रोजगार की चिंता: बढ़ती बेरोजगारी में धूमिल होता मैनपुरी के युवाओं का भविष्य

प्रदेश में सपा की सरकार रही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बनें, पर जिले के लिए रोजगार की व्यवस्था न हो सकी।

Reporter :  Praveen Pandey
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-04-22 22:26 IST

रोजगार (कॉन्सेप्ट फोटो- सोशल मीडिया)

मैनपुरी: उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जनपद जिसकी गौरवगाथा न केवल इतिहास के पन्नों में अंकित है अपितु आज भी देश और प्रदेश के इतिहास में दर्ज है। लेकिन आज यह जनपद खामोश है, अपनी बदहाली पर आज यह खामोश है। यहाँ के नेताओं की नकारात्मक सोच की बेरुखी पर। यहाँ की बढती हुई बेरोजगारों की फौज पर उसके युवाओं के हाथ सूने हैं। उनके हाथों में बदनसीबी की ऐसी काली रेखाएं हैं जो उन्हें या तो अपराध की दुनिया में धकेल देती है या फिर घर बार छोड़ बाहर जाकर लोगों की गुलामी करने पर मजबूर कर देती हैं। पल-पल माँ बाप के टूटते सपने युवाओं को उद्देलित कर रहे हैं। तभी कभी यहाँ छबिराम जैसे डाकू बन जाते तो कभी भोगाँव बैंक डकैती के कर्णधार।

आखिरकार आगरा मंडल का यह जनपद जो मैनपुरी, भोगाँव, किशनी, करहल, घिरोर, कुरावली तहसील का मालिक हो 868 राजस्व गाँव 14 पुलिस थानों एक नगर पालिका 9 नगर पंचायतें तथा 9 ब्लाक सहित 2745 वर्ग किमी में फैले लगभग 20 लाख की आबादी समेटे हो वह आज विकास की दौड़ में पीछे हो गया।

एक सोचनीय विषय है, जिस जनपद ने महाभारत काल से लेकर आजादी की लडाई में कभी सिर नहीं झुकाया। हँस - हँस कर अपने गले में आजादी के मतवालों ने फाँसी का फंदा अपने गले में डालकर आजादी का तराना गाते हुए देश की खातिर शहीद हो गये। जिस जिले में कृष्ण कुमार, जमुना प्रसाद त्रिपाठी, सीताराम गुप्ता जैसे युवाओं की छाती अँग्रेजों की गोलियों से छलनी हो गई पर तिरंगे झंडे को झुकने नहीं दिया। आज वही जनपद अपने युवाओं की सूनी आँखों को देख बैचैन है और हो भी क्यों न आज अपनी सरकार है अपने चुने हुए नेता है फिर यहाँ विकास के नाम पर सिर्फ कोरे आश्वासन। एक भी नेता चाहे वह रक्षामंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव रहे हों चाहे प्रदेश सरकार में प्रावधिक मंत्री के रूप में आलोक शाक्य रहे हों किसी ने भी तो इस जनपद के लिए ऐसा कुछ नहीं किया और न सोचा जो यहां के बेरोजगार युवकों को रोजगार मिलने का जरिया बनता।

मैनपुरी (फोटो- सोशल मीडिया)

भौगोलिक दृष्टि से सम्पन्न है मैनपुरी

भौगोलिक दृष्टि से मैनपुरी जनपद बेहद सम्पन्न है। मैनपुरी को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां पर लहसुन, आलू, मूगफली का भंडार है, कभी गन्ना के लिये यह मशहूर था, पर किसी भी सरकार ने फसल आधारित को उधोग स्थापित करना उचित नही समझा। सन 1975 के बाद हुए चुनाव में भोगाँव से एक एमएलसी सहित हरीराम शाक्य, हाकिम लाल वर्मा, लल्लू सिंह चैहान विधायक बनें। उस समय भोगाँव विधायक हरीराम शाक्य ने गन्ना मिल के लिए प्रयास किया, पर अन्य माननीय खामोश हो गए और शाक्य की आवाज विधानसभा की फाइलों में हमेशा के लिये शान्त कर दी गई।

