Monetization Of Railways: रेलवे का मुद्रीकरण एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम हो सकता है
Monetization Of Railways: राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन की मदद से रेलवे में निजी क्षेत्र द्वारा ठोस निवेश, सरकार द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करना संभव बनाएगा।
Monetization Of Railways: केंद्र सरकार (Central Government) ने 23 अगस्त, 2021 को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) (National Monetization Pipeline) योजना की घोषणा करते हुए कहा इस योजना के माध्यम से बड़े बदलावों की शुरुआत होगी। इस नीति के संभावित प्रभावों पर ध्रुवीकरण आधारित चर्चा और विचार-विमर्श शुरू हो गया है। रेलवे से अनुमानित राजस्व 1.5 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है और यह 6 लाख करोड़ रुपये की कुल पाइपलाइन में 25 प्रतिशत का योगदान देगा।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि परिसंपत्ति मुद्रीकरण, देश में नयी अवसंरचना के निर्माण के लिए अतिरिक्त पूंजी जुटाने का एक उपाय है। इसके लिए किसी सार्वजनिक संपत्ति (Public Property) की बिक्री भी नहीं की जायेगी। एनएमपी निजी कंपनियों (Private Companies) को सक्षम बनाने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है, ताकि वे सरकार की स्वामित्व वाली अवसंरचना को पट्टे पर ले सकें और इन्हें संचालित कर सकें। इस पृष्ठभूमि में, यह विश्लेषण करना सार्थक होगा कि यह योजना आने वाले समय में रेलवे को कैसे प्रभावित कर सकती है।
कोविड काल में यात्री किराये के राजस्व में 38,017 करोड़ रुपये का नुकसान
67,368 किमी मार्ग पर रेललाइन के कुल 121,407 किमी के नेटवर्क के कारण, भारतीय रेल (Indian Rail) आकार के मामले में दुनिया में चौथा सबसे बड़ा देश है और यह 1.3 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार (Employment) प्रदान करता है। वाणिज्य के दृष्टिकोण से मालगाड़ियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जो 90 प्रतिशत से अधिक कोयले का परिवहन करती हैं, जो देश की बिजली जरूरतों का 50 प्रतिशत पूरा करते हैं। स्वतंत्रता के बाद से रेलवे मुख्य रूप से सरकारी सहायता पर निर्भर रहा है, इसलिए पूंजीगत व्यय के लिए पर्याप्त धन जुटाना चुनौतीपूर्ण था। परिचालन व्यय के रूप में बड़ी मात्रा में धनराशि खर्च होना जारी है। रेलवे में अवसंरचना और पूंजी की चुनौतियां; रेलगाड़ियों के टकराव, पटरी से उतरने और रेलवे-फाटक की दुर्घटनाओं के रूप में प्रकट हुईं। इसके अलावा, पिछले वित्तीय वर्ष में कोविड के व्यवधान के परिणामस्वरूप यात्री किराये के राजस्व में 38,017 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। माल ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे की अवसंरचना को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने के लिए विचार करते हुए, क्षमता आधारित अवरोध को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है।
अधिक से अधिक निवेश का रास्ता खुलेगा
वर्ष 2014 एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि केंद्र सरकार (Central Government) ने न केवल रेलवे में निजी निवेश की अनुमति देने बल्कि रेलवे-अवसंरचना के क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देते हुए साहसिक सुधारों की शुरुआत की। परिणामस्वरूप, विनिर्माण, संचालन और रख-रखाव की श्रेणी के तहत सूचीबद्ध दस क्षेत्रों/गतिविधियों में स्वचालित मार्ग (ऑटोमेटिक रूट) के माध्यम से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गयी। रेलवे और संबद्ध क्षेत्रों के लिए डीपीआईआईटी (उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2000 से मार्च 2021 तक एफडीआई प्रवाह 1.23 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और यह भारत में कुल एफडीआई प्रवाह का केवल 0.23 प्रतिशत है। इसलिए, इस संदर्भ में परिसंपत्ति मुद्रीकरण महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह निजी कंपनियों द्वारा अधिक से अधिक निवेश का मार्ग प्रशस्त करेगा।
हाल के वर्षों में, हमने देखा है कि निवेशकों का रुख सकारात्मक रहा है- 2015 में जनरल इलेक्ट्रिक ने 1,000 इंजनों (11 वर्षों के लिए वार्षिक आधार पर 100 इंजन) की आपूर्ति के लिए $2.6 बिलियन का अनुबंध हासिल किया। भारतीय रेल देश की जीवन रेखा है, जिसका 30 मिलियन से अधिक यात्री प्रतिदिन उपयोग करते हैं– रेलवे की सुविधाओं का आधुनिकीकरण करने एवं इसकी गति बढ़ाने से हमारे कार्यबल को और अधिक उत्पादक बनाने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करने के रूप में देखा जा सकता है।
