विश्व में गांधी सदा के लिए
हम महात्मा गांधी के आविर्भाव का 150 वां वर्ष मनाने जा रहे हैं, यह वर्ष उनकी मुख्य रचना हिंद स्वराज के लेखन का सौवां वर्ष भी है। यही नहीं वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र ने गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय पर्व के रूप में मना कर प्रारंभ कर दिया है।
केपी मिश्र
हम महात्मा गांधी के आविर्भाव का 150 वां वर्ष मनाने जा रहे हैं, यह वर्ष उनकी मुख्य रचना हिंद स्वराज के लेखन का सौवां वर्ष भी है। यही नहीं वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र ने गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय पर्व के रूप में मना कर प्रारंभ कर दिया है।
विश्व की राजनीति, राजनेताओं, अर्थ चिंतकों, दार्शनिकों और लेखकों पर महात्मा गांधी के विचारों का प्रभाव सर्वत्र दर्शित होता है तथा उनकी प्रासंगिकता समय के साथ निरंतर बढ़ती हुई दिखाई देती है।
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भारत में जन्मे गांधी (मोहनदास करमचंद गांधी) विश्व के लिए महात्मा बन चुके हैं और उन्हें युगपुरुष माना जाने लगा है, क्योंकि उनका जीवन दर्शन युगों को लांघकर संसार में सदा के लिए अनुकरणीय और प्रासंगिक माने जाने योग्य है।
गांधी का मार्ग स्पष्ट रूप से विश्व कल्याण का मार्ग है जो वर्तमान में फैली अशांति और मानव पीड़ा का एकमात्र संभव हल है। स्वार्थ और भौतिक प्रतिस्पर्धा के वर्तमान संसार में विज्ञान दिशाहीन होकर ईश्वर से मानो होड़ करता प्रगति कर रहा है। महात्मा गांधी द्वारा दिखाया गया मार्ग ही ऐसे समय में हमें हिंसा और महाविनाश से बचा सकता है।
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उनका संघर्ष मानवता को न्याय दिलाने के लिए है। वर्तमान विश्व के पटल पर दर्शित और चर्चित विचारधाराएं जैसे प्रकृति मैत्री, सावचेत चिंतनशीलता, सादे वानस्पतिक आहार, धीमी जीवन प्रणाली और सुलझी सोच आदि महात्मा गांधी की प्रारंभिक प्रतिबद्धताओं में ही दिखाई देती हैं। सत्याग्रह से स्वार्थ रहित जीवन, अहिंसा से अपरिग्रह तथा एक महाव्रत से सभी महाव्रतों की सिद्धि तक सरलता से पहुंचने का मार्ग दिखाते हैं।
आज हम हर समय डिजिटल वर्ल्ड में जीने वाले, नेट से सतत जुड़े रहते हैं। यह वातावरण अनंत स्वविस्तार और अहंकारी प्रतिफलों की क्षमता रखता है और हमारे आत्म भाव को निरंतर कम करके हमें खोखला बनाता है। गांधीजी आवश्यक श्रम, हजार कदम रोज चलने और न्यूनतम प्राकृतिक आहार की शिक्षा देते हैं।
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वर्तमान युग की त्वरित परिवर्तन शीलता में व्यक्ति समाज और देश की समस्त समस्याओं का क्रमागत समाधान महात्मा गांधी के 11महाव्रतों से सहज संभव है (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, असंग्रह, ब्रह्मचर्य, शरीर श्रम, अस्वाद, सर्वत्र भय वर्जना, सर्वधर्म समानत्व, स्व देशी एवं स्पर्श भावना-आदर)।
वे सरलता से संसार को हिलाने तथा प्रभावित झुकाने की राह दिखाने वाले विश्व के अकेले महानायक हैं। हम तानाशाही से विश्व को बचा सकते हैं, मशीनीकरण में पिस जाने से बच जाएंगे, जिसके लिए स्व से पहले सेवा, संचय से पूर्व त्याग तथा देने और भुला देने की परंपरा और संस्कार पैदा करने होंगे तथा महात्मा गांधी के अनुसार परिवर्तन की कामना से पूर्व स्वयं को परिवर्तित करने को प्राथमिकता देनी पड़ेगी।