Modi 3.0: सफल भी एवं सक्षम भी होगी मोदी की तीसरी पारी

Modi 3.0 : एक और इतिहास रचते हुए नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल करने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए।

Written By :  Lalit Garg
Update:2024-06-10 17:38 IST

Modi 3.0 : एक और इतिहास रचते हुए नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल करने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए। यह देश ही नहीं दुनिया के लिए एक अद्भुत एवं विलक्षण राजनीतिक घटना है, क्योंकि दुनिया में बहुत कम शासनाध्यक्षों को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। मोदी के इस तीसरे कार्यकाल पर देश-दुनिया की नजरें इसलिये भी टिकी हैं कि मोदी सरकार 3.0 का एजेंडा पिछली गठबंधन सरकारों से अलग होकर भी सशक्त है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को लेकर काम करने वाली इस सरकार में 71 मंत्रियों ने प्रधानमंत्री के साथ शपथ ली। मोदी के करिश्माई नेतृत्व में पिछले दस साल में देश को विकास के कहीं ज्यादा ऊंचे मुकाम पर खड़े करते हुए दुनिया को चौंकाया है। 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। जीडीपी के आकार के हिसाब से हमने पिछले साल ब्रिटेन को पीछे छोड़ा और 2026 तक जापान तो 2027 तक जर्मनी को पीछे छोड़ने की उम्मीद कर रहे हैं। इन लक्ष्यों की ओर तेजी से कदम बढ़ाना नई सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। इसक साथ ही सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास इस सरकार का ध्येय है।

प्रधानमंत्री मोदी इस बार गठबंधन सरकार का नेतृत्व करते हुए एक नया इतिहास बनायेंगे, उम्मीद की जा रही है कि बिना बाधा एवं गठबंधन की शर्तों के वे देश-विकास के अपने एजेंडे को सफलतापूर्वक एक नई ऊंचाई देंगे। उनकी लोकसभा चुनाव-2024 की उपलब्धि की महत्ता इसलिये भी कम नहीं हो जाती, क्योंकि भाजपा बहुमत से कुछ ही दूर है। चूंकि सहयोगी दल मोदी सरकार को सहयोग और समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और मंत्रियों का चयन सुगम तरीके से हो गया इसलिए यह आशा की जाती है कि मोदी की तीसरी पारी भी सुगमता एवं त्वरित गति से चलेगी। इसका एक कारण यह भी है कि उनके पास व्यापक राजनीतिक अनुभव है और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता तथा समन्वय की राजनीति करने का कौशल भी। गठबंधन दलों को भी समन्वय एवं सौहार्द का वातावरण बनाना होगा, इसी में उनका राजनीतिक हित है। वे विपक्षी दलों के बहकावे में न आये, वरना यहां मोदी एवं शाह के पास अन्य विकल्प हैं जो मोदी सरकार को संकट में नहीं जाने देंगे। मोदी की राजनीतिक यात्रा को देखा जाए तो उन्होंने अनेक ऐसी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है जिनकी कल्पना नहीं की जाती थी-पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में और फिर देश के प्रधानमंत्री के रूप में।


मोदी के सामने चुनौतियां पूर्ण बहुमत के दौर में भी रही है और अब भी कायम है। इस राह पर दो बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं, जिनकी अनदेखी करते हुए आगे बढ़ना मुमकिन नहीं है। ये हैं बेरोजगारी और असमानता। इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट के मुताबिक देश में 80 प्रतिशत बेरोजगार युवा हैं। गरीब मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य भी सामने हैं। पूर्व के दौ कार्यकाल में मोदी ने इसमें बड़ी सफलता हासिल की है। जहां तक असमानता की बात है तो उसे अक्सर तेज विकास के आगे ज्यादा तवज्जो नहीं मिलती, लेकिन याद रखने की बात है कि तेज विकास को अगर टिकाऊ बनाना हो तो असमानता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसी मौलिक सोच एवं दृष्टि से मोदी सरकार 3.0 का अजेंडा दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने एवं सुदृढ़ आर्थिक विकास के लिये आगे की राह दिखाने वाला होगा। संभावना है कि मोदी की तीसरी पारी में समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे में निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, महिलाओं एवं युवाओं की भागीदारी, मोदी की गारंटियों पर बल दिया जायेगा। इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल और सामाजिक विकास की दृष्टि से देश को आत्मनिर्भर बनाने की रफ्तार को भी गति दी जायेगी। वन नेशन, वन इलेक्शन और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दों पर राजनीतिक मजबूरी की विशेष छाप देखने को मिल सकती है। लेकिन मोदी की कोशिश रहेगी कि वे अपने इन मुद्दों को भी आकार दे सके। इनमें कुछ विलम्ब हो सकता है, लेकिन ये और ऐसे अनेक मुद्दें मोदी की प्राथमिकता बने रहेंगे।