भारत में रेलगाड़ियों की औसत गति 60 किलोमीटर प्रति घंटा है
दुनिया की अन्य अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के साथ कदम मिलाने के लिए भारत को तीव्र गति (हाई–स्पीड) वाले अपने रेलवे नेटवर्क का विस्तार करना होगा। भारतीय रेलवे विजन 2020 रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि हमारे रेलवे को रेलगाड़ियों की गति और दक्षता के मामले में अमेरिका, फ्रांस, जापान और जर्मनी जैसा बनाना होगा। उदाहरण के लिए- गति (भारत में रेलगाड़ियों की औसत गति 60 किलोमीटर प्रति घंटा है) और प्रति दस लाख (एक मिलियन) की जनसंख्या पर मार्ग-किलोमीटर, जोकि किसी देश में रेल संपर्क के स्तर को मापने का पैमाने होता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) और राष्ट्रीय रेल योजना (एनआरपी) 2020 का मसौदा रेलवे के विकास की दिशा में परिसंपत्ति के स्तर पर एक विस्तृत योजना पेश करते हैं। इस एनआईपी में वित्तीय वर्ष 2022-25 में केन्द्र और राज्यों दोनों द्वारा कुल 13.7 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की परिकल्पना की गई है, जिसमें से 1.6 लाख करोड़ रुपये पीपीपी मोड के माध्यम से होने की उम्मीद है। एनआरपी 2020 के मसौदे ने इस क्षेत्र के लिए अगले तीन दशकों के लिए एक रणनीतिक रोडमैप तैयार किया है, जिसमें यात्रियों के लिए सर्वश्रेष्ठ किस्म की सेवाओं को जारी रखते हुए रेलवे की औसत हिस्सेदारी (माल भाड़ा) को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत करना शामिल है।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) का कारगर कार्यान्वयन व्यापक पैमाने पर धन की आमदनी को सुनिश्चित करेगा जोकि यात्री रेलगाड़ियों के लिए बुनियादी ढांचे और परिचालन संबंधी लॉजिस्टिक्स को उन्नत करने के साथ-साथ रेलवे स्टेशनों, माल ढुलाई से जुड़े टर्मिनलों, रेलवे कॉलोनियों और रेलवे की पटरियों को बेहतर बना सकता है। इस संदर्भ में, यह समझना बेहद महत्वपूर्ण है कि आजादी के बाद से हमारी रेलवे की परिसंपत्तियों का एक बड़ा हिस्सा या तो अप्रयुक्त रह गया है या फिर उसका बेहद कम उपयोग किया गया है। रेलवे की पटरियों के किनारे की जमीन का ही मामला लें- इसे केबल बिछाने के लिए दूरसंचार कंपनियों को पट्टे पर दिया जा सकता है। इसी तरह, माल ढुलाई से जुड़े टर्मिनलों का निजी कंपनियों के लिए लॉजिस्टिक्स पार्क के रूप में उपयोग को संभव बनाकर राजस्व का एक अन्य स्रोत पैदा करना विवेकपूर्ण होगा। निजी क्षेत्र द्वारा ठोस निवेश सरकार द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करना संभव बनाएगा। इन लक्ष्यों में 2023 तक शत– प्रतिशत विद्युतीकरण, 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन नेटवर्क, टिकट बुकिंग में आसानी, माल ढुलाई से संबंधित ऑनलाइन सेवाएं और इसी तरह की कई अन्य सेवाओं की व्यवस्था शामिल हैं। नीति आयोग के विश्लेषण में वित्तीय वर्ष 2022 से लेकर वित्तीय वर्ष 2025 तक रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मुद्रीकरण मूल्य 76,250 करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि यात्री रेलगाड़ियों के संचालन के लिए यह मूल्य 21,642 करोड़ रुपये आंका गया है।
निजी निवेश के आने की उम्मीद
ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बात यह है कि परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की ओर कदम धीरे-धीरे बढ़ाया गया है। देश में प्रमुख टोल सड़कों के मामले में भी इसी तरह का मॉडल अपनाया गया था। एक अनुमान के मुताबिक, रियल एस्टेट के विकास के साथ-साथ 125 स्टेशनों के पुनर्विकास पर लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा, यात्री रेलगाड़ियों की कम क्षमता की वजह से एक और किस्म की चुनौती पैदा होती है। यह बात इस तथ्य से प्रमाणित होती है कि औसतन 15 प्रतिशत टिकट धारक प्रतीक्षा सूची में रहते हैं। अकेले 2018-19 के दौरान 8.84 करोड़ से अधिक यात्री प्रतीक्षा सूची में रहने की वजह से यात्रा नहीं कर सके थे। इस समस्या को दूर करने के उद्देश्य से उच्च-मांग वाले मार्गों में 12 क्लस्टर चिन्हित किए गए हैं और संभावित रूप से 109 मार्गों पर 150 आधुनिक रेलगाड़ियों को शामिल करने के साथ 30,000 करोड़ रुपये के निजी निवेश के आने की उम्मीद है। इस प्रकार, रेलवे का मुद्रीकरण इस क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों के एक विस्तृत अध्ययन पर आधारित है तथा एक ठोस आर्थिक तर्क द्वारा समर्थित है और इसमें अन्य क्षेत्रों के लिए एक अनुकरणीय एक आदर्श बनने की संभावना है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं, लेखक केंद्र सरकार में सचिव हैं। )