शराब वीरों का सम्मान भी हो, खत्म हो जाएगी आर्थिक मंदी
यदि सरकार शराब की बिक्री बढाने के लिए कुछ स्कीमों पर अमल करे तो इसके बेहतर नतीजे आ सकते हैं देश आर्थिक मंदी से बहुत आसानी से उबर जाएगा। और लोग भी खुशी खुशी इसमें अपना योगदान करेंगे।
रामकृष्ण वाजपेयी
किसी समय यह कहा जाता था कि जो शराब का हुआ शिकार उसने फूंक दिया घरबार। शराब जहर है। शराब कैंसर का कारक है। लेकिन कोरोना जैसी महामारी के समय जब करीब 40 दिन बाद शराब की दुकानें खुलने का एलान हुआ तो लोगों का सब्र का बांध जिस तरह टूटा उससे एक बात साफ हो गई कि केंद्र और प्रदेश की सरकारें आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को लेकर बेकार में परेशान थीं और राजस्व का घाटा भी सह रही थीं। वास्तव में सरकारों को दवा और खाने पीने की वस्तुओं की जगह शराब की बिक्री बढ़ा देनी चाहिए थी ताकि कोरोना और बाकी गम भी गलत हो जाएं। सरकारों को शराब वीरों का सम्मान करना चाहिए और इन्हें शराब वीर, शराब शिरोमणि, शराब विभूषण, शराब भूषण, शऱाब भारती जैसे सम्मानों से नवाजा जाना चाहिए।
एक दिन में 300 करोड़
एक दिन में 300 करोड़ की शराब बिकी है अकेले उत्तर प्रदेश में। देखा जाए तो लोगों को खाने पीने की कोई दिक्कत थी ही नहीं। शराब की दुकानें खुलने के एलान के 24 घंटे पहले रात में ही लोगों ने शराब की दुकानों पर लाइनें लगा दी थीं। पुलिस लाइन लगवा रही थी। ऐसा लग रहा है कि अगर शराब की बिक्री न खोली जाती तो सरकार गिरने का खतरा हो सकता था। लॉकडाउन के दौरान गाहे बगाहे शराब की दुकानों के शटर टूटने और शराब लूटने की खबरें भी आती रहीं।
जय जय मोदी, जय जय योगी
मोदी और योगी सरकार ने शराब की बिक्री से पाबंदी हटाकर बहुत सही फैसला किया। इससे एक बात और साफ हो गई कि सरकार जो पैसा गरीब बनाकर लोगों को दे रही है उसका इससे बेहतर सदुपयोग नहीं हो सकता।
शराब के एटीएम पर विचार हो
केंद्र और प्रदेश सरकारों को अब इस बात पर विचार करना चाहिए कि बैंकों के एटीएम की तरह हर सौ मीटर पर शराब के एटीएम लगा दे। ताकि लोगों को लाइन लगाने की जहमत न उठानी पड़े। बेशक सरकार शराब पर सौ फीसदी टैक्स वसूलना शुरू कर दे। इससे आर्थिक मंदी भी दूर होगी और जनता का भला भी होगा। उसे रोटी कपड़ा किसी चीज की जरूरत नहीं रहेगी।
हर मर्ज की दवा
मुझे ध्यान आ रहा एक बार ब्रिटेन की प्रधानमंत्री का ध्यान आयरलैंड में लोगों के भूख से मरने की ओर दिलाया गया था तो पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा था कि लोग ब्रेड और वाइन क्यों नहीं लेते। लोग आज भी दवा दारू की चर्चा करते हैं। क्योंकि अगर दवा नहीं भी है तो दारू सारे दर्द और कष्ट और दूर कर सकती है।
पाबंदी से सरकार गिरने का खतरा
इसी तरह से देश के पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार के खिलाफ देशव्यापी माहौल सिर्फ इसलिए बन गया था क्योंकि उन्होंने पूरे देश में शराब बंदी लागू कर दी थी। वास्तव में हमारे देश में आदमी किसी भी दूसरी चीज से दूर रह सकता है सिवाय शराब के।
सब कुछ छोड़ सुरा देवी का ध्यान करें
वास्तव में देश का सारा फोकस रोजगार आदि की जगह शराब पर होना चाहिए। हर स्कूल कालेज में शराब पीना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। सरकारी सुविधाओं का लाभ शराब का सेवन करने वालों को ही मिलना चाहिए। इससे जनता में कोई शिकायत भी नहीं रहेगी। सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।
शराब सेवन को प्रोत्साहन की जरूरत
शराब सेवन के प्रोत्साहन के लिए स्कीम भी चलाई जा सकती हैं कि एक महीने में इतनी शराब पीने वाले को ये इनाम मिलेगा। संत कवि मधुसूदन कहा करते थे- नशा वो करते हैं जिनमें खुद का नशा नहीं होता, माधव तो बिन पिये ही नशे में रहते हैं। लेकिन देश के हालात देख कर लगता है कि और जरा सी दे दे साकी और जरा सी...।
यदि सरकार शराब की बिक्री बढाने के लिए कुछ स्कीमों पर अमल करे तो इसके बेहतर नतीजे आ सकते हैं देश आर्थिक मंदी से बहुत आसानी से उबर जाएगा। और लोग भी खुशी खुशी इसमें अपना योगदान करेंगे।