G20 summit 2023: भ्रष्टाचार विरोधी पहल की मुख्यधारा में लैंगिक समानता का समावेश

G20 summit 2023: लंबे समय से भ्रष्टाचार को “लैंगिक दृष्टि से निरपेक्ष” विषय के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन इधर इस तथ्य पर बहुत तेजी से ध्यान दिया गया है कि भ्रष्टाचार को लेकर महिलाओं और पुरुषों के अनुभव स्पष्ट रूप से अलग-अलग होते हैं।

Written By :  Dharitri Patnaik
Update:2023-09-09 09:47 IST

G20 summit 2023  (photo: social media )

G20 summit 2023: भ्रष्टाचार एक ऐसा नैतिक संकट है जो शासन के विभिन्न स्तंभों को खोखला कर देता है, विकास को बाधित करता है और जनता के विश्वास को खत्म कर देता है। लंबे समय से भ्रष्टाचार को “लैंगिक दृष्टि से निरपेक्ष” विषय के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन इधर इस तथ्य पर बहुत तेजी से ध्यान दिया गया है कि भ्रष्टाचार को लेकर महिलाओं और पुरुषों के अनुभव स्पष्ट रूप से अलग-अलग होते हैं। भ्रष्टाचार के दूरगामी निहितार्थ होते हैं, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करते हैं। लेकिन ये महिलाएं ही हैं जिन्हें इसका बोझ असंगत तरीके से ढोना पड़ता है। भ्रष्टाचार कोई अलग-थलग मुद्दा नहीं है। बल्कि इसमें लैंगिक आयाम जुड़ा हुआ है, जो असमानता को कायम रखता है और शक्ति के असंतुलन को मजबूत करता है। अंतरवर्गीय दृष्टिकोण अपनाकर लैंगिक समानता को प्रभावी ढंग से मुख्यधारा में लाना और किसी का भी पीछे न छूटना सुनिश्चित हो सकेगा।

भ्रष्टाचार-विरोध के लिए लैंगिक परिप्रेक्ष्य को लागू करने के क्रम में इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि भ्रष्टाचार कैसे महिलाओं और पुरुषों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। अनुभवजन्य साक्ष्यों से यह पता चलता है कि लैंगिक असमानता से ग्रसित समाजों में भ्रष्टाचार का स्तर अधिक व्यापक होता है। इसकी जड़ें शक्ति, संसाधनों और अवसरों के असमान वितरण में निहित होती हैं, जिसके कारण भ्रष्टाचार के विभिन्न स्तर सामने आते हैं। जब महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं एवं आर्थिक गतिविधियों से बाहर रखा जाता है, उनकी आवाज दबा दी जाती है और उनकी जरूरतों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो पारदर्शिता एवं जवाबदेही का अभाव पैदा होता है।

लैंगिक भेदभाव पर आधारित भ्रष्टाचार सार्वजनिक व आवश्यक सेवाओं को प्रभावित करता है, जिससे महिलाओं का जीवन और कल्याण खतरे में पड़ जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, राजनीति एवं कई अन्य क्षेत्रों में हम पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता भरा व्यवहार देखते हैं।

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लैंगिक समानता के विचारों का जी20 की मुख्यधारा 

डब्ल्यू20, जी20 का एक आधिकारिक सहभागिता समूह (एंगेजमेंट ग्रुप) है। इस समूह का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लैंगिक समानता के विचारों का जी20 की मुख्यधारा की चर्चाओं में समावेश हो और इन विचारों को जी20 नेताओं की घोषणाओं में लैंगिक समानता को बढ़ावा देनेवाली नीतियों व प्रतिबद्धताओं के रूप में रूपांतरित किया जाए। डब्ल्यू20 ने अपने कार्यों को सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप ढाला है और वह विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम करता है जिसमें दूरदराज के आदिवासी गांवों से लेकर शहरी इलाकों तक के जनजीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़ी महिलाएं एवं पुरुष शामिल हैं।

जी20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान, डब्ल्यू20 इंडिया ने ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से 80,000 महिलाओं तक सीधे पहुंचते हुए भारत के 15 राज्यों और वैश्विक स्तर पर 200 से अधिक जनभागीदारी कार्यक्रमों का आयोजन किया है। अगले तीन वर्षों में दस लाख महिलाओं एवं लड़कियों को प्रशिक्षित करने हेतु एक कार्रवाई-उन्मुख डिजिटल कौशल पहल भी शुरू की गई है। डब्ल्यू20 ने महिलाओं के नेतृत्व में विकास से संबंधित प्रथम उत्तरदायी ढांचा और एक सार-संग्रह तैयार किया। डब्ल्यू20 ने इक्कीस ज्ञान साझेदारों के साथ मिलकर काम किया है, जिनमें जमीनी स्तर के संगठनों से लेकर वैश्विक स्तर के परामर्शदाता शामिल हैं। भारत के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और डब्ल्यू20 के पहले के कार्यों के आधार पर निर्धारित किए गए पांच प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर महिलाओं का नेतृत्व, छोटे एवं मध्यम स्तर के उद्यमों के लिए उद्यमिता, शिक्षा एवं कौशल विकास, लैंगिक आधार पर व्याप्त डिजिटल अंतराल को पाटना और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में महिलाओं एवं लड़कियों को पर्यावरणीय बदलाव के वाहक (इको चेंजमेकर) के रूप में उभारना शामिल है।

