Trump News: ट्रम्प का धन्यवाद - भारतीयों की वतन वापसी
Trump News धन्यवाद ज्ञापित इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने यह पुण्य कार्य करके भारतवासियों के ज्ञानचक्षु खोलने का तथा वास्तविकता की कसौटी को परखने का अवसर प्रदान किया है।;
Trump News (Photo Social Media)
Trump News नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ भारतीयों को लज्जित कर अपने सैनिक विमान से भारत वापिस भेज दिया है। लेखक उनके इस कृत्य के लिए उनको अत्यधिक धन्यवाद देता है। यद्यपि अधिकांश पाठकों को लेखक के द्वारा इस कृत्य के लिए धन्यवाद देना, उचित प्रतीत नहीं हो रहा होगा, परन्तु लेखक के द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति को धन्यवाद ज्ञापित इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने यह पुण्य कार्य करके भारतवासियों के ज्ञानचक्षु खोलने का तथा वास्तविकता की कसौटी को परखने का अवसर प्रदान किया है। उनको यह भी ज्ञान देने का प्रयास किया है कि स्वदेश, राज्य तथा परिवार के प्रति निष्ठा भाव रखें नाकि विदेश की ओर आकर्षित होकर अपने परिवार से विमुख हों।
वर्तमान वैश्वीकरण के युग में भारत का युवा नागरिक अपने जीवन में नित् नवीन तकनीकी में पारंगत होने तथा अपने व्यवसायिक जीवन में उन्नति करने की अभिलाषा से अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप जैसे विकसित राष्ट्रों में येन-केन-प्रकारेण पहुँच कर अपना निवास तथा व्यवसाय स्थापित करने का प्रयास कर रहें हैं। ऐसा करते हुए, वे अपने संस्कारों को विस्मृत कर, अपने दायित्वों का त्याग कर, अपने वृद्ध माता-पिता को भी विलाप करता हुआ छोड़कर चले जाते हैं। अपनी संतान के लिए निरन्तर अश्रु धारा प्रवाहित करते हुए प्रतीक्षारत् रहकर वृद्ध माता-पिता कुछ समय पश्चात अन्तिम सांस ले लेते हैं। उनका प्रतिभा सम्पन्न पुत्र उनके अन्तिम दर्शन करने तथा उनको श्रद्धा अर्पित करने भी नहीं आ पाता है।
इसके विपरीत, युवावर्ग अपनी व्यवसायिक अकांक्षा की पूर्ति हेतु विदेश को प्रस्थान करते हुए अपने वृद्ध माता-पिता को यदि साथ ले भी जाते हैं, तो वहाँ की संस्कृति का अनुकरण करते हुए तथा भारतीय संस्कारों की पूर्णतया अवहेलना करते हुए विवाह के समय तथा पश्चात माता-पिता की उपेक्षा करना प्रारम्भ कर देते हैं। तत्पश्चात वे अपनी अलग दुनिया बसाकर वृद्ध माता-पिता को अनजान शहर में नित्-प्रतिदिन अपने पुत्र विछोह को सहन करने के लिए विवश कर देते हैं। अन्ततः असहाय वृद्ध माता-पिता पुत्र की प्रतीक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग देते हैं।
आज यही स्थिति शनै-शनै सम्पूर्ण विश्व के अधिकांश परिवारों की होती जा रही है। यदि भविष्य में भी, इसी प्रकार की स्थिति बनी रही तो कोई आश्चर्य नहीं होगा कि अमेरिका की भांति अन्य देशों से भी भारतीयों का निष्कासन प्रारम्भ हो जाए। यदि यह निष्कासन की भयावह स्थिति दुबई व सऊदी अरब ने भी प्रारम्भ कर दी, तो इन देशों के भी भारतीयों की दुर्दशा बांग्लादेश के सदृश हो जाएगी।
प्रत्येक भारतवासी के लिए अमेरिकी में घटित घटना गहन चिंतन के अवसर प्रदान करती है कि भारतीयों को अपने देश के प्रति समर्पण की भावना को जागृत करना होगा। अन्यथा यह सीख विश्व के अन्य देशों से भारतीयों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से दी जा सकती है। प्रत्येक भारतवासी का यह कर्तव्य है कि वह अपने ज्ञान, कौशल तथा नवाचारों का स्वदेश के उत्थान हेतु उपयोग करके, अपने देशप्रेम व देशभक्ति की भावना को सिद्ध करें।