Lok Sabha Election: लोकसभा चुनावों में धराशायी विपक्ष के टूलकिट आधारित मुद्दे !
Lok Sabha Election 2024: अब समय बदल चुका है यह 2024 की बदली हुई भाजपा और संघ है जो दुष्प्रचार के प्रति पूरी तरह सतर्क और सशक्त है।
Lok Sabha Election 2024: स्वतंत्रता के बाद भारत में अभी तक जितने भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं उनमें पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व में बना गठबंधन हर दृष्टि से कमजोर नजर आ रहा है । जब से लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस व इंडी गठबंधन के नेताओं ने प्रचार आरम्भ किया है तभी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी व उनके प्रवक्ता मीडिया एजेंसियों व टीवी चैनलो पर बैठकर केवल एक ही बहस कर रहे हैं कि अगर मोदी जी तीसरी बार 400 सीटों के साथ प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो फिर भाजपा संविधान को फाड़ कर फेंक देगी, दोबारा चुनाव नहीं होंगे क्योंकि इनके पास कोई मुद्दा नहीं है मोदी जी को घेरने का। इसके अतिरिक्त मोदी जी और अमित शाह के ए.आई. द्वारा बनाए गए डीप फेक वीडियो या फिर सम्पादित/ डॉक्टर्ड वीडियो को आधार बनाकर झूठ फैला रहे हैं।
पिछले दिनों अमित शाह के ऐसे ही एक वीडिओ के साथ आरक्षण के सम्बन्ध में दुष्प्रचार किया गया हालांकि अब इस पर दिल्ली पुलिस ने कार्यवही आरम्भ कर दी है और कई लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं । उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस फर्जी वीडियो प्रकरण को कोअपने पक्ष में मोड़कर मुद्दा बनाने मे कुछ हद तक सफलता प्राप्त कर ली है साथ ही वे संविधान और आरक्षण के नाम पर विगत 70 साल में पिछली सरकारों ने जो किया उसे भी बेनकाब कर रहे हैं।
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार आने के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ आरक्षण विरोधी होने का दावा कर अभियान चलाया जा रहा है। बिहार में 2015 के विधानसभा चुनावों में नितीश कुमार और लालू यादव के बीच गबठबंधन हुआ था तब इन दलों ने पांचजन्य साप्ताहिक में प्रकाशित एक साक्षात्कार के आधार पर संघ के खिलाफ विषवमन किया था। बसपा नेत्री मायावती ने एक पुस्तिका प्रकाशित करवा के घर घर तक बंटवाई थी और बताया गया था कि संघ किस प्रकार से आरक्षण विरोधी है।
2024 की बदली हुई भाजपा और संघ
अब समय बदल चुका है यह 2024 की बदली हुई भाजपा और संघ है जो दुष्प्रचार के प्रति पूरी तरह सतर्क और सशक्त है। इस बार कांग्रेस नेताओं का यह दांव जमीनी धरातल पर नहीं उतर पा रहा है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने कहा कि संघ हमेशा संविधान सम्मत आरक्षण का पक्षधर रहा है।संघ का मानना है कि जब तक सामाजिक भेदभाव रहेगा या आरक्षण देने के कारण बने रहेंगे तब तक आरक्षण जारी रहे।संघ प्रमुख ने कहा कि उन्होंने एक वीडियो के बारे में सुना है जिसमें कहा गया है कि संघ आरक्षण के खिलाफ है। संघ आरक्षण का कभी विरोधी नहीं रहा है किंतु यह उसके खिलाफ विमर्श स्थापित किया जा रहा है क्योंकि कांग्रेस को लगता है कि संघ व भाजपा को आरक्षण व संविधान विरोधी साबित कर वह चुनावी किला फतह कर सकती है।
राहुल गांधी आजकल भाजपा को संविधान विरोधी साबित करने में दिन-रात एक किये हुए है जबकि वास्तविकता यह है कि अगर आज आम नागरिक अपने संविधान को जान रहा है, पढ़ राहा है और उसके अनुरूप आचरण करना चाह रहा है और उसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास ही हैं क्योंक अब हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जा रहा है। भारतीय संविधान को अब वेबसाइट पर आसानी से पढ़ा जा सकता है। नए संसद भवन के उद्घाटन और सेंगोल स्थापना के अवसर पर सदन के सदस्यों को भी संविधान की मूल प्रति दी गई ।
