महिलाओं ने कैसे विश्व में डंका बजा दिया है

आज महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के विषय में बात कर रहे हैं। उससे पहले समझना होगा की महिला सशक्तिकरण का अर्थ क्या है।

Written By :  rajeev gupta janasnehi
Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update: 2021-04-24 04:52 GMT

सांकेतिक तस्वीर(साभार-सोशल मीडिया)

जी हां मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्तियां कुछ हद तक आज भी प्रतीकात्मक है लेकिन वैश्विक स्तर पर अब आधी आबादी को काफी हद तक सम्मान से वह अपना स्थान बनाती जा रही है| आज हम महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण के विषय में बात कर रहे हैं| उससे पहले हमें यह समझना होगा की महिला सशक्तिकरण का अर्थ क्या होता है। महिला सशक्तिकरण से चाहे वह, समाजिक हो, आर्थिक हो राजनीतिक हो, व्यापारिक हो, परिवारिक हो या कानूनी मुद्दों पर सरोकार की बात आती है उसे बराबरी आँकना व दर्जा देने को ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है |

वैश्विक स्तर पर नारीवादी अनेक आंदोलन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाओं के सामाजिक समता ,स्वतंत्रता और न्याय के साथ राजनीतिक अधिकारों और सशक्तिकरण की बात की है और उसे काफी हद तक प्राप्त करने में सफलता भी हासिल की है |महिला सशक्तिकरण भौतिक अध्यात्मिक शारीरिक या मानसिक सभी स्तरों पर महिलाओं में आज जो आत्मविश्वास पैदा किया है वह वह सशक्तिकरण आंदोलन ओर महिलाओं की कार्य कुशलता का ही नतीजा है |

महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण दिवस कब व कैसे चिन्हित हुआ 

महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण दिवस हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाता है| इस दिन को राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधि की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है| ऐसी दुनिया जहां विशेष रूप से राजनीतिक क्षेत्र में पुरुष प्रभुता को अधिक महत्व दिया जाता है और महिलाओं को कमतर आंका जाता है अन्य क्षेत्रों की तुलना में राजनीतिक में महिलाओं के प्रतिनिधित्व अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक पैदा करने के लिए वर्ष 1994 से 24 अप्रैल को महिला राजनीतिक सशक्तिकरण दिवस के रूप में चिन्हित किया गया है| इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, 24 अप्रैल, 1993 को पहला महिला राजनीतिक सशक्तिकरण दिवस मनाया गया।

महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण दिवस का इतिहास

भारत में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला आबादी को शहर के नागरिक के रूप में अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी नहीं है| महिलाओं को बराबरी से स्थान ना मिलने का कारण वित्तीय निर्भरता और सामाजिक संरचना के साथ उनका कम पढ़े लिखे हो ना भी आड़े आता है ।

पुरुषों द्वारा अपनी प्रधानता और नियंत्रण में भारत की भूमि में शासन की राजनीतिक प्राणी / पंचायती राज्य में महिलायें सदस्य रहती है अपवाद छोड़ के । हालांकि 1993 में इसमें बदलाव हुआ ना केवल पंचायती राज्य संस्थान को संविधान का हिस्सा बनाया गया बल्कि उसने महिलाओं को 33% आरक्षण दिया है जमीनी स्तर पर देश के शासन में महिलाओं को शामिल करने की दिशा में भारत का पहला कदम जमीनी स्तर पर देश के शासन में महिलाओं को शामिल करने की दिशा में यह भारत का पहला कदम था, 73 वें संवैधानिक संशोधन ने महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया।

महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण दिवस के उद्देश्य

महिला नेताओं के राजनीतिक अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 24 अप्रैल को महिला राजनीतिक सशक्तीकरण दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य एकजुटता को प्रोत्साहित करना, सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों का आदान-प्रदान करना, राजनीति में महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता पैदा करना और भविष्य की रणनीतियों को विकसित करना है।

महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण दिवस का महत्व

यह देश के लिए एक मुद्दा है कि महिलाओं को राजनीतिक स्थान पर विशेष रूप से महिलाओं के कारणों से कम आंका जाता है। यह भी सच है कि प्रभावी महिला नेतृत्व के बिना, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और प्रजनन अधिकारों जैसे मुद्दों को पर्याप्त रूप से स्वीकार नहीं किया जाएगा|राजनीतिक सशक्तीकरण दिवस के कारण कुछ वर्षों में, महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में राजनीतिक स्थान में 50% तक परिवर्तन हुए हैं, साथ स्व-सहायता समूहों, सहकारी समितियों, और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के माध्यम से आजीविका विकल्प बनाने, विकसित करने और बढ़ावा देने में मदद की है।महिला नेताओं के नेतृत्व में राजनीतिक स्थान बदल रहा है भारत की महिलाओं ने विश्व में डंका बजा दिया है | इसके अलावा भारत की लगभग सभी बड़ी पार्टियों के पास पाने अपनी-अपनी महिला पार्टियां भी हैं। जैसे कि भाजपा की शाखा भाजपा महिला मोर्चा है, काँग्रेस की शाखा अखिल भारतीय महिला काँग्रेस है और भाकपा की शाखा राष्ट्रीय महिला फेडरेशन है।

सभी महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण दिवस की बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.

*अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में है पानी *


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