G20 summit 2023: भारत की जी20 अध्यक्षता, बहुपक्षीय संगठनों को सभी के लिए प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
G20 summit 2023: इन व्यापक संकटों की पृष्ठभूमि में, बहुपक्षीय संगठनों में सुधार और सुदृढ़ीकरण की तत्काल आवश्यकता हो गयी है। इस प्रयास में, न केवल बहुपक्षीय संगठनों को उनकी भूमिका के लिए मजबूती देना, बल्कि वैश्विक राजनीति और शक्ति संतुलन को अच्छी तरह से समझना भी शामिल हैं।
G20 summit 2023: भारत ने दिसंबर 2022 में जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की - एक ऐसा समय, जब दुनिया जलवायु आपातकाल का सामना कर रही थी, महामारी के प्रभाव से जूझ रही थी और बढ़ते ध्रुवीकरण, भू-राजनीतिक संघर्ष और शक्ति संतुलन के बीच विभाजित थी। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति की असफलता से स्थिति और गंभीर हो गयी, जिनके कारण सरकारों तथा नीति निर्माताओं को अतिरिक्त बोझ का सामना करना पड़ा। इस जटिल परिदृश्य में, बहुपक्षीय संगठनों को अपनी भूमिका को प्रभावी बनाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित और मजबूत करने में एक सतत संघर्ष के रूप में सामने आया। समय बीतने के साथ, राष्ट्रों के अलग-अलग रास्तों ने ब्रिक्स, क्वाड, आसियान जैसे विभिन्न बहुपक्षीय मंचों के गठन को प्रेरित किया है, जो एक तरफ तो क्षेत्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाते हैं, वहीं दूसरी तरफ विभाजित बहुपक्षीय व्यवस्था की जटिलताओं को बढ़ाते हैं।
इन व्यापक संकटों की पृष्ठभूमि में, बहुपक्षीय संगठनों में सुधार और सुदृढ़ीकरण की तत्काल आवश्यकता हो गयी है। इस प्रयास में, न केवल बहुपक्षीय संगठनों को उनकी भूमिका के लिए मजबूती देना, बल्कि वैश्विक राजनीति और शक्ति संतुलन को अच्छी तरह से समझना भी शामिल हैं। आर्थिक और बहुपक्षीय सहयोग के एक प्रमुख मंच के रूप में, जी20 विकसित, उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के व्यापक आयाम का प्रतिनिधित्व करता है तथा मजबूत बहुपक्षीय संवादों के माध्यम से दुनिया की सबसे गंभीर चुनौतियों का समाधान करने से जुड़ी अपनी महत्वाकांक्षा की जिम्मेदारी लेता है, जिनसे सभी सदस्य देश लाभान्वित होते हैं।
अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत ने बहुपक्षीय कूटनीति के भरोसेमंद भविष्य की दिशा में वैश्विक चर्चाओं को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित करते हुए, इस एजेंडे को अपनी महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में से एक के रूप में प्रमुखता दी है।
एजेंडे के विभिन्न घटकों पर ठोस प्रगति हासिल
पूरे वर्ष के दौरान, इस एजेंडे के विभिन्न घटकों पर ठोस प्रगति हासिल की गई। जर्मनी की अध्यक्षता के तहत, जी20 विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक की शुरुआत की गयी थी। अपनी स्थापना के बाद से ही यह बैठक एक प्रथागत कार्यक्रम रही है, लेकिन भारत ने व्यापक विचार-विमर्श करने के बाद तैयार किये गए जी20 विदेश मंत्रियों के परिणाम दस्तावेज़ और अध्यक्षीय सारांश (एफएमएम ओडीसीएस) को अपनाने वाले पहले देश होने की उपलब्धि हासिल की है। सदस्य देशों के लिए, इस व्यापक दस्तावेज़ में प्रासंगिक महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें बहुपक्षीय संगठनों को मजबूत करना, आतंकवाद का मुकाबला करना और वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करना शामिल हैं। यह उपलब्धि विदेश मंत्रियों के सहयोग से एक ऐसी मजबूत बहुपक्षीय प्रणाली बनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जो सभी देशों के हितों को पूरा करती हो।
इसके अलावा, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के भीतर सुधारों से संबंधित चर्चाओं को प्रभावी ढंग से पुनर्जीवित किया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित इसके प्रमुख अंगों के पुनर्गठन पर विशेष रूप से अपना ध्यान केंद्रित किया। एफएमएम ओडीसीएस में सुधार के इन प्रयासों पर जोर दिया गया, जो संयुक्त राष्ट्र में ज्यादा देशों के प्रतिनिधित्व और समकालीन संरचना को बढ़ावा देने के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाता है। वैश्विक वास्तविकताओं का निरंतर विकास और वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आज की जरूरतों के साथ जोड़ने के महत्व को रेखांकित करता है। इसके अतिरिक्त, वर्तमान में जारी संघर्षों के विघटनकारी प्रभाव ने परिषद के संचालन में बाधाएं पैदा की हैं, जिनसे व्यापक सुधारों की तत्काल आवश्यकता को बल मिला है, ताकि इसकी प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके।
