China Pakistan Economic Corridor: कहीं चीन पाक के कटोरे में भीख देना बंद ना कर दे
China Pakistan Economic Corridor: चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस्लामाबाद में एक नया पुलिस बल भी बनाया गया है। ये सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि चीनी वित्त पोषित मेगा परियोजनाओं को निशाना बनाया जा रहा है।
China Pakistan Economic Corridor: पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवादी हरकतों को अंजाम देता रहा है। मुंबई में 2008 में हुए हमलों से लेकर कठुआ, पठानकोट और उरी वगैरह में उसने आतंक फैलाया है। पर अब पाकिस्तान खुद ही अपने द्वारा लगाये आतंकवाद की आग में स्वाहा हो रहा है। वह भयभीत है। डर का कारण चीन का नाराज होना है। पाकिस्तान में चीनी नागरिकों के मारे जाने के कारण चीन सरकार उससे सख्त नाराज है।
इसलिए सारे पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को अब खास सुरक्षा दी जा रही है, जो पाकिस्तान में चीन की मदद से चल रही परियोजनाओं में काम कर रहे हैं। चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस्लामाबाद में एक नया पुलिस बल भी बनाया गया है। ये सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि चीनी वित्त पोषित मेगा परियोजनाओं को निशाना बनाया जा रहा है। इनमें काम करने वाले चीनियों को आतंकवादी चुन-चुन कर मार रहे हैं। इन हमलों के कारण ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाएं खतरे में हैं।
चीन ने पाकिस्तान में अपना बड़े स्तर पर निवेश करना 2015 शुरू किया था। चीन की योजना थी कि वह पाकिस्तान में 60 अरब डॉलर का निवेश विभिन्न परियोजनाओं में करे। इस वक्त हजारों चीनी कामगार और इंजीनियर पाकिस्तान में हैं। पाकिस्तान को अफगानिस्तान में युद्ध समाप्त होने के बाद अमेरिका से मदद मिलनी बंद हो गई थी। उसके बाद, उसे चीनी निवेश का ही एक मात्र सहारा था। उस पर भी फिलहाल तो ग्रहण लग गया दिखता है।
पिछले तीन वर्षों में, पाकिस्तान में आतंकवादी समूह फिर से उभरे हैं। इस दौरान आतंकवादी हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसका असर चीनी परियोजनाओं पर खूब ज्यादा हुआ है। इस कारण से चीन से पोषित परियोजनाओं पर काम ठंडा पड़ने लगा है। पिछले मार्च के महीने के अंत में, सशस्त्र आतंकियों ने अरब सागर के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित ग्वादर में चीनी निर्मित और संचालित बंदरगाह को निशाना बनाया, जिसमें दो पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों की मौत हो गई। कुछ दिनों बाद, आतंकवादियों ने देश के दूसरे सबसे बड़े एयर बेसपर हमला किया। यह बलूचिस्तान में है। यहाँ भी चीनी नागरिक सक्रिय थे। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हमले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। कुछ समय पहले पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक जलविद्युत परियोजना पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें पांच चीनियों की मौत हो गई। इसके बाद चीनी कंपनियों ने कम से कम तीन महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं पर अपना काम रोक दिया था। ये परियोजनाए थीं- दासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तारबेला पांचवां एक्सटेंशन। खैबर पख्तूनख्वा सीमांत गांधी के प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है। चीनियों पर हमले खैबर पख्तूनख्वा के अलावा बलूचिस्तान में भी हो रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान सटे हुए अफगानिस्तान से।
