अखिलेश ने ताश के पत्तों से ज्यादा न समझा आईपीएस अधिकारियों को, अब योगी की बारी

Update: 2017-03-29 12:24 GMT

लखनऊ : यूपी में ताश के पत्तो की तरह 5 साल तक फेटे जाते रहे आईपीएस अफसर। औसतन एक आईपीएस अफसर का पिछले 5 साल में 6 बार ट्रांसफर किया गया। इन आईपीएस अफसरों में सब से ज़्यादा 20 तबादले उमेश कुमार श्रीवास्तव का हुआ, तो सब से कम बार कमल सक्सेना और संजय एम तरडे का ट्रांसफर हुआ। इन दोनों ही अफसरों को जहाँ तैनाती मिली वहीं खूँटा गाड़ कर बैठ गए हैं। जिन का तंबू नई सरकार भी नहीं उखाड़ पा रही है।

तबादलों की इस लिस्ट में 78 ऐसे आईपीएस अफसर हैं, जिन का 5 वर्ष में 10 बार या उससे भी ज़्यादा तबादला किया गया। यूपी में 407 आईपीएस अफसर हैं इन अफसरों के 2454 बार तबादले किये गए।

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यूपी में हर तीसरे दिन 4 आईपीएस अफसरों का ट्रांसफर किया गया। अखिलेश राज में अफसरों के तबादलों की संख्या उन आरोपों की पुष्टि करती जो तबादला उद्योग को लेकर सरकार पर लगते रहे हैं। समाजवादी राज में उमेश श्रीवास्तव ऐसे आईपीएस अफसर रहे जिन्हें 20 ट्रांसफर झेलने पड़े। इलाहाबाद, फैज़ाबाद, सहारनपुर और मुरादाबाद जैसे ज़िलों में कप्तान रहे तो 2 बार उनको एटीएस में बतौर कप्तानी मिली।

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तबादलों की इस फेहरिस्त में दूसरा नंबर है अनीस अहमद अंसारी का जिनका 18 बार ट्रांसफर किया गया। अनीस बिजनौर, बुलन्दशहर, बलिया, एटा समेत कई ज़िलों के पुलिस कप्तान रहे। जबकि चुनाव आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव में एसपी हरदोई तो 2017 के विधान सभा चुनाव में एसपी अमेठी के तौर पर पोस्ट किया। इस के अलावा आईएस सेनानायक पीएसी वाराणसी, एसपी रेलवे लखनऊ भी रहे।

आईपीएस अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद पांडेय का 17 और दिलीप कुमार सिंह का 16 बार तबादला किया गया। आईपीएस अधिकारियों को किस तरह एक झटके में हटा दिया जाता था, इस का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 78 आईपीएस अधिकारी ऐसे हैं जिन का 10 या उससे भी ज़्यादा बार ट्रांसफर किया गया। अनुशासनहीनता के आरोप में हाल ही निलंबित हिमांशू कुमार समेत 5 आईपीएस अफसर ऐसे रहे जिन का 15 बार तबादला किया गया।

गृह सचिव कमल सक्सेना और संजय एम तरडे ऐसे खुशकिस्मत आईपीएस अफसरों में शुमार किये जाते हैं। जिन की पोस्टिंग सरकार ने जहाँ की वहीं खूँटा गाड़ कर बैठ गए और नई सरकार भी इन आईपीएस अफसरों का तम्बू नहीं उखाड़ सकी है। इस लिस्ट में अमिताभ ठाकुर का नाम भी शामिल हैं अमिताभ यूपी में 10 माह तक निलंबित रहे। ये खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने किया है।

इस मामले में एक वरिष्ठ आईपीएस ने नाम न बताने की शर्त पर कह, कि ये तो सरकारों का चरित्र होता है। जब अखिलेश सत्ता में थे उन्होंने किया। आज योगी हैं अब वो करेंगे। कल कोई और आएगा वो करेगा, क्योंकि इसी के ज़रिए नेता अपना हित साधते हैं।

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