रहा है। इस्राइल के साथ उसके संबंधों को सहज बनाने में अमेरिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। लेकिन अमेरिका-ईरान संबंधों में पिछले 40-42 साल से गहरा तनाव है। दोनों राष्ट्रों के बीच व्यापार, आवागमन, कूटनीतिक संबंध तथा अन्य क्षेत्रों में दुश्मनों के जैसा व्यवहार रहा है लेकिन इन दोनों मुस्लिम राष्ट्रों से भारत के संबंध सहज और उत्तम रहे हैं।

दोनों को हमने पटा रखा है, यह हमारी कूटनीतिक चतुराई है । लेकिन क्या यह काफी है? दोनों राष्ट्र हमसे अच्छे संबंध बनाए रखते हैं, क्योंकि दोनों के मतलब सिद्ध हो रहे हैं। लेकिन क्या भारत कोई बड़ी भूमिका निभा पा रहा है? नहीं! जैसे वह यूक्रेन के मामले में ठकुरसुहाती बोलता रहता है, वैसे ही ईरान और सउदी के मामले में भी वह रामाय स्वास्ति और रावणाय स्वस्ति करता रहता है। इस मामले में चीन ने भारत को मात दे दी है। चीन के प्रसिद्ध राजनयिक वांग ई ने इन दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को बुलाकार पेइचिंग में बिठाया और उनके बीच समझौता करवा दिया।

अब अगले दो माह में ईरान और सउदी कूटनीतिक संबंध स्थापित कर लेंगे और दोनों ने एक-दूसरे की संप्रभुता के सम्मान की घोषणा भी की है। यह चीनी पहल उसे विश्व राजनीति में विशेष स्थान दिलवाने में मदद करेगी। यों तो भारत की विदेश नीति भारत के राष्ट्रहित की रक्षा काफी ठीक से कर रही है । लेकिन उसके पास कुछ प्रतिभाशाली नेता और तेजस्वी अधिकारी हों तो आज की दिग्भ्रमित विश्व-राजनीति में वह काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

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