नशा मुक्ति संकल्प एवं शपथ दिवस

गांधीजी का मानना था की नशा हर व्यक्ति के लिए बहुत ही हानिकारक होता है परंतु अगर नवयुवक इस की लत में आ जाते हैं तो उस देश के विकास में बाधा आने लगती है| इसीलिए समाज कल्याण विभाग द्वारा नशा मुक्ति दिवस 30 जनवरी को बृहद रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।

Update: 2021-01-30 07:35 GMT
नशा मुक्ति के लिए अनेक दिवस है परंतु आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प एवं शपथ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

राजीव गुप्ता जनस्नेही

नशा एक ऐसी बीमारी है जो आदमी के शरीर और दिमाग दोनों को खोखला कर देती है |वैसे तो नशा मुक्ति के लिए अनेक दिवस है परंतु आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प एवं शपथ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

गांधीजी का मानना था की नशा हर व्यक्ति के लिए बहुत ही हानिकारक होता है परंतु अगर नवयुवक इस की लत में आ जाते हैं तो उस देश के विकास में बाधा आने लगती है| इसीलिए समाज कल्याण विभाग द्वारा नशा मुक्ति दिवस 30 जनवरी को बृहद रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर जन सामान्य से नशा मुक्ति के संकल्प एवं शपथ पत्र पर हस्ताक्षर के माध्यम से व्यसन मुक्ति हेतु सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

लोगों में नशा के दुष्परिणामों के प्रचार प्रसार के साथ नशा पीड़ितों को नशा मुक्ति के लिए प्रेरित किया जाता है। समाज कल्याण इस संबंध में सभी कलेक्टरों को और विभागीय जिला अधिकारियों को विस्तृत कार्य योजना के माध्यम से प्रचार प्रसार कराया जाता है। हर जिले में इस दिन विभाग द्वारा रैली, पेंटिंग, वाद विवाद प्रतियोगिता और कैंप लगाकर शपथ पत्र पर ना केवल हस्ताक्षर कराए जाते हैं बल्कि दुष्परिणामों को भी बताया जाता है।

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विद्यालय एवं महाविद्यालयों में भी वाद-विवाद, चित्रकला, गीत, नृत्य नाटक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। समारोह में प्रदर्शनी के माध्यम से नशे के दुष्परिणामों के परिणामों को बताया जाता है। साथ ही नशे से किस तरह से बचा जा सकता है और किस तरीके से छुटकारा पाया जा सकता है इसका भी साहित्य बांटा जाता है। योग आचार्यों द्वारा योगाभ्यास का प्रदर्शन करके बताया जाता है कि आप अपने मन को और मस्तिष्क को नशे से कैसे दूर कर सकते हैं।

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हम सभी जानते हैं किसी भी धर्म में शराब या अन्य मादक पदार्थ जीवन के लिए जरूरी नहीं है ना ही इसको लेने का इसके सेवन का समर्थन किया जाता है| स्वतंत्र भारत के संविधान के भाग 4 की 47 वी धारा के अनुसार मादक पदार्थों का विरोध किया जाता है। अभी देश में पांच राज्यों गुजरात, नागालैंड, मिजोरम, केरल और मणिपुर तथा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में कानूनी शराबबंदी लागू है| केवल सरकार के द्वारा नियम बनाने से यह पढ़ाई समाप्त नहीं हो सकती।

शराब तथा अन्य मादक पदार्थों से उत्पादन होने वाली फसलों को भी हमें ना केवल रोकना होगा बल्कि अन्य प्रदेशों में जिस तरीके से इन मादक पदार्थों के ठेके उठाए जाते हैं उन पर भी रोक लगाना आवश्यक है। इस विषय में भारत विकास परिषद ने नशामुक्ति को एक राष्ट्रीय प्रकल्प के रूप में अपनी 1350 से अधिक शाखाओं के माध्यम से राष्ट्र जागरण के लिए अपनाया है। शाखाएं विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम करके समाज में चेतना जगाने के कार्य में लिप्त हैं। अगर हमें किसी राष्ट्र का उत्थान करना है तो महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर हमें नशा मुक्ति संकल्प एवं शपथ लेकर अपने नव युवकों को इस बुरी आदत से बचाना होगा।

(राजीव गुप्ता जनस्नेही, लोक स्वर आगरा)

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