Demonetization: क्या PM मोदी का नहीं था नोटबंदी का प्लान, किसके कहने पर लिया ये फैसला
Demonetisation in India: महिला जज बी.वी. नागरत्न ने अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को या तो नोटबंदी की घोषणा संसद से पास करवानी थी या उसके पहले वह अध्यादेश भी जारी करवा सकती थी।
Demonetisation in India: नोटबंदी 2016 के नवंबर माह में लागू हुई थी। उसके खिलाफ जो याचिकाएँ सर्वोच्च न्यायालय में लगी थीं, वे सब रद्द हो गई हैं, क्योंकि पाँच जजों में से चार ने फैसला दिया है कि नोटबंदी घोषित करने में मोदी सरकार ने किसी नियम या कानून का उल्लंघन नहीं किया था। महिला जज बी.वी. नागरत्न ने अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार को या तो नोटबंदी की घोषणा संसद से पास करवानी थी या उसके पहले वह अध्यादेश भी जारी करवा सकती थी। किसी भी जज ने असली मुद्दे पर अपनी कोई राय जाहिर नहीं की है। असली मुद्दा क्या है? वह यह है कि क्या नोटबंदी करना ठीक था? उससे देश को फायदा हुआ या नुकसान? इस मुद्दे पर अदालत की चुप्पी आश्चर्यजनक है।
बोकील का था नोटबंदी का विचार
नोटबंदी का मूल विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का था ही नहीं। यह विचार था पुणें की अर्थक्रांति नामक संस्था के अध्यक्ष अनिल बोकील का। उन्होंने पिछले 20 साल से इस विचार को विकसित करके नोटबंदी की योजना बनाई थी। जब बाबा रामदेव और मैं सारे देश में काले धन के विरूद्ध अभियान चला रहे थे, तब बोकील हम लोगों से मिले। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को अपनी योजना से अवगत करवाने का आग्रह बोकील ने मुझसे किया। मोदी ने उन्हें दस मिनिट का समय दिया । लेकिन डेढ़-दो घंटे तक बात की और प्रधानमंत्री बनने पर एक दिन अचानक नोटबंदी की घोषणा कर दी। इस योजना को उन्होंने अत्यंत गोपनीय रखा। यह जरुरी भी था। लेकिन नोटबंदी बुरी तरह से पिट गई। सैकड़ों गरीब लोग लाइनों में खड़े-खड़े मर गए। एक हजार के नोट खत्म किए । लेकिन दो हजार के शुरु कर दिए, नए नोट छापने में 50 हजार करोड़ रु. खपा दिए, देश की 86 प्रतिशत नगदी पर प्रतिबंध लग गया। नेताओं और सेठों ने बैंकों से जोड़-तोड़ करके अपने काले धन को धड़ल्ले से सफेद कर लिया और गरीब लोग मारे गए।
मोदी को जनता की माफ़ी
बोकील की योजना के मुताबिक सबसे ऊँचा नोट सिर्फ 100 का होना चाहिए था, हर बैंकिंग लेन-देन पर नाम-मात्र का टैक्स लगाना था, और आयकर को पूरी तरह से खत्म करना था। इनमें से एक भी शर्त पूरी नहीं की गई। सारी साहसिक और सराहनीय योजना चौपट हो गई। अब काले धन का भंडार बनाना और आसान हो गया । लेकिन फिर क्या वजह है कि 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी को जनता ने दंडित नहीं किया? भाजपा की सीटें और वोट बढ़ गईं? इसका एक ही कारण है। नोटबंदी के पीछे नरेंद्र मोदी का इरादा शुद्ध लोक-कल्याण का था। कोई काम आपसे बिल्कुल गलत हो जाए लेकिन उसके पीछे अगर आपका इरादा पवित्र हो तो भारतीय जनता इतनी समझदार है कि वह आपको माफ कर देती है।