कांग्रेस जो आज संविधान - संविधान का राग अलाप रही है संविधान का सत्यानाश कांग्रेस ने ही किया था। श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए संविधान में मूल भूत परिवर्तन करके उसमें धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी जैसे शब्द जोड़कर उसकी आत्मा ही नष्ट कर दी, आपातकाल लगाकर अपनी विकृत तानाशाही मानसिकता का परिचय दिया और मनमर्जी से विपक्षी दलों की प्रदेश सरकारों को गिराया । कांग्रेस के कार्यकाल में संविधान एक परिवार का बंधक हो गया था व एक धर्म विशेष का तुष्टीकरण कर रहा था।
कांग्रेस की भव्य मंदिर के प्रति भी नकारात्मक
इसी प्रकार कांग्रेस अयोध्या में प्रभु राम की जन्मभूमि और उस पर बन रहे भव्य मंदिर के प्रति भी नकारात्मक रही है।जन जन के आराध्य प्रभु राम को काल्पनिक कहने वाली कांग्रेस ने पहले तो मुद्दे को भटकाने, लटकाने, अटकाने के लिए जी जान लगा दी फिर भी असफल रहने पर अपने मुस्लिम तुष्टीकरण को मजबूती प्रदान कनने के लिए प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया। उसके बाद राहुल गांधी व विपक्ष के नेता जनसभाओं में बयान देने लगे कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दलित आदिवासी होने के कारण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया। यह भी बयान दिए जाने लग गये कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में केवल और केवल बड़े उद्योगपति और बड़े घरानो के लोग ही उपस्थित रहे आम जनता को कोई भाव नहीं दिया गया। पिछले दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अयोध्या में रामलला के दर्शन करके ने राहुल गांधी के इस झूठ का करारा उत्तर दे दिया। राम मंदिर के गर्भगृह में राष्ट्रपति की उपस्थिति ने कांग्रेस नेता के आरोप को बुरी तरह से धो डाला।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गर्भगृह में पहुंचकर रामलला का विधिवत पूजन किया। आराध्य को निकट से देखकर राष्ट्रपति बहुत भावुक दिखीं और उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव भी साझा किए।
इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बयान जारी कर राहुल गांधी के सभी आरोपों को मिथ्या बताया। महासचिव चंपत राय ने बताया कि राहुल गांधी को स्मरण कराना चाहूंगा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एवं पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वय को रामलला के मूल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर आमंत्रित किया गया था। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से जुड़े हुए संत, महापुरुष गृहस्थजन औेर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में यश प्राप्त करने वाले भारत का गौरव बढ़ाने वाले लोगों को भी आमंत्रित किया गया था। मंदिर में सेवारत श्रमिक और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। राहुल गांधी अपनी जनसभाओं मे यह आरोप भी लगा रहे हैं कि वहां कोई गरीब, महिला, किसान युवा दर्शन नहीं करने गया अब यह भी झूठ हो गया है क्योंकि अब तक दो करोड़ से अधिक लोग राम मंदिर के दर्शन कर चुके हैं और इसमें समाज के सभी वर्गो की आम जनता ही शमिल है किंतु राहुल के पदचिन्हों पर चलने वाले कांग्रेस के प्रवक्ता अभी भी बाज नहीं आ रहे हैं और अयोध्या मंदिर व दर्शन कार्यक्रम को इवेंट बताकर उसका अपमान कर रहे है।
