Opinion: इबादत कितना इस्लामी?

K. Vikram Rao: केरल के राज्यपाल खान मोहम्मद आरिफ खान (Kerala Governor Khan Mohammad Arif Khan) ने 8 जनवरी 2022 को भोले शंकर वाले उज्जैन के आरती-उत्सव में शिरकत की। इस अभिव्यक्ति से हर हिन्दू आह्लादित हुआ है।

Written By :  K Vikram Rao
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-01-10 18:15 IST

इबादत कितना इस्लामी ?

K. Vikram Rao: केरल के राज्यपाल खान मोहम्मद आरिफ खान (Kerala Governor Khan Mohammad Arif Khan) ने 8 जनवरी 2022 को भोले शंकर वाले उज्जैन के आरती-उत्सव में शिरकत की। इस अभिव्यक्ति से हर हिन्दू आह्लादित हुआ है। खलीफा अबू बक्र के अटल अनुयायी, साम्प्रदायिक एकजहती के क्रियाशील पैरोकार, सन्नत के अविचल समर्थक, इस्लाम पर ​विद्वत टिप्पणीकार, मिल्लत के निष्ठावान अनुगामी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवार्सिटी की छात्र यूनियन के महासचिव, कई बार केन्द्रीय तथा राज्य काबीना में काबीना मंत्री रहे खान साहब ने द्वादश ज्योतिर्लिंग के महाकाल की भस्मआरती में भी इबादत की। शिप्रा नदी तट पर स्थित स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की दर्शन-अर्चना हर अकीदतमं​द भारतीय अपना सौभाग्य मानता है। जाहिर है कि मात्र एक ही किताब में निष्ठा रखनेवालों ने बवाला मचा डाला। हालांकि हर आस्थावान नागरिक को उसके व्यक्तिगत मामले में सेक्युलर संविधान धार्मिक आजादी पूर्णतया निर्बाध देता है।

सत्ता में हिस्सेदारी अकसर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के हाथों में रही

केरल राज्य में बड़ी तादाद में मुसलमान बसे हैं। सत्ता में हिस्सेदारी अकसर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) के हाथों में भी रही। यहीं से वायनाड के मुसलमानों ने अपार समर्थन से (अमेठी से खारिज) कांग्रेसी नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) को लोकसभा में भेजा है। यही केरल राज्य है जहां एकदा मुसलमान कांग्रेस के हमजोली राज्य मंत्री ईटी बशीर (Minister of State ET Bashir) ने सार्वजनिक समारोह में औपचारिक रुप से दीप प्रज्जवलित करने से खुलेआम मना कर दिया था। उन्होंने कारण बताया कि इस्लाम में दिया जलाना काफिराना रिवाज है। उनके पूर्व में राज्य जहाजरानी मंत्री, जो मुसलमान थे, ने नये नौकायान के जलावतरण समारोह में नारियल फोड़ने से इनकार कर दिया था। ''इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता'', कहा था इन मंत्री महोदय ने। मगर आरिफ खान ने ऐसी हरकतों को नहीं माना।

तनिक गौर कर लें इसी क्रम में। केरल के अनीश्वरवादी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Chief Minister Pinarayi Vijayan) की पुत्री वीणा ने कुछ समय पूर्व मुसलमान पीडब्ल्यूडी मंत्री मोहम्मद रियाज मियां (PWD Minister Mohammad Riaz Mian) से निकाह रचाया। इसे मलयाली मुल्ला मौलवियों ने मान्यता नहीं दी। बल्कि रियाज की मुख्यमंत्री की पुत्री से ''वेश्यावृत्ति'' जैसा रिश्ता बनाने पर भर्त्सना की। अर्थात वीणा विजयन तथा​ रियाज मियां का निकाह इस्लामी नहीं है। स्वाभाविक है कि गवर्नर आरिफ खान ने मजहब को कारण बताकर ऐसी हरकतों को उचित नहीं बताया।

