Naresh Goyal: काश, नरेश गोयल रास्ते से न भटके होते

Naresh Goyal: जेआरडी टाटा में सही सहयोगियों को पहचानने और उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित करने का यह गुण अदभुत था। उन पर ईश्वरीय कृपा थी कि वे चुन-चुनकर एक से बढ़कर एक कुशल एक मैनेजरों को अपने साथ जोड़ लेते थे। काश, नरेश गोयल भी जेआरडी टाटा से कुछ गुण सीख लेते। नरेश गोयल की आगे की भी राह कोई बहुत आसान नहीं है।

Written By :  RK Sinha
Update:2024-02-06 16:49 IST

काश, नरेश गोयल रास्ते से न भटके होते: Photo- Social Media

Naresh Goyal: एक समय के विमानन की दुनिया में एयर इंडिया के बाद दूसरा स्थान रखने वाले जेट एयरवेज के फाउंडर चेयरमेन रहे नरेश गोयल की हाल ही में कुछ अखबारों में छपी एक फोटो में उनकी बेहद खराब सेहत हालत को देखकर उनके अनेकों मित्रों और करीबियों को निराश तो जरूर ही हुई होगी। नरेश गोयल आजकल मुंबई की एक जेल में विचाराधीन क़ैदी के रूप में बंद हैं। उन पर धोखाधड़ी के बहुत से केस चल रहे हैं। उनकी पत्नी भी बीमार है। उन्होंने मुंबई की एक अदालत में यहां तक कहा कि अब उन्हें मर ही जाना चाहिए। भारत के एविएशन सेक्टर के कभी शिखर नाम रहे नरेश गोयल की मौजूदा हालत और उनके पीछे के कारण, वास्तव में एक बड़ा सबक है, बिजनेस की दुनिया के लोगों के लिए।

नरेश गोयल 1970 के दशक के अंत से लेकर 1980 के दशक में राजधानी के बंगाली मार्केट की एक बरसाती में रहते थे। उन्होंने कुछ दिनों तक मशहूर बंगाली स्वीट हाउस में नौकरी भी की थी। नरेश गोयल बंगाली मार्केट के एक घर की बरसाती में कुछ दोस्तों के साथ साझा किरायेदार के रूप में रहते थे। बंगाली मार्केट के अलावा नरेश गोयल माहबत खान रोड के सरकारी घरों में भी किराए पर रहे। वे तब दिल्ली के अंसल भवन की एक एयरलाइंस की टिकटों का बिजनेस काम करने वाली छोटी सी कंपनी में काम करते थे। वे सुबह-शाम का खाना बंगाली मार्केट के करीब रिफ्यूजी मार्केट में खा लिया करते थे। वे पंजाब के शहर संगरूर से दिल्ली आए थे। बेशक, वे नरेश गोयल के संघर्ष के दिन थे। वे दिन-रात मेहनत करते रहते थे।

नरेश गोयल

नरेश गोयल दिल्ली में नौकरी करने के इरादे से तो नहीं आये थे। उनके कई बड़े सपने थे। संघर्ष के दिनों में भी उनकी तमन्ना आकाश को छूने की ही रहती थी। कुछ दिनों तक बंगाली मार्केट में नौकरी करने के बाद वे पूरी तरह से एयरलाइंस की दुनिया में डूब गए। उन्होंने सबसे पहले इराक और कुवैत एयरलाइंस की टिकटों को बेचने का काम शुरू किया। नरेश गोयल का धंधा उनकी मेहनत से फौरन चमकने लगा। वे जल्द ही मोटी रक़म कमाने लगे। उसी दौर में उन्होंने ईस्ट दिल्ली में एक घर भी खरीद लिया।

नरेश गोयल का काम और चमका तो वे चार्टर फ्लाइट के बिजनेस में कूद पड़े। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकर देखने की जरूरत नहीं समझी। नरेश गोयल अमृतसर से चार्टर फ्लाइट लेकर लंदन जाने लगे। उनका दिल्ली, अमृतसर, मुंबई और लंदन लगातार आना-जाना लगा रहता।