पाकिस्तान के मशहूर अखबार दि डॉन में 1 अप्रैल, 2024 को छपी एक खबर के अनुसार, इस साल के पहले तीन महीनों में देश के दो प्रमुख राज्यों क्रमश: खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बीते साल की इसी अवधि की तुलना में आतंकी और हिंसक वारदातों में 92 और 86 फीसद बढ़ोतरी हुई है।जाहिर है, अपने नागरिकों पर हमले के कारण चीन नाराज है। पाकिस्तान चीन को अपना सबसे भरोसे का मित्र कहता है। चीन के नाराज होने से पाकिस्तान की सांसें रूक रही हैं। पाकिस्तान से मिल रही खबरों पर यकीन करें तो कुछ चीनी नागरिक अपनी जान को खतरा होने के कारण पाकिस्तान छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। पाकिस्तानी सरकार बार-बार अपराधियों को पकड़ने का वादा कर रही है। लेकिन, हो कुछ नहीं रहा है। चीनियों पर हो रहे हमलों के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और इस्लामिक स्टेट-खुरासान को जिम्मेदार माना जा रहा है। ये तीनों इस्लामिक आतंकी संगठन अब पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लगभग जंग छेड़े हुए हैं।
खैबर पख्तूनख्वा के हजारा और कोहिस्तान इलाकों को बहुत बीहड़ माना जाता है। ये क्षेत्र हत्याओं, लड़कियों के स्कूलों को जलाने और शिया मुसलमानों की हत्याओं के कारण कुख्यात रहे हैं। अब ये चीनी नागरिकों को मारने के कारण भी खबरों में रहने लगे हैं। खैबर में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। इधर सरकार का डर या इकबाल खत्म हो चुका है। यहां पुलिस, सरकारी अफसर या राजनीतिक नेतृत्व आतंकियों के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं।इस बात की संभावना न के बराबर है कि इधर चीनियों पर हमले थमेंगे। खैबर पख्तूनख्वा अंधकार युग में जा चुका है। सवाल यह है कि चीनी नागरिकों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? देखा जाए तो यह वहां पर वे विकास परियोजनाओं को खड़ा कर रहे हैं। दरअसल बलूचिस्तान और खैबर के लोगों का कहना है कि उनके यहां लगने वाली परियोजनाओं का स्थानीय जनता को लाभ नहीं मिलता। सारी मलाई पंजाब का खा जाता है। इसका विरोध करने के लिए ही चीनियों पर हमले हो रहे हैं। पाकिस्तान की सेना और सरकार का मतलब पंजाब ही है।
बलूचिस्तान में पंजाबी विरोधी आंदोलन से पाकिस्तान सरकार की नींद बुरी तरह उड़ी हुई है। उसका इस बलूचों के आंदोलन के कारण परेशान होना समझ भी आता है। इधर ही चीन की मदद से 790 किलोमीटर लंबा ग्वादर पोर्ट बन रहा है। पाकिस्तान को लगता है कि ग्वादर पोर्ट के बन जाने से देश की तकदीर बदल जाएगी। पर बलूचिस्तान के अवाम को यह नहीं लगता है। उसका मानना है कि ग्वादर पोर्ट बनने से सिर्फ पंजाब के हितों को ही लाभ होगा। बलूचिस्तान की जनता को लगता है कि उनके क्षेत्र के संसाधनों से पंजाब और पंजाबियों का ही पेट भरा जाएगा। इसलिए ही बलूचिस्तान में पंजाबियों से घोर नफरत की जाती है।
बलूचिस्तान पाकिस्तान से शुरू से ही अलग होना चाहता है। वह 1947 में ही भारत का अंग बनना चाहता था जिसे नेहरू जी ने जबर्दस्ती पाकिस्तान की झोली में डाल दिया था। पाकिस्तान सेना की ताकत ने ही उसे पाकिस्तान का हिस्सा बनाकर रखा हुआ है। पिछले महीने, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, शहबाज शरीफ, बीजिंग गए थे।वे चीन के शिखर नेता शी जिनपिंग से मिले। लेकिन, इस यात्रा का कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला। क्योंकि चीन से पाकिस्तान में निवेश करने को लेकर कोई वादा नहीं किया। चीन ने पाकिस्तान में चीनियों पर हमलों पर नाराजगी जताई। यकीन मानिए कि अगर चीन ने पाकिस्तान के कटोरे में भीख डालना बंद कर दिया तो पाकिस्तान तो पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)