प्रेमी और संत दोनों अधूरे होते हैं: चुनाव न करें, विकल्पहीन जीवन बनाएँ
प्यार आपको जीवन के तोहफे देता है और अकेलेपन को खत्म कर देता है। यह आपको फिर से रिक्त कर देता है ताकि आप उस रिक्तता को वापस से भर सकें।
- ओशो
जिन लोगों ने रिश्तों को चुना, वे सांसारिक कहे गए और जिन्होंने अकेलेपन को चुना वो अलौकिक संत कहलाए। पर दोनों पीड़ित हैं क्योंकि दोनों अधूरे हैं और अधूरा होना हमेशा तकलीफभरा होता है। पूरा होने के लिए स्वस्थ और खुश रहना पड़ता है। जबकि अधूरा होना तकलीफभरा इसलिए है क्योंकि दूसरे आधे हिस्से में हमेशा उथल-पुथल मची रहती है।
वह हमेशा बदला लेने की तैयारी में लगा रहता है। इस भावना से आप क्षीण, कमजोर और थका हुआ महसूस करने लगते हैं। कभी कभी ये थकान आनंदमयी या खुशनुमा होती है, पर हर प्रकार के उत्साह में थकान होती जरूर है। इस थकान से यह रिश्ता काफी खूबसूरत था पर अब आप खुद को अकेलेपन की ओर ले जाना चाहेंगे, ताकि आप खुद को फिर से समेट सकें। आप फिर से ऊर्जा से ओत प्रोत हो सकें और आप फिर से अपने अस्तित्व में अपनी जड़ तलाश सकें।
प्यार अकेलेपन को खत्म कर देता है
जब आप किसी के साथ प्यार में होते हैं तो, आप दूसरे के अस्तित्व में समाहित हो जाते हैं और खुद से आपका संपर्क टूट जाता है। ऐसे में जल्द ही आप खुद को फिर से तलाशने लगते हैं. जल्द ही आप अपने आप को अकेलेपन से इतना भरा हुआ महसूस करेंगे कि आप उसे किसी से बांटना चाहेंगे। जरूरत से ज्यादा आपका अकेलापन आपको किसी और में खुद को समाहित करने के लिए प्रेरित करने लगता है। प्यार के आ जाने से अकेलापन खत्म हो जाता है, जबकि अकेलापन प्यार से रिक्त हुए उस स्थान को जरूरत से ज्यादा भर देता है।
प्यार आपको जीवन के तोहफे देता है और अकेलेपन को खत्म कर देता है। यह आपको फिर से रिक्त कर देता है ताकि आप उस रिक्तता को वापस से भर सकें। जब भी आप प्यार से खुद को हल्का कर लेते हैं तो अकेलापन उस जगह को भरने के लिए, आपको एकीकृत करने के लिए तैयार रहता है। यह एक प्रकार का लय है।
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वो दूसरों के साथ जीते हैं और वो दूसरों के लिए जीते हैं
यह सोचना कि यह दोनों अलग अलग बात हैं,यह सबसे बड़ी मूर्खता होती है और इसी मूर्खता से हम सबसे ज्यादा दुखी होते हैं। जो लीग क्षीण, थके हुए और खाली होते हैं, वो सांसारिक हो जाते हैं। उनके पास खुद के लिए कोई जगह नहीं होती है। वो नहीं जानते कि वो कौन हैं और ना ही उन्होंने खुद को कभी जानने की कोशिश की है। वो दूसरों के साथ जीते हैं और वो दूसरों के लिए जीते हैं। वो भीड़ का हिस्सा होते हैं और उनका खुद का कोई व्यक्तित्व नहीं होता। यह भी याद रखें कि प्यार उन्हें पूर्णता नहीं देता बल्कि यह आपको आधे में बांट देता है और अधूरापन कभी भी आपको पूरा नहीं करता। केवल आपकी रिक्तितता का खत्म होना ही पूर्णता देता है।
सांसारिक लोग खाली, उबाऊ और थके हुए होते हैं
सांसारिक लोग खाली, उबाऊ और थके हुए होते हैं और खुद की जिंदगी को जिम्मेदारी के नाम पर, परिवार के नाम पर और देश के नाम पर घसीट रहे होते हैं। यह जिंदगी उन्हें मौत की और घसीटती है, जिसमें मौत के आने का इंतज़ार रहता है। यह एक प्रकार का संगीत है जिसके अंदर कोई खामोशी नहीं होती। केवल शोर और घृणा होती है जो आपको बीमार कर देती है। अद्धभुत संगीत हमेशा शोर और खामोशी का सम्मिलित रूप होता है। आप इस संयोजन की गहराई में जितना जाएंगे, ये संगीत उतना ही आपकी गहराई में समाता जाएगा।
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आप आत्मकेंद्रित और स्थायी हो जाते हैं
शोर खामोशी पैदा करती है और खामोशी शोर को ग्रहण करने की क्षमता रखता है। और इस प्रकार शोर, संगीत के प्रति ज्यादा प्रेम को जन्म देता है और खामोशी को सुनने की अधिक क्षमता को जन्म देता है। इस महान संगीत को सुनकर आप खुद को धन्य और सम्पूर्ण महसूस करेंगे। ऐसा लगेगा कि कोई चीज आपको पूरा कर रही है। आप आत्मकेंद्रित और स्थायी हो जाते हैं। यह बिल्कुल आकाश और धरती को मिलाने जैसा होता है जिसे कभी कोई जुदा नहीं कर सकता। जब शरीर और आत्मा एक दूसरे से मिलकर एक दूसरे से जुड़ जाते हैं। तो उनकी खुद की परिभाषा कहीं खो जाती है। और उस रहस्यवादी मिलन का यही क्षण महान होता है।
किसी प्रकार का चुनाव ना करें
आप किसी प्रकार का चुनाव ना करें बल्कि जीवन को विकल्पहीन बनाएं और परिस्थितियों को बदलने के बजाय खुद को समझदार बनाएं। समझदारी इसी में है कि आप सोच को बदलें। समझदारी से किए काम सुखद होते हैं और तभी आप अपने रिश्तों में सारे अकेलेपन को एक साथ ला सकते हैं।
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