सरकार ने जब 1991 के बाद एविएशन सेक्टर में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश (एफडीआई) का रास्ता खोला, तो नरेश गोयल को लगा कि अब आकाश में उड़ने का वक्त आ गया है। वे तब मुंबई पूरी तरह से शिफ्ट हो गए। वहां पर उन्हें बिजनेस की दुनिया को करीब से जानने का मौका मिला। उसके बाद वे अपने दिल्ली के दोस्तों से दूर होते चले गए। बंगाली मार्केट कहीं बहुत पीछे छूट गई। मुंबई में उन्हें एक नया सर्किल मिल गया। वे जेआरडी टाटा के भी करीबी बन गए। उन्होंने जेट एयरवेज लांच की तो शाहरुख खान, जावेद अख्तर और यश चोपड़ा को अपनी एयरलाइंस कंपनी का डायरेक्टर बनाया। और, आज जब देश का एविएशन सेक्टर लंबी छलाँगे लगा रहा है, तब नरेश गोयल जेल में हैं। उनके जेट एयरवेज की उड़ानें 17 अप्रैल 2019 से बंद है। वे मुंबई की जेल में अपने दिल्ली के संघर्ष के दिनों के साथियों को याद तो ज़रूर ही करते होंगे।

नरेश गोयल से कामकाज के दौरान कुछ चूक तो ज़रूर ही हुई है। इसलिए ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में नरेश गोयल और पांच अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है ।

देखा जाए तो नरेश गोयल को भी देश में आर्थिक उदारीकरण की बयार ने बिजनेस की दुनिया में कूदने की प्रेरणा दी। उदय कोटक, एन.नारायणमूर्ति, नंदन नीलकेणी,शिव नाडार, नरेश गोयल समेत सैकड़ों नौजवानों को 1990 के दशक में सही ही लगा कि अब कुछ उद्यम शुरू करने का वक्त आ गया है। इंस्पेक्टर और लाइसेंस राज से मुक्ति मिल गई है। सबने बहुत छोटे स्तरों से अपना कामकाज शुरू किया। इन सबको आर्थिक उदारीकरण ने अपने जौहर दिखाने के पर्याप्त अवसर भी दिए। सबने लंबी छलांग लगाई। पर शायद नरेश गोयल सही रास्ते से तनिक भटक गए। वे मुंबई की चकाचौंध भरी दुनिया में खो गए। वे अपनी जेट एयरवेज में एविएशन सेक्टर के विशेषज्ञों की बजाय बॉलीवुड की हस्तियों को कंपनी के बोर्ड में जगह देने लगे। नतीजा अब सबके सामने है। नरेश गोयल टाटा समूह के पुराण पुरुष जेआरडी टाटा के मित्र तो बन गए पर उनकी तरह अपने कोई सलाहकार नहीं रख सके।

जेआरडी टाटा: Photo- Social Media

जेआरडी टाटा की कोर टीम में अजित केरकर ( ताज होटल), एफ.सी. कोहली (टीसीएस), प्रख्यात विधिवेत्ता ननी पालकीवाला (एसीसी सीमेंट), रूसी मोदी (टाटा स्टील) वगैरह थे। जेआरडी टाटा लाख व्यस्त होने पर भी रोज अपने इन सलाहकारों से 45 मिनट से घंटे - डेढ़ घंटे की बैठक करते थे।

अगर आज भारत को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया सबसे खास शक्तियों में से एक माना जाता है और भारत का आईटी सेक्टर का व्यापार यदि करीब 200 अरब डॉलर प्रति साल तक पहुंच गया है, तो इसका श्रेय़ कुछ हद तक तो आपको एफ.सी. कोहली को तो देना ही होगा। आप कह सकते है कि कोहली जी ने ही देश में निर्यात परक आईटी उद्योग की नींव रखी। वे प्रौद्योगिकी जगत में नवोन्मेष और उत्कृष्टता की संस्कृति को संस्थागत स्वरूप देने वालों में सबसे आगे रहे। अगर उन्होंने देश के आईटी सेक्टर की नींव रखी तो जेआरडी टाटा को क्रेडिट देना होगा कि उन्होंने ही कोहली जी को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) को स्थापित करने और आगे चलकर उसे चलाने का भी जिम्मा सौंपा था। जेआरडी टाटा में सही सहयोगियों को पहचानने और उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित करने का यह गुण अदभुत था। उन पर ईश्वरीय कृपा थी कि वे चुन-चुनकर एक से बढ़कर एक कुशल एक मैनेजरों को अपने साथ जोड़ लेते थे। काश, नरेश गोयल भी जेआरडी टाटा से कुछ गुण सीख लेते। नरेश गोयल की आगे की भी राह कोई बहुत आसान नहीं है।

यह देखना होगा कि क्या वे अपने को कानून की नजरों में कभी निर्दोष साबित कर सकेंगे। नरेश गोयल अगर रास्ते से न भटकते और पूरे फोकस से अपनी जेट एयरवेज को चला रहे होते, तो वे आज वे भारतीय बिजनेस की दुनिया का चमकता हुआ सितारा होते। अफसोस यह हो न सका।नये उद्यमियों को इससे एक सीख लेने की ज़रूरत है , कि बिज़नेस में शोर्ट कट से पैसे पैदा करना घातक हो सकता है।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)

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