World Senior Citizens Day: बुजुर्गों के अपमान में वृद्ध आश्रम का तो दोष नहीं ?

आज विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस है। सच पूछिए तो आज का दिन परिवार के निर्माण करने वाले व्यक्तियों का दिन है। हमारे भारत में बुजुर्गों की अहमियत भगवान के समकक्ष मानी जाती है।

Written By :  rajeev gupta janasnehi
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-08-20 17:08 IST

विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस: बुजुर्गों के अपमान में वृद्ध आश्रम का तो दोष नही ?

World Senior Citizens Day: आज विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस है। सच पूछिए आज का दिन परिवार के निर्माण करने वाले व्यक्तियों का दिन है। हमारे भारत में बुजुर्गों की अहमियत भगवान के समकक्ष मानी जाती है। जिस घर में बुजुर्ग होते हैं वह घर बहुत खुश माहौल में व फलीभूत रहता है और जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता है या उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है वह घर अवसाद व परेशानियों का सामना करते हैं । तमाम लोककथाएँ,कविताएं और कहानियों में कितने ही साहित्यकारों ने बुजुर्गों की अहमियत पर लिखा हैं कि बुजुर्गों गीत है संगीत है आपके बच्चों का खिलौना और संस्कार देने वाला बट वृक्ष होता हैं।

मां बाप अपने खून से परिवार को सीचते हैं। लेकिन आज वैश्विक और आर्थिक युग में देखने में मिल रहा है कि हम लोग अपने बुजुर्गों का सम्मान करना तो दूर है तिरस्कार करने से भी नहीं चूक रहे हैं और कुछ परिवार तो यह मानने लगे हैं की बुजुर्ग का मतलब एक बोझ । वो भूल गए है कि बुजुर्ग बोझ नहीं है वह एक धरती है एक बीज हैं एक प्रफुल्लित लक्ष्य है जिनकी छाया में ही आप पल्लवित हुए हैं । हम भारत की परंपरा व धर्म की किताबें देखें तो आपको मिलेगा कि बुजुर्ग एक वह छाता है जो अपने परिवार को हमेशा केवल कष्टों से दूर नही रखता है बल्कि समय के साथ वो सब भी देता है जो पहले देता था ।

एक मां बाप चार बच्चों को पाल सकते हैं तो चार बच्चे एक मां बाप का पालन क्यों नहीं कर सकते ?

 देख तेरे संसार की क्या हालत हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान जी हां यह चार पांच दशक पहले का गाना आज के भारतीय परिवेश में बिल्कुल फिट बैठता है। जहां पर एक मां बाप चार चार पांच पांच बच्चों का पालन करते हैं वहीं पर आज चार पांच बच्चे एक मां बाप का पालन नहीं कर सकते । अनेक सामाजिक फिल्म जैसे बागवान में आज इस मंजर का संपूर्ण चित्रण करके बुजुर्गों की दयनीय स्थिति पर फिल्माया गया।

वैश्विक रोजगार और आर्थिक युग में जब मां बाप की भागमभाग जिंदगी हो और सीमित परिवार की परंपरा चल निकली हो ऐसे में बुजुर्ग किसी हीरे या प्लेनेट इन से कम नहीं होते हैं क्योंकि आपके पीछे से यह बड़े बुजुर्ग जो आप अपने बच्चों में संस्कार ज्ञान बौद्धिक विकास स्वास्थ्य आचरण जो है जो आप उन में रोपना चाहते हैं वह आपके घर के वरिष्ठ बड़े बुजुर्ग खेलते खेलते आपके बच्चे में कब रोपित कर देंगे ना बच्चे को पता चलेगा आपको पता चलेगा। इसके साथ ही जो घर के बड़े बुजुर्ग होते हैं उनके रहने से घर में सुरक्षा तो रहती है बस जब आप काम से लौटते हैं तो आपको एक स्वादिषट व पौष्टिकता से भरपूर आपके भोजन की भी व्यवस्था वह करके रखती हैं। इतना सब कुछ आप लाखों रुपए खर्च करके भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं ।यह अपनापन यह प्यार यह वही दे सकता है जिसने आप को जन्म दिया है या आपके खून से किसी ना किसी रूप में रिश्ता रखता है।

बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता सूचकांक में कौन राज्य किस नंबर पर? 

इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटीटीवनेस द्वारा बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता सूचकांक की है जिसमें अपना पड़ोसी राज्य राजस्थान अब्बल रहा है । यह लिस्ट देश के बुजुर्गों की आबादी के कल्याण का आंकलन करता है। रिपोर्ट में 50 लाख बुजुर्गों की आबादी वाले और 50 लाख से कम बुजुर्गों की आबादी वाले राज्यों को दो हिस्से में विभाजित किया गया था हिमाचल प्रदेश कम सूची में सबसे आगे है जबकि उत्तराखंड और हरियाणा क्रम से दूसरे और तीसरे स्थान पर है । चंडीगढ़ और मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों की श्रेणी में शीर्ष पर थे वहीं दूसरी ओर तेलंगना और गुजरात में बुजुर्ग और कम बुज्रुग (अपेक्षाकृत वृद्धि )राज्यों की श्रेणी में सबसे कम शीर्ष पर किया था । जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश और उत्तर पूर्वी राज्यों के क्षेत्र में सबसे नीचे रखा गया था। भारत देश की कुल आबादी के रूप में बुजुर्गों की जनसंख्या 2026 तक लगभग 12:30 प्रतिशत हो जाएगी वर्ष 2050 तक साडे 19 परसेंट से अधिक होने की उम्मीद आंकड़े बता रहे हैं ।

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी -पीएम ) के अनुरोध पर इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटीटीवनेस ने यह सूचकांक किया है. ईएसी -पीएम प्रधानमंत्री का आर्थिक सलाहकार परिषद हैं। एक गैर-संवैधानिक, गैर-सांविधिक, स्वतंत्र निकाय है। जिसका गठन भारत सरकार विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिए किया गया है जो ऐसे मुद्दों पर प्रकाश डालता है जिनका अक्सर बुजुर्गों के सामने आने वाली समस्याओं में उल्लेख ही नहीं किया जाता है।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं  

अब आपको बता दें कि सरकार ने भी वरिष्ठ नागरिकों को कदम-कदम पर सुविधाएं दी हैं। साठ वर्ष से ऊपर के प्रत्येक नागरिक सभी सरकारी सुविधाओं के हकदार हैं। इन्हें रेलवे के किराए में 40 प्रतिशत छूट दी जाती है। सरकारी बसों में कुछ सीटें आरक्षित रखी जाती हैं। एयर लाइन्स में 50प्रतिशत तक की छूट देने की व्यवस्था रखी गई है। बैंकों में भी इन्हें सुविधाएं प्राप्त हैं।

भारत में बुजुर्गों को भगवान के बराबर का दर्जा दिया गया था उस को बरकरार रखें उस पर अमल करे।यह विज्ञानिक बात है कि जिस घर में बुजुर्गों को हंसने-मुस्कुराने देते तो आपका पूरा परिवार हँसने मुस्कुराने के साथ घर संस्कारों से फलीभूत होता है बुजुर्ग एक ऐसी परिवार की शाखा है जो किसी भी परिवार और समाज सशक्त निर्माण कर सकती है। आज भारत में जिस तेजी से वृद्ध आश्रम बन रहे हैं सरकार को कायदा कानून बनाना चाहिए कि भारत में वृद्ध आश्रम की जरूरत ही नहीं है जहां पर परिवार में बहुत बड़े दिल और जगह है उसमें बुजुर्गों को रखें और समाज को एक सशक्त निर्माण करें और उन बुजुर्गों के अनुभव से समाज को एक दिशा दें ।सभी समाज सेवी संस्थाओं को भी इस दिशा में मंथन करना होगा

विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस का इतिहास 1988 की अवधि से आता है। इसे आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा स्थापित किया गया था। उन्होंने 19 अगस्त, 1988 को इस पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे 21 अगस्त को वरिष्ठ नागरिक दिवस के रूप में प्रकट किया गया था। रोनाल्ड रीगन पहले राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस को पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे।

विश्व के सभी बुजुर्गों के स्वास्थ्य व संपन्नता की कामना करते हैं और शुभ कामनाएं

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