पिछले दस वर्षों का मोदी का कार्यकाल यह बताता है कि जहां उन्होंने देश विकास की एक अमिट गाथा लिखी, वहीं वे देश में सबसे सशक्त और लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे और विश्व पटल पर अपनी एक गहरी छाप छोड़ते हुए भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा किया। इससे विश्व में भारत का मान बढ़ा और इसे उनके विरोधी भी स्वीकार करते हैं। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने न केवल साहसिक फैसले लिए, बल्कि विकास और जनकल्याण के ऐसे कार्य किए जिसने देश की तस्वीर बदली, भारत का विकास हुआ। अब वह विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। चूंकि गठबंधन सरकार के बावजूद कमान प्रधानमंत्री के हाथ में है और उन्होंने यह कहा है कि वह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस एजेंडे के प्रति सहयोगी दलों और विशेष रूप से टीडीपी और जेडीयू ने भी अपनी संकल्पबद्धता जताई है इसलिए मोदी की प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी पारी निरंतरता, साहसिकता, दृढ़ता का परिचायक ही होगी। राजनीति की लंबी पारी ने मोदी को दृढ़ता के साथ ही लचीलेपन का भी पाठ पढ़ाया है। कोई कारण नहीं कि राजनीतिक विरोधियों को साथ लेने में दिखाया गया लचीलापन सहयोगियों को बनाए रखने में काम नहीं आएगा। दूसरी बात यह कि चाहे चंद्रबाबू नायडू हों या नीतीश कुमार, दोनों विकास की राजनीति का चेहरा रहे हैं।


मंत्रिमण्डल का गठन करते हुए ऐसा नजर नहीं आया कि भाजपा गठबंधन सहयोगियों के किसी तरह के दबाव में हो। पिछली सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने वाले भाजपा के सांसद वरिष्ठता क्रम में शपथ लेते नजर आए। मंत्रिमंडल के गठन में गठबंधन के हितों के साथ ही जातीय संतुलन और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया। हरियाणा में भले भी पांच सांसद इस बार चुने गए हों, लेकिन इस साल राज्य में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को कैबिनेट व राव इंद्रजीत सिंह तथा कृष्णपाल सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया। वहीं पंजाब से कोई भाजपा सांसद नहीं चुना गया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत बिट्टू को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। झारखंड में इस साल चुनाव होने हैं तो राज्य को तीन मंत्री दिये गए हैं। मोदी का मंत्रिमण्डल देश विकास के साथ राजनीतिक अपेक्षाओं के अनुरूप प्रभावी एवं सशक्त एक तीर से अनेक निशाने साधते हुए दिखा।

निश्चित रूप से भाजपा अपने सहयोगी दलों के प्रति उदार एवं समन्वयमूलक रवैये अपनाएगी। राजग की कोशिश है कि गठबंधन को मजबूत करके इस बार सशक्त होकर उभरे विपक्ष का मुकाबला किया जा सके। इतना तय है कि कांग्रेस के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन अग्निपथ, समान नागरिक संहिता, बेरोजगारी व महंगाई जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजग सरकार के लिये कड़ी चुनौती पेश करेगा, लेकिन सहयोगी दलों के साथ भाजपा उनका मुकाबला करने के लिये तैयार है। एक सवाल यह भी है कि क्या नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली राजग सरकार सहयोगी दलों की आकांक्षाओं के बीच पिछले दो कार्यकाल की गति से काम कर पाएगी? निश्चित ही मोदी उसी अंदाज एवं दबंगता से अपनी योजनाओं एवं नीतियों को आगे बढ़ायेंगे। मोदी के विजन में जहां ‘हर हाथ को काम’ का संकल्प साकार होगा, वहीं ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से उजागर होगा।

मोदी के नये संकल्पों एवं योजनाओं से देश विकास की दशा एवं दिशा स्पष्ट होगी। आदिवासी समुदाय एवं अर्थव्यवस्था के उन्नयन एवं उम्मीदों को आकार देने की दृष्टि से मोदी सरकार मील का पत्थर साबित होगी। साथ-ही-साथ समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण एवं संतुलित विकास सुनिश्चित होगा। सशक्त होती अर्थव्यवस्था इस मायने में उम्मीद की छांव देने वाली साबित होगी, जिससे शहर एवं गांवों के संतुलित विकास पर बल मिल सकेगा। जिससे नया भारत- सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प भी बलशाली बन सकेगा। सच्चाई यही है कि जब तक जमीनी विकास नहीं होगा, तब तक सरकार के विकास की गति सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी।

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