दो राष्ट्र के घोर विरोधी रहे आरिफ मोहम्मद खान मोहम्मद अली जिन्ना

केरल में गत वर्ष ही भारतीय इतिहास अधिवेशन में इस उदार मुस्लिम गवर्नर से कट्टर इस्लामी वृद्ध मियां प्रोफेसर मोहम्मद इरफान हबीब सशरीर (Professor Mohammad Irfan Habib Sashari) भिड़ गये थे। वे सम्मेलन के मंच पर नारे लगाते चढ़ गए थे। हाथापाई की नौबत आ गई थी। पुलिस एडीसी ने राज्यपाल को घायल होने से बचाया था। ये इरफान मियां गुलाम भारत में ब्रिटिश राज के अंग्रेज मालिक के पैरोकार एक मुसलमान जमींदार के पुत्र हैं। इतिहास को विकृत करना, तोड़ना-मरोड़ना आदि मियां इरफान की जानीमानी फितरत है। आरिफ मोहम्मद खान मोहम्मद अली जिन्ना के दो राष्ट्र के घोर विरोधी रहे। वे विभाजन को भारत-घातक मानते हैं। उनके ही शब्दों में विश्व में प्रत्येक राष्ट्र में बटवारे का विरोध होता रहा। आरिफ खाने ने दैनिक जागरण : 26 अगस्त 2008 को लिखा था। ''पाकिस्तान अपने बड़े भूभाग (बांग्लादेश) को खोने के बाद भी एक देश और एक विचार के रुप में जिंदा रह सकता है, क्योंकि उसकी पैदाइश का आधार एक अलगाववादी विचारधारा थी। दूसरी ओर अगर मजहब के नाम पर एक और बंटवारे की इजाजत दी गयी तो भारत एक देश के रुप में भले जिंदा रहे, मगर एक विचार के रुप में गंभीर संकट का सामना करेगा। भूभाग से ज्यादा भारत एक विचार का नाम है, जिसको हर कीमत पर परिपुष्ट किया जाना चाहिये।''

मोहम्मद आरिफ खान इस्लामी पुरोधाओं में जाते हैं गिने

मोहम्मद आरिफ खान उन चन्द तरक्कीपसंद सेक्युलर इस्लामी पुरोधाओं में गिने जाते है जो सही मायनों में समन्वित दोआबी सभ्यता तथा अकीदा के लिये संघर्षरत हैं। बाबरी ढांचे, जामिया मिलिया, ''सैटानिक वर्सेज'' किताब के लेखक सलमान रश्दी पर खान साहब का मत अत्यंत सेक्युलर और समन्वयवादी रहा। मोहम्मद आरिफ का ऐतिहासिक निर्णय था जब उन्होंने राजीव गांधी की काबीना के मंत्री पद को नि:संकोच ठोकर मारी थी। सर्वोच्च न्यायालय में बेसहारा अबला शाहबानो जैसा वृद्धा के लिए तलाक के बाद उसके जालिम पति को मुआवजा और जीवन यापन हेतु मदद देने का निर्देश दिया था।

कट्टरवादी मुस्लिम वोट बैंक से डर कर प्रधानमंत्री ने संसद में अपने बहुमत के बल पर नया कानून पास कराया था। अदालती निर्णय को निरस्त कर दिया था। तभी से हर मुस्लिम पुरुष ने तलाक के बाद अपनी पत्नी को एक रुपया का भी मुआवजा देने का विरोध वैध बना डाला। राजीव गांधी के इस निर्णय के कारण मुस्लिम महिलाओं पर सदियों से ढाया जा रहा जुल्म नयी सदी में भी सिलसिलेवार चलता ही रहा।

राजीव गांधी की पुत्री महिलाओं से मांग रही वोट

हालांकि आगामी यूपी विधानसभा निर्वाचन मार्च 2022 में राजीव गांधी की पुत्री महिलाओं से वोट मांग रही है और उनके अधिकारों की पक्षधर बन बैठी है। कैसा विरोधाभास है बाप और बेटी में? चुनाव में झूठ भी खूब चलता है। इसीलिये आरिफ मोहम्मद खान और असद्दुल्लाह ओवैसी में फर्क करने का माद्दा अल्लाह उनके हर भारतीय आस्थावान को प्रदत्त करे। इससे समभाव सबल होगा। सेक्युलर गणराज्य भी।

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