Budget 2024: क्या बजट 2024-25 अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगा?

Budget 2024: मिडिल क्लास जिस राहत की उम्मीद कर रहा था, उसे इस बजट में वह नहीं मिली। नई टैक्स स्लैब तो लायी गयी है, लेकिन इसका लाभ उतना नहीं है जितना मिडिल क्लास उम्मीद कर रहा था।

Written By :  Vikrant Nirmala Singh
Update:2024-07-24 10:59 IST

 Nirmala Sitharaman  (photo: social media )

Budget 2024: शायद यह मोदी सरकार का पहला बजट है, जिसे लेकर कोई विशेष उत्साह नहीं दिख रहा है। इसका कारण यह है कि बजट में रोजगार के लिए कई नए प्रयास तो किए गए हैं, लेकिन गठबंधन दलों को दी गई 'समर्थन राशि' ने इसे फीका कर दिया है। अब चर्चा जोरों पर है कि क्या मोदी सरकार अपने सहयोगियों के दबाव में काम कर रही है? दूसरी ओर, मिडिल क्लास जिस राहत की उम्मीद कर रहा था, उसे इस बजट में वह नहीं मिली। नई टैक्स स्लैब तो लायी गयी है, लेकिन इसका लाभ उतना नहीं है जितना मिडिल क्लास उम्मीद कर रहा था। हालांकि, इस बजट में मोदी सरकार ने दस सालों के बाद पहली बार रोजगार के लिए इतनी बड़ी योजना का प्रावधान किया है। यह अपने आप में अनोखा है कि पहली बार केंद्र सरकार बजट के जरिए नई नौकरियों के लिए सब्सिडी देने को तैयार है। इसका मतलब है कि सरकार भी समझती है कि रोजगार संकट व्यापक है। इसके अतिरिक्त, इस बजट में मोदी सरकार 'वृद्धि और घाटे' के बीच संतुलन बनाए रखना चाहती थी, और शायद यही कारण है कि लोकसभा में सीटों के घटने के बाद भी किसी बड़ी घोषणा से बचा गया है।

बजट 2024-25 का कुल हिसाब-किताब क्या है?

बजट दस्तावेज़ों के अनुसार, इस बार कुल 48.20 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया है, जबकि इसी साल अंतरिम बजट 47.65 लाख करोड़ रुपये का था। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 45.03 लाख करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 6% की वृद्धि दर्शाता है। वहीं, इस बार राजकोषीय घाटे (फिस्कल डेफिसिट) का अनुमान 4.9% है, जो अंतरिम बजट के 5.1% के अनुमान से कम है। अगले साल के लिए 4.5% का लक्ष्य रखा गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार का वित्तीय प्रबंधन सही दिशा में है।

बीते बजट की तरह ही इस बजट का एक बड़ा सकारात्मक पहलू पूंजीगत खर्च में की गई बढ़ोतरी है। इस बार बुनियादी ढांचे के लिए कुल 11.11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो कुल जीडीपी का 3.4% है। पूंजीगत खर्च बढ़ाने का लाभ यह होता है कि इससे बाजार में मांग, आय, और रोजगार बढ़ाने में मदद मिलती है। जब सरकार बड़ी निर्माण परियोजनाओं में खर्च करती है, तो इससे लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है। आय में वृद्धि होने पर लोग अधिक खर्च करते हैं, जिससे बाजार में मांग बढ़ती है। मांग बढ़ने से उत्पादन में वृद्धि होती है, जिसके लिए नए श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार, अर्थव्यवस्था का पहिया तेजी से घूमने लगता है।


रोजगार और शिक्षा में बढ़ोतरी, लेकिन कोई बड़ा लाभार्थी नहीं

इस बजट में कोई विशेष लाभार्थी क्षेत्र उभरकर सामने नहीं आया है; सभी प्रमुख क्षेत्रों में बजट वृद्धि देखी जा सकती है। हालाँकि, रोजगार सृजन के लिए सरकार ने बजट से बड़ी राशि आवंटित की है। रोजगार सृजन के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और उम्मीद जताई गई है कि इससे 4 करोड़ नए रोजगार उत्पन्न होंगे। इसके अलावा, शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए बजट आवंटन में 30% की वृद्धि की गई है, जिससे यह राशि बढ़कर 1.48 लाख करोड़ रुपये हो गई है। पिछले 10 वर्षों में देश में शिक्षा पर सरकार का खर्च GDP के 3% के आसपास रहा है, जबकि शिक्षा पर खर्च बढ़ाने की मांग हर साल बढ़ती रही है। लंबे समय से शिक्षा पर कुल जीडीपी का 6% खर्च करने की बात की जाती रही है, लेकिन सरकार इस लक्ष्य से दूर दिखाई देती है। इस बार एक सकारात्मक कदम यह है कि बजट में महिला श्रम बल भागीदारी दर को बढ़ाने के लिए कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है। वहीं स्वास्थ्य बजट में 2024-25 के लिए 4.64% की वृद्धि की गई है, और इसके लिए 90,171 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

बड़ी योजनाओं के बजट पर नजर डालें तो पीएम किसान सम्मान निधि के बजट में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है; यह 60 हजार करोड़ रुपये पर ही बरकरार है। दूसरी ओर, मनरेगा के बजट में 86,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जो 2022 के 90 हजार करोड़ रुपये से कम है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 19,000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। इस योजना के चौथे चरण की शुरुआत की जाएगी, जिसके तहत 25,000 ग्रामीण बस्तियों को सड़कें उपलब्ध कराई जाएंगी।


किसानों के लिए बजट कैसा रहा?

कृषि क्षेत्र के लिए इस वर्ष का बजट संतोषजनक रहा है। सरकार ने कृषि और संबंधित क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो पिछले वर्ष के बजट से 21.6% ज्यादा है। हालांकि, लंबे समय से किसान पीएम किसान सम्मान निधि की राशि में वृद्धि की अपेक्षा कर रहे थे, लेकिन इस बजट में इस राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मौजूदा महंगाई और अन्य आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए, यह राशि बढ़ाई जानी चाहिए थी। इसके अलावा, किसानों को आयुष्मान योजना में शामिल करने की भी आवश्यकता है। इसके अलावा बजट में अगले दो वर्षों में देशभर में 1 करोड़ किसानों को प्रमाणन और ब्रांडिंग के माध्यम से प्राकृतिक खेती से जोड़ने की योजना बनाई गई है, जो कि एक स्वागत योग्य कदम है।

बजट 2024-25 के प्रस्तावों को देखते हुए, विकास और रोजगार में सुधार की संभावनाएं दिखाई देती हैं। पूंजीगत व्यय में 11.11 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी और राजकोषीय घाटे को 4.9% पर रखने का लक्ष्य स्पष्ट करता है कि सरकार आर्थिक प्रबंधन को संतुलित करने के लिए प्रतिबद्ध है। पूंजीगत खर्च में वृद्धि से न केवल बुनियादी ढांचे का विकास होगा, बल्कि रोजगार सृजन भी होगा, जिससे आय और मांग में वृद्धि होगी। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अपेक्षित सुधार की कमी और किसानों के लिए सीमित वित्तीय सहायता जैसे मुद्दे भी हैं जिन्हें ध्यान में रखने की आवश्यकता थी।


(लेखक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला में शोधार्थी और फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल के संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं)

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