Atul Anjaan Passes Away: विद्रोही कॉमरेड अतुल अंजान हमारी यादों में

Atul Anjaan Passes Away: लखनऊ विश्वविद्यालय के लोकप्रिय छात्रसंघ अध्यक्ष रहे अतुल अंजान आजीवन छात्र आंदोलन के जेपी मूवमेंट वाली पीढ़ी और नए छात्र/नौजवानों में एक समन्वयकारी भूमिका में रहते थे।

Written By :  Manendra Mishra Mashal
Update: 2024-05-03 08:31 GMT

अतुल अंजान   (फोटो: सोशल मीडिया )

Atul Anjaan Passes Away: कॉमरेड अतुल अंजान नहीं रहे। शुक्रवार सुबह लखनऊ के एक निजी हास्पिटल में कैंसर से जूझ रहे अतुल अंजान ने अंतिम सांस लिया। उनका पूरा जीवन ही सार्वजनिक था जिसमें निजी जैसा कुछ भी नहीं था। हमारी पीढ़ी के लिए वह राजनीति,संविधान,जन सरोकार, सामाजिक मुद्दों सहित देश दुनिया के विभिन्न मसले जिनका असर आम जनता पर पड़ सकता है उन सभी विषयों के लिए इनसाइक्लोपीडिया थे। वामपंथी राजनीति के वे बड़े चेहरे थे। लेफ्ट यूनिटी के लिए पूरी प्रतिबद्धता होने के बाद भी अतुल अंजान समाजवादी, कॉन्ग्रेसी सहित वे सभी समूह जिनका भरोसा आपसी सौहार्द एवं उपेक्षितों/किसानों के प्रति रहता था उनसे संवाद करने में नहीं हिचकते थे।

हम लोगों का उनसे परिचय आज के बीस वर्ष पूर्व इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान हुआ था। प्रो बनवारी लाल शर्मा के संयोजन में आजादी बचाओ आंदोलन में सक्रिय रहते हुए हम लोगों ने उनके कई कार्यक्रम कराए जिनमें उन्हे करीब से सुनना हुआ था। उस समय सेज (SEZ स्पेशल इकनॉमिक जोन ) के खिलाफ अतुल अंजान का किसानों के समर्थन में दिए गए वक्तव्य की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा थी। जनजातीय क्षेत्रों में मानवाधिकारों के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी। वामपंथी राजनीति को पसंद न करने वाले लोग भी उनका भाषण सुनने दूर दूर से आते थे।

दिल्ली स्थित मावलंकर हाल, कांस्टीट्यूशन क्लब, तीन मूर्ति लाइब्रेरी में शहीदे आजम भगत सिंह, सामयिक मुद्दों पर कामरेड ए बी वर्धन के साथ अतुल अनजान की उपस्थिति हर बार एक नया विमर्श पैदा कर देती थी। 2019 में दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में 12-13 जुलाई को आयोजित समाजवादी समागम में उन्होंने राजनीति में विचार और जनाधार दोनों को बचाने के लिए समाजवादियों से आहवाहन किया था। इस उपलक्ष्य में विमोचित हुए समाजवादी विचार समग्र पुस्तक में प्रकाशित मेरे लेख समाजवादी सोच के प्रति नई पीढ़ी की चिंता को लेकर मंच से खूब सराहना किया और आयोजन में मेरे वक्तव्य से प्रभावित होकर सचेत किया था कि समाजवादी विचारधारा को नवीन प्रयोगों से सक्रिय किए रहना।

लोकप्रिय छात्रसंघ अध्यक्ष रहे अतुल अंजान

लखनऊ विश्वविद्यालय के लोकप्रिय छात्रसंघ अध्यक्ष रहे अतुल अंजान आजीवन छात्र आंदोलन के जेपी मूवमेंट वाली पीढ़ी और नए छात्र/नौजवानों में एक समन्वयकारी भूमिका में रहते थे। 2018 में लखनऊ विश्वविद्यालय के आन्दोलनरत छात्रों के जेल जाने पर मीसा बंदी एवं लोकतंत्र रक्षक सेनानी, सत्तर के दशक में मेरठ कॉलेज की छात्र राजनीति से निकले पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी की पहल पर प्रो रमेश दीक्षित(लखनऊ विश्वविद्यालय) एवं लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व पदाधिकारियों का सफल संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कराने का श्रेय अतुल को ही रहा। लखनऊ छात्रसंघ के इतिहास में यह अपने आप में अनूठी घटना थी जिसमें पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों में अतुल अंजान, सत्यदेव त्रिपाठी, अरविन्द सिंह गोप, अरविन्द कुमार सिंह, डॉ राजपाल कश्यप प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इसका असर यह रहा कि जेल में बंद छात्रनेताओं की जल्द रिहाई हो गयी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में लखनऊ विश्वविद्यालय में सरकारी धन का दुरुपयोग को लेकर प्रोटेस्ट करने वाले छात्र-छात्राओं की गिरफ्तारी और उत्पीड़न की निंदा की गई थी।

अतुल अंजान को अपने गृह जनपद मऊ से बेहद लगाव था। जहां उनके प्रयास से 31 दिसंबर 2015 को तत्कालीन समाजवादी सरकार में नेता जी मुलायम सिंह यादव एवं उस समय मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने जनपद के महान विभूति रहे पंडित अलगू राय शास्त्री और कामरेड जय बहादुर सिंह की प्रतिमा की स्थापना मऊ कलेक्ट्रेट परिसर में किया गया।


हजरतगंज कॉफी हाउस की बैठकी

कामरेड अतुल अंजान की हजरतगंज कॉफी हाउस की बैठकी बेहद चर्चित थी। जिसमें लखनऊ के सिविल सोसायटी से जुड़े अनेक लोग शामिल होते थे। जिनमें नेता, पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर शामिल रहते थे। उनके होने से अन्याय के खिलाफ किसी भी आंदोलन,धरना, प्रदर्शन में लोगों को एक मजबूत संबल मिलता था। सच कहने का उनमें गजब का साहस था। वे आजीवन सिद्धांत और ईमानदारी की राजनीति करते रहे। उनके निधन ने समाज में एक जनपक्षकार की रिक्तता पैदा कर दिया। यह शून्यता लंबे समय तक बनी रहेगी जिसकी भरपाई मुश्किल है। अतुल अनजान अपने अर्थपूर्ण लेखों, ओजस्वी भाषणों और विद्रोही तेवर के लिए हमारी स्मृतियों में बने रहेंगे। हाशिये की मुखर आवाज अतुल अनजान को अंतिम प्रणाम।


(मणेंद्र मिश्रा मशाल, यश भारती सम्मानित, संस्थापक समाजवादी अध्ययन केंद्र)

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