परिवर्तन के समर्थक के रूप में, डब्ल्यू20 के ऊपर समाज में सभी स्तरों पर पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिक आचरण की हिमायत करने की जिम्मेदारी है। यह सुनिश्चित करना भी हमारी ज़िम्मेदारी है कि प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह महिला हो या पुरुष, को अवसर एवं संसाधन समान रूप से सुलभ हों और उसे अपने भाग्य को आकार देने वाले विकल्प को चुनने की आजादी हासिल हो। भ्रष्टाचार के कायम रहने और लैंगिक असमानताओं के बढ़ने के विभिन्न तरीकों का विश्लेषण करके, हम प्रगति में बाधा डालने वाली प्रणालीगत बाधाओं को दूर करने के करीब पहुंचते हैं।

जैसा कि प्रसिद्ध दार्शनिक श्री अरबिंदो ने कहा है, “बात नहीं, काम करो”, दुनिया बातों से भरी पड़ी है लेकिन सार्थक काम बहुत कम हुए हैं। हमें विमर्श से परे जाकर भ्रष्टाचार मिटाने और महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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जी20 सदस्यों के साथ अपनी सक्रिय भागीदारी 

डब्ल्यू20 कुछ वैसी सिफारिशों को सुदृढ़ करने और उन पर जोर देने के लिए जी20 सदस्यों के साथ अपनी सक्रिय भागीदारी जारी रखेगा, जिन पर जी20 देशों की सरकारें व नागरिक समाज लैंगिक भेदभाव एवं भ्रष्टाचार के बारे में अपनी समझ को ठोस करने और अपने भ्रष्टाचार-विरोधी कार्यक्रमों एवं नीतियों में लैंगिक परिप्रेक्ष्य को शामिल करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने हेतु विचार और अमल कर सकते हैं। सभी स्तरों पर महिलाओं की समान और सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के लक्ष्य की दिशा में काम करते हुए, जी20 देशों को लैंगिक भेदभाव के प्रति संवेदनशील भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों एवं उपायों को विकसित करने की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी को मजबूत करने और सार्वजनिक भर्ती प्रक्रियाओं में लैंगिक समानता तथा शीर्ष स्तर के पदों पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व का आकलन करने का काम करना चाहिए। जी20 के सदस्यों को लैंगिक भेदभाव और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपने शोध एवं ज्ञान के आधार को बढ़ाना चाहिए और लैंगिक आधार पर वर्गीकृत आंकड़ों का विश्लेषण भी करना चाहिए। लैंगिक आधार पर होने वाले भ्रष्टाचार के प्रभाव के बारे में अगली पीढ़ी को संवेदनशील बनाने के लिए शिक्षा प्रणाली में क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों से संबंधित मॉड्यूलों का समावेश किया जाना चाहिए। व्यवस्था को निष्पक्ष एवं अधिक पारदर्शी बनाने हेतु, जी20 के सदस्य देश सेवाओं की आपूर्ति, सार्वजनिक खरीद, व्हिसलब्लोअर सुरक्षा आदि के डिजिटलीकरण से संबंधित लैंगिक भेदभाव के प्रति संवेदनशील पहलों की खोज एवं कार्यान्वयन की दिशा में काम कर सकते हैं।

डब्ल्यू20, सी20, टी20, बी20 जैसे सहभागिता समूह जी20 के सदस्यों के साथ भागीदारी करना और उनकी नीतिगत चर्चाओं एवंकार्यान्वन से जुड़ी पहलों का समर्थन करना जारी रखेंगे। इन समूहों को सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार से लड़ने में लैंगिक समानता एवं महिलाओं के सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए और विभिन्न सरकारी व निजी क्षेत्रों में लैंगिक आधार पर होने वाले भ्रष्टाचार के प्रभावों का आकलन करके इस बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए कि भ्रष्टाचार कैसे पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। इन सहभागिता समूहों को जमीनी स्तर पर डिजिटल और भ्रष्टाचार विरोधी प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू करना चाहिए।

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भ्रष्टाचार और लैंगिक असमानता के खिलाफ लड़ाई केवल एक नैतिक दायित्व ही नहीं है, बल्कि यह प्रगति के लिए बेहद महत्वपूर्ण भी है। लैंगिक आधार पर होने वाले भ्रष्टाचार के प्रभावों पर ध्यान देकर, हम असमानता को कायम रखने वाले दुष्चक्र को तोड़ सकते हैं और लैंगिक समानता के प्रति अधिक संवेदनशील भ्रष्टाचार विरोधी पहल एवं नीतियों में योगदान करने का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। अब जी20 सदस्यों के लिए समय आ गया है कि ‘भ्रष्टाचार विरोधी पहल की मुख्यधारा में लैंगिक समानता के समावेश’ विषय से जुड़े सभी हितधारकों द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढ़ाया जाए और लैंगिक समानता एवं भ्रष्टाचार से संबंधित मुद्दों पर गौर करते हुए कुछ ठोस नतीजे पेश किए जाएं।

( लेखिका डब्ल्यू20 इंडिया की मुख्य समन्वयक हैं/ इस लेख में व्यक्त किए गए विचार पूरी तरह से लेखक के हैं और जरूरी नहीं कि लेखक के नियोक्ता, संगठन, समिति या अन्य समूह या व्यक्ति के हों।)

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