रोजगार व्यवस्था 

विगत कई वर्षों से प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार रही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बनें, पर जिले के लिए रोजगार की व्यवस्था न हो सकी। वह चाहते तो बड़ें उद्योगपतियों को यहाँ निवेश के लिए पहल कर सकते थे, पर उन्होंने यहाँ फसल आधारित उद्योग लगवाने मे कोई पहल नहीं की। प्रावधिक शिक्षा राज्य मंत्री आलोक शाक्य भी कोई उद्योग न ला सके और जनपद एक बार फिर छला गया। तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री रहे सलमान खुर्शीद की पहल पर भोगाँव को एक नवोदय विद्यालय तथा औधोगिक इंडस्ट्रियल स्टेट की सथापना हुई पर एक भी उद्योग नहीं स्थापित हो सका। आज वह जगह भैंसों के मेले के लिए जानी जाती है।

बेरोजगार युवकों को रोजगार की आशा 

एक बार फिर इस जिले के बेरोजगार युवकों को आशा की किरण दिखाई दी, जब प्रदेश सरकार मे भोगाँव विधानसभा सभा से चुने गये जिले के एकमात्र भाजपा विधायक रामनरेश अग्निहोत्री को कैबिनेट मंत्री बनाया गया और उन्हें आबकारी विभाग दिया गया। यहाँ बताना जरूरी है कि जिले का नौजवान नौकरी न मिलने से परेशान हो कच्ची शराब के अवैध धंधे में जुटा है। धीरे-धीरे यह धंधा जिले में कुटीर उद्योग बन चुका है। काश इस धंधे मे लिप्त हो चुके नौजवानों के लिए शराब बनाने का ही उद्योग स्थापित कराने में आबकारी मंत्री पहल करें तो जिले के बेरोजगारों को रोजगार के अनेक अवसर मिल सकेगें।

बेरोजगारी (फोटो- सोशल मीडिया)

शिक्षा की गुणवत्ता न के बराबर

ऐसा नहीं है कि यहाँ शिक्षा की कमी है। यहाँ शिक्षा क्षेत्र में बेहिसाब विद्यालय खुले हैं। सपा सरकार में, पर शिक्षा की गुणवत्ता न के बराबर है विद्यालय छात्रों को केवल पास का प्रमाण पत्र देने की संस्था बनकर रह गये हैं। आज भी यह जनपद समाजवादी पार्टी का गढ़ है जिले के सांसद मुलायम सिह यादव तथा करहल, मैनपुरी, घिरोर से विधायक समाजवादी पार्टी के हैं जो चाहें तो आज भी इस जनपद को अपने दम पर पिछड़ेपन के अभिशाप से मुक्ति दिलाकर बेरोजगार युवाओं के दिलों को जीत सकते हैं पर जरूरत है एक सकारात्मक राजनैतिक ऊर्जा की, एक सकारात्मक सोच की, ठोस पहल की। यहाँ वेटलैण्ड है जहाँ चार सौ से अधिक सारस की प्रजाति प्रजनन करने आते हैं। समान पक्षी बिहार जो पर्यटन केंद्र विकसित हो सकता है। औंछा का च्यवन ऋषि का प्राचीन मंदिर भोगाँव स्थिति प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर, मैनपुरी के महाराजा तेजसिंह का किला पर्यटन स्थल केन्द्र बन कर मैनपुरी को नयी ऊर्जा एवं विकास के पथ पर मील का पत्थर बन सकते हैं।

मगर इसके लिये कोई राजनेता पहल तो करे, अब मैनपुरी की जनता मंत्री राम नरेश अग्निहोत्री की तरफ देख रही है कि शायद अब कोई न कोई उद्योग मैनपुरी में लग जायेगा। जिससे मैनपुरी के युवाओं को बेरोजगारी से निजात मिल सके। मगर शायद ऐसा होगा नहीं क्योंकि राम नरेश अग्निहोत्री को आबकारी मंत्री बने हुये लगभग ढाई साल होने को है अभी तक तो मंत्री जी की तरफ से कोई पहल हुई नहीं और शायद अब होगी भी नहीं।

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