भारतीय अध्यक्षता ने बहुपक्षीय संगठनों को मजबूत करने के प्रयासों को परिश्रमपूर्वक आगे बढ़ाया। भारतीय अध्यक्षता के मार्गदर्शन में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह (आईईजी) की स्थापना के साथ बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार किये जाने को गति मिली। आईईजी का मिशन एमडीबी को मजबूत करने और एमडीबी इकोसिस्टम को अद्यतन करने के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार करने से जुड़ी सिफारिशें प्रदान करना था, ताकि 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में इसकी दक्षता सुनिश्चित की जा सके। 'बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करना: तीन एजेंडा' शीर्षक वाली दो-भाग की रिपोर्ट का प्रारंभिक खंड सदस्य देशों को पहले ही प्रस्तुत किया जा चुका है। दूसरा खंड की अक्टूबर 2023 में, वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर (एफएमसीबीजी) की चौथी बैठक के दौरान प्रस्तुत किए जाने की उम्मीद है। इन रिपोर्टों का एक-दूसरे के साथ मिलाकर मूल्यांकन किया जाएगा और एमडीबी को उनकी शासन व्यवस्था के अनुरूप चर्चा और कार्यान्वयन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा, एमडीबी पूंजी पर्याप्तता फ्रेमवर्क (सीएएफ) की जी20 स्वतंत्र समीक्षा की सिफारिशों को लागू करने में जी20 रोडमैप को, इसके महत्वाकांक्षी कार्यान्वयन के लिए वित्त मंत्रियों से अनुशंसा और समर्थन प्राप्त हुआ है। चौथी एफएमसीबीजी बैठक के अवसर पर एमडीबी की वित्तीय क्षमता को मजबूत करने पर एक उच्च स्तरीय सेमिनार आयोजित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किये जा रहे हैं। यह सेमिनार, एमडीबी को मजबूत करने और उनके ऋणदाता की स्थिति को बनाए रखने के उद्देश्य से वैश्विक चर्चाओं में नई गति प्रदान करेगा।
वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारतीय अध्यक्षता ने 'वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन' के उद्घाटन की मेजबानी की। 125 देशों की भागीदारी के साथ, दस सत्रों में चले इस दो दिवसीय ऐतिहासिक कार्यक्रम ने प्रतिभागी देशों को विकासशील दुनिया की चिंताओं, विचारों, चुनौतियों और प्राथमिकताओं को पेश करने का एक मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रों के बीच लक्ष्यों की एकता और सहयोग को बढ़ावा देना था। 'वसुधैव कुटुंबकम' के हमारे विषय के अनुरूप, भारतीय अध्यक्षता ने समूह के विस्तार के संबंध में चर्चा की सुविधा प्रदान करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। इस सार्थक विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप, अफ्रीकी संघ (एयू) का स्थायी जी20 सदस्य के रूप में स्वागत हुआ, जो समावेश और वैश्विक सहयोग के एक नए अध्याय का संकेत है।
स्पष्ट है कि आज की समसामयिक चुनौतियाँ राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च में जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में दोहराया था, "बहुपक्षवाद आज संकट में है," और "पिछले कुछ वर्षों का अनुभव - वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध - स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वैश्विक शासन अपने दोनों कार्यादेशों में विफल रहा है।
इस प्रकार, बहुपक्षवाद के खतरों से निपटने के लिए सामूहिक और निर्णायक कार्रवाई, सहयोग और एक समावेशी मानव-केंद्रित दृष्टिकोण अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक है। हमारे प्रधानमंत्री के शब्दों में - “जब दुनिया बदल गई है, तो हमारी संस्थाएँ भी बदलनी चाहिए। या बिना नियमों के प्रतिद्वंद्विता की दुनिया द्वारा बाहर कर दिए जाने का जोखिम उठाएं।''
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में उद्धृत 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' की भावना और पीएम मोदी की दुनिया के मार्गदर्शक दृष्टिकोण के अनुसार साझा चुनौतियों का सामना साझा समाधानों से किया जाना चाहिए - जहां मानवता का सामूहिक कल्याण; विभाजन और अनिश्चितताओं से अधिक महत्वपूर्ण हो। 21वीं सदी के संस्थानों में विश्वास बहाल करने के लिए, हमें सहयोग, समावेशिता और अनुकूलन की भावना का उपयोग करना चाहिए, जिसने हमारी जी20 अध्यक्षता को परिभाषित किया है।