Samajwadi Party: अखिलेश यादव के गले की हड्डी बने चाचा शिवपाल, नाम सुनते ही भड़के

Samajwadi Party: अखिलेश की हालत सांप-छछूंदर वाली हो गई है। यही वजह रही कि गत बुधवार को पत्रकार वार्ता में शिवपाल का नाम सुनते ही वह भड़क गए।

Written By :  Rajendra Kumar
Published By :  aman
Update:2022-04-08 16:55 IST

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव (फाइल फोटो) 

Samajwadi Party: उत्तर प्रदेश में लगातार चार चुनाव हार चुके समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश सिंह यादव जल्द ही एक बड़े राजनीतिक संकट का सामना करेंगे। अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव ही अब उनके लिए संकट की वजह (गले की हड्डी) बनेंगे। ऐसा संकट जिसे लेकर अखिलेश की हालत सांप-छछूंदर वाली हो गई है। यही वजह रही कि गत बुधवार को पत्रकार वार्ता में शिवपाल का नाम सुनते ही वह भड़क गए।

दरअसल बीते छह वर्षों के दौरान अखिलेश की राजनीति को चमकाने के लिए जिस तरह से सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने शिवपाल का इस्तेमाल कर उन्हें हासिए पर डाला है, उससे शिवपाल यादव बेहद आहत हुए हैं। ऐसे में अब शिवपाल यादव ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से दूरी बनाने का पक्का फैसला कर लिया है। शिवपाल यादव अब अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करके यादव बेल्ट में अखिलेश यादव के लिए संकट खड़ा करेंगे। ठीक उसी तरफ से जैसे मुलायम सिंह यादव ने चौधरी चरण सिंह से नाता तोड़ने के बाद अजित सिंह के समक्ष राजनीतिक संकट खड़ा करते हुए अपनी पहचान बनाई थी। अब उसी तरफ पर शिवपाल सिंह यादव भी अपने राजनीतिक कौशल के सहारे सपा के वोटबैंक को अपने साथ जोड़ने में जुटेंगे।

अखिलेश और शिवपाल की राहें अलग

यूपी विधानसभा चुनावों के परिणाम से अखिलेश यादव को लगे झटके और राज्य के बदले राजनीतिक माहौल में शिवपाल सिंह यादव ने अभी अपने पत्ते पूरी तरह नहीं खोले हैं। परन्तु अब यह तय हो गया है कि अब अखिलेश और शिवपाल की राहें अलग-अलग हैं। इस अलगाव की मुख्य वजह अखिलेश यादव का व्यवहार ही है। सपा पर अपना कब्जा कायम करने के लिए वर्ष 2016 से मुलायम परिवार में जो विवाद शुरू हुआ था उसके चलते शिवपाल को अलग पार्टी बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

जगह दी पर सम्मान नहीं

बीते विधानसभा चुनावों में राजनीतिक मजबूरी के चलते अखिलेश यादव को अपनी चाचा की याद आयी और अखिलेश ने उन्हें अपने गठबंधन में जगह दी पर सम्मान नहीं। शिवपाल सिंह ने अपनी जसवंत नगर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते भी। परन्तु चुनावों बाद अखिलेश (सपा) ने यह कहते हुए उन्हें पार्टी विधायक दल की पहली बैठक में नहीं बुलाया कि वे तो उसकी सहयोगी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। इससे खफा शिवपाल यादव ने बाद में उसके सहयोगी दलों की बैठक से किनारा कर लिया और अखिलेश से अलग होकर अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करने का फैसला कर लिया। इस फैसले के बाद शिवपाल सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिले।

एक और शख्स की देर-सवेर बीजेपी में एंट्री

इस मुलाकात के बाद अब यह चर्चा जोर शोर से होने लगी है कि देश के सबसे ताकतवर समझे जाने वाले यूपी के यादव परिवार से एक और शख्स की देर-सवेर बीजेपी में एंट्री होने वाली है। यह शख्स कोई और नहीं, बल्कि मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव हैं। जिनके बारे में यह कहा जा रहा है कि वह उस पार्टी की नींव के पत्थर हैं, जिसके ऊपर मुलायम सिंह यादव की विशाल शख्सियत खड़ी है। उसी शिवपाल सिंह को सपा मुखिया अखिलेश सिंह ने हमेशा अपने लिए बाधक माना।

अखिलेश यादव ने कोई सबक नहीं सीखा

हालांकि अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की लगातार मिली चार शिकस्तों से, जिनमें 2014 व 2019 के लोकसभा चुनावों और 2017 व 2022 के विधानसभा चुनाव शामिल हैं। चार चुनावों में मिली इस शिकस्त के बाद भी अखिलेश यादव ने अब तह कोई सबक नहीं सीखा है और ना ही भविष्य की चुनौतियों के विरुद्ध लंबी लड़ाई की तैयारी ही की है। यही वजह है कि विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद अखिलेश ने शिवपाल को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर विचार नहीं किया, ना ही उन्होंने शिवपाल को सपा विधायक ही माना। ऐसे में शिवपाल सिंह सपा और अखिलेश यादव से दूरी बनाने में ही अपना हित देखा। शिवपाल के नजदीकी नेताओं के अनुसार शिवपाल सिंह यादव अब फिर अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को सक्रिय कर यादव बेल्ट में सपा के वोटबैंक को अपने साथ जोड़ने की मुहिम में जुटेंगे।

शिवपाल का ट्विटर के जरिए संदेश 

इसी क्रम में शिवपाल सिंह ने ट्विटर पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को फॉलो करना शुरू कर एक नया संदेश दिया है। यह भाजपा के प्रति उनकी बढ़ती नजदीकियों के स्पष्ट करता है। फिलहाल यह चर्चा शुरू होने लग गई है कि छह बार के विधायक शिवपाल यादव को भाजपा विधानसभा उपाध्यक्ष बना सकती है। जिस तरह सपा खेमे में सेंध लगाते हुए विधायक नितिन अग्रवाल को उपाध्यक्ष बनाया था, उसी तरह से सपा विधायक शिवपाल को भी विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाकर अखिलेश यादव को झटका दिया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो शिवपाल की कुर्सी नेता विरोधी दल अखिलेश के बगल में होगी।

फिलहाल शिवपाल सिंह यादव इसके लिए तैयार होंगे या नहीं यह जल्दी ही स्पष्ट हो जाएगा, परन्तु अब यह तय हो गया है कि शिवपाल सिंह यादव अब सपा के वोटबैंक में सेंध लगाने की अपनी मुहिम के जरिए अखिलेश यादव को राजनीति का सबक सिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। जिसके तहत ही वह आजमगढ़ में होने वाले लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव प्रचार भी करेंगे।

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