कांग्रेस का ईवीएम मशीनों पर ही संदेह
इसके अलावा कांग्रेस और विपक्ष बार -बार ईवीएम मसहीनों पर ही संदेह पैदा कर रहा है किंतु ईवीएम यह दावा अब सुप्रीम कोर्ट में भी खारिज हो चुका है। पहले दो चरणों में कम मतदान का हवाला देकर विरोधी दलों ने सोशल मीडिया पर हल्ला मचाना प्रारम्भ कर दिया कि कम मतदान का मतलब है मोदी जी हार गये, हार गये। किंतु जब चार दिन बाद चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत के अंतिम आंकड़े सार्वजनिक किये तो विपक्ष एक बार फिर ईवीएम और चुनाव आयोग पर संदेह करने लग गया। विपक्षी दलों के नेता सोशल मीडिया पर आकर ईवीएम -ईवीएम करने लगे और कहा कि चुनाव आयेग ने खेल कर दिया- खेल कर दिया।
इसी राजनैतिक गहमा गहमी के बीच एस्ट्राजेनेका आक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन कोविडशील्ड को लेकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने का अभियान प्रारम्भ कर दिया । इस आभासी मुद्दे को टूलकिट के नए टूल के रूप में सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मो पर उठाया जा रहा है । कोविडशील्ड के प्रकरण में जनहित याचिका दायर करने वाले दलाल भी सक्रिय हो गये हैं और सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं जबकि वास्तविकत यह है कि कोविडशील्ड से नुकसान बहुत ही कम हुआ है जबकि लाभ अधिक हुआ है। कोविडशील्ड को लेकर उठ रहे सभी विवाद पूरी तरह से भ्रामक खबरो पर आधारित हैं। विशेषज्ञों का मत है कि हर वैक्सीन के साइड इफैक्ट होते ही हैं। वह वैक्सीन लगाने के 21 दिन या एक महीने के भीतर ही हो सकता था। कोविड काल में दो वर्ष पूर्व लगे इस वैक्सीन से कोई नुकसान नहीं अपितु लाभ ही हुआ है।
स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी
अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लातूर की जनसभा में कहा कि 2014 के पहले एक समय था जब खबर आती थी कि, “सड़क पर पड़ी कोई भी लावारिस वस्तु को आप लोग न छुएं यह बम हो सकता है किंतु अब एक ऐसी खबरें आनी बंद हो गयी है” ठीक उसके अगले ही दिन सुबह -सुबह दिल्ली के स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी आती है और विरोधी दल आनंदमग्न होकर उस पर अपनी विकृत राजनीति प्रारम्भ कर देते हैं किंतु बाद में वह फर्जी अफवाह निकलती है हालांकि प्रकरण की अभी जांच चल रही है और हो सकता है कि यह विपक्ष की ही करतूत रही हो । कुछ ऐसी ही विकृत राजनीति कर्नाटक के एक सैक्स स्कैंडल को लेकर देखने को मिल रही है विरोधी दल उसमें भी भाजपा की छवि खराब करने का प्रयास कर रहे थे। कर्नाटक का सैक्स स्कैंडल कांग्रेस के शासनकाल में ही हुआ है। इसमें यह भी महत्वपूर्ण है कि कर्नाटक में कांग्रेस के अपने ही नेता की बेटी के साथ लव जिहाद की बर्बर घटना होने जाने के बाद कांग्रेस तुष्टीकरण के कारन मौन रही और जब भाजपा ने इसका विरोध किया, परिवार के साथ आगे बढ़ी तो सेक्स स्कैंडल को लेकर हल्ला मचा दिया गया।
आज की भाजपा अब 2014 के पहले वाली भाजपा नहीं रही कि उसे झूठे नैरेटिव चलाकर डराया, धमकाया या हराया जा सकता है। अब भजपा नेता हर बात के लिए सतर्क रहते हैं । गुजरात के एक सांसद रूपाला के बयान के बाद नैरेटिव चलाया गया कि राजपूत और क्षत्रिय भाजपा से नाराज हो गये हैं किंतु गुजरात में मोदी व भाजपा नेताओं की जनसभाओं में जैसी भीड़ आ रही है उससे लग रहा है कि राजपूत व क्षत्रियों की भाजपा से नाराजगी का नैरेटिव भी छिन्न भिन्न हो चुका है।