सबके लिए 'सार्वभौमिक और किफायती स्वास्थ्य सेवा' प्रदान करने की दिशा में भारत के बढ़ते कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश आगे बढ़ा...

Written By :  Mansukh Mandaviya
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-09-27 16:04 IST

वेक्सीनेशन की डिजाइन तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Swasthya Sewa: दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान (Vaccination Campaign) के तहत, भारत ने पिछले सप्ताह, दो प्रमुख पड़ाव पार किए गए -17 सितंबर को 2.5 करोड़ कोविड-19 वैक्सीन की खुराकें दी गयीं, जो विश्व स्तर पर एक दिन में वैक्सीन की खुराक की सबसे बड़ी संख्या है और भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जहां अब तक वैक्सीन की कुल 80 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। इस प्रकार, भारत इन कठिन प्रतीत होने वाले रिकॉर्ड को हासिल कर चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के दूरदर्शी नेतृत्व में, हमारे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मी, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के प्रतिबद्ध अधिकारियों की टीमों, निजी क्षेत्र और सहयोगी संगठनों के अथक प्रयासों के कारण ही ये उपलब्धियां हासिल की गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 (Covid 19 India) की शुरुआत में ही टीकाकरण कार्यक्रम में विस्तार देकर प्रत्येक भारतीय को इस महामारी के खतरों से बचाने पर बहुत जोर दिया था।

इस विश्वास के अनुरूप कि एक स्वस्थ राष्ट्र से देश की उत्पादकता में वृद्धि होती है। सामाजिक-आर्थिक स्तर पर बेहतर परिणामों के लिए व्यापक प्रभाव पैदा होता है। केंद्र सरकार ने 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए पिछले साल के बजट की तुलना में 137 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह प्रत्येक भारतीय को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने और भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

2014 के बाद से ही, देशवासियों के स्वास्थ्य को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा गया है। तदनुसार, दिसंबर 2014 में महत्वाकांक्षी कार्यक्रम, मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की गयी, जिसके परिणामस्वरूप भारत में 90 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण कवरेज संभव हुआ है। कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद, कमजोर और उच्च जोखिम वाले समूहों तक पहुंचने तथा 'कोई भी छूट न जाए'के लक्ष्य को हासिल करने के लिए, इस मिशन को 2019-20 में और तेज किया गया था। हमें इस बात का गर्व है कि मिशन के लॉन्च होने के बाद से अब तक 3.86 करोड़ बच्चों और लगभग 97 लाख गर्भवती महिलाओं को मिशन इंद्रधनुष के तहत टीका लगाया जा चुका है।स्वास्थ्य संबंधी सार्वभौमिक कवरेज के प्रति वचनबद्धता के साथ एक व्यापक सुधार एजेंडा की अभिव्यक्ति के तौर पर हमने 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) की घोषणा की।

वंचितों को सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण से नियमित रूप से निर्देशित, आयुष्मान भारत कार्यक्रम को दो घटकों के साथ शुरू किया गया था- स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) जिसका उद्देश्य व्यापक निवारक, प्रोत्साहनात्मक, उपचारात्मक, पुनर्वास और पीड़ा को कम करने वाली प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं, जो कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के समुदायों के लिए सार्वभौमिक और मुफ्त हैं, के माध्यम से सेहत और कल्याण प्रदान करना है। जनसांख्यिकी में बदलाव एवं बीमारी के बोझ ने योग को बढ़ावा देने और आयुष पर ध्यान देने के साथ ही "ईट राइट इंडिया और फिट इंडिया" जैसे नए कार्यक्रम तैयार करने के लिए प्रेरित किया है। यह बड़े गर्व की बात है कि देश में 77,000 से अधिक स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) काम कर रहे हैं ।

दिसंबर 2022 तक 150,000 एबी-एचडब्ल्यूसी के संचालन का लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर हैं। आयुष्मान भारत का दूसरा स्तंभ, यानी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का शुभारंभ भी 2018 में किया गया था। इस योजना की शुरुआत अस्पताल में भर्ती होने के कारण होने वाले स्वास्थ्य संबंधी भारी-भरकम खर्चों से बचाव संबंधी सामाजिक सुरक्षा के इरादे से प्रति परिवार पांच लाख रुपये का बीमा कवर पाने वाले 10 करोड़ वंचित परिवारों समेत 50 करोड़ भारतीय नागरिकों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। पीएम-जेएवाई दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में से एक है। पीएम-जेएवाई के तहत वंचितों को अब तक 16 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड, अस्पताल में दो करोड़ दाखिले और 26,000 करोड़ रुपये मूल्य के इलाज से जुड़ी सुविधाएं प्रदान की गईं हैं।

हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि स्वस्थ माताएं और बच्चे किसी भी समाज की आधारशिला होते हैं। पिछले पांच वर्षों में, प्रधानमंत्री मातृ सुरक्षा योजना, सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन), लक्ष्य, मिशन परिवार विकास समेत महिलाओं और बच्चों के लिए लक्षित विभिन्न कार्यक्रमों और सुविधाओं के त्वरित कार्यान्वयन की वजह से भारत की मातृ और शिशु मृत्यु दर में विश्व स्तर पर इस क्षेत्र में होने वाली गिरावट की दर की तुलना में बहुत तेज गति से गिर रही है। मातृ मृत्यु अनुपात, जोकि 2011-13 में 167 था, 2016-18 में घटकर 113 हो गया है (नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण के अनुसार)। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर, जोकि 2012 में 52 थी, 2018 में घटकर 36 हो गई है। इन सब प्रयासों के साथ, हमने देश को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य से संबंधित सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को सतत विकास लक्ष्य के लिए निर्धारित समय-सीमा से काफी पहले हासिल करने की दिशा में बढ़ाया है।

स्वास्थ्य संबंधी सार्वभौमिक देखभाल प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करने वाली पूरी तरह सुसज्जित श्रमशक्ति की पर्याप्त संख्या की जरूरत होती है। उच्च गुणवत्ता वाली जन-केंद्रित स्वास्थ्य संबंधी देखभाल प्रदान करने के लिए उपयुक्त कौशल और दक्षताओं की जरूरत होती है। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) का गठन करने संबंधी कदम से भारत में एक व्यावहारिक और भरोसेमंद चिकित्सा शिक्षा प्रणाली तैयार होगी। इस नवगठित निकाय की परिकल्पना मौजूदा शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थानों की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करने के उद्देश्य से की गई है। इसके अलावा, हाल ही में संसद द्वारा पारित 'राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग विधेयक, 2020' (नेशनल कमीशन फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन एक्ट, 2020) संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा और सेवाओं के मानकों के विनियमन और रख-रखाव की बहुप्रतीक्षित जरूरत को पूरा करेगा। डेंटल आयोग विधेयक; नर्सिंग एवं मिडवाइफरी आयोग विधेयक जैसे कई अन्य विधेयकों को मंजूरी मिलने के बाद भारत में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में और अधिक बदलाव आएगा।

चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में हर साल दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्‍या अधिक-से-अधिक बढ़ाने की दिशा में कई सुधार लागू किए गए हैं। वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2020 तक की अवधि में देश भर में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 48 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है। एमबीबीएस सीटों की संख्या में 57 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसी तरह मेडिकल पीजी सीटों की संख्या में भी लगभग 80 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है। हम 'प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना' के तहत 16 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना कर रहे हैं।इसके साथ ही हम मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन के लिए राज्यों को आवश्‍यक सहयोग दे रहे हैं, ताकि इन कॉलेजों के परिसर में विशेष ट्रॉमा सेंटर और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक भी बनाए जा सकें। हमने डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड (डीएनबी) से जुड़े पाठ्यक्रम और जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम जैसे सुधार एवं उपाय भी किए हैं जिससे कि डॉक्टरों की उपलब्धता और भी अधिक बढ़ाई जा सके।

हम अत्याधुनिक तकनीकों जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, और ऑनलाइन टूल जैसे कि 'टेलीकंसल्टेशन के लिए ई-संजीवनी'के उपयोग के जरिए व्‍यापक डिजिटल बदलाव लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत के कौशल का अधिकतम उपयोग करना चाहते हैं। उल्‍लेखनीय है कि इस दिशा में टेलीकंसल्टेशन को काफी हद तक बढ़ाया गया है और 1.2 करोड़ से भी अधिक टेलीकंसल्टेशन हो चुके हैं। यही नहीं, 'को-विन'की बदौलत हाल ही में सिर्फ एक ही दिन में 2.50 करोड़ से भी अधिक लोगों को डिजिटल और सत्यापन योग्य क्यूआर-कोड आधारित टीकाकरण प्रमाण पत्र प्रदान करना संभव हो पाया है। 'को-विन'के इस अत्‍यंत उत्‍साहवर्धक ताजा उदाहरण से प्रधानमंत्री के 'स्वस्थ भारत' विजन को साकार करने का मेरा भरोसा काफी बढ़ गया है।

आज मोदी जी के नेतृत्व में भारत दुनिया में सबसे कम कोविड पॉजिटिविटी दर एवं सबसे कम मृत्यु दर और इसके साथ ही कोविड से रिकवरी की उच्‍चतम दर को निरंतर बनाए रख पा रहा है। हमने कोविड से निपटने के लिए 'सबका प्रयास' के आदर्श वाक्य या मूल मंत्र का पालन किया जिसके तहत'समग्र सरकार' और 'समग्र समाज' के दृष्टिकोण के जरिए समस्‍त सरकारों, वैज्ञानिकों, स्वास्थ्य कर्मियों और भारत के लोगों का संयुक्त प्रयास सुनिश्चित किया गया। यह मोदी जी का ही दृष्टिकोण है कि 'स्वस्थ भारत' के माध्यम से ही 'समृद्ध भारत'का निर्माण संभव है। हम इस देश के 1.3 अरब लोगों को बेहतरीन और किफायती स्वास्थ्य सेवा उपलब्‍ध कराने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा किए गए वादे को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

(लेखक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री हैं)

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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