नेशनल इलेक्शन वाच का दावा: 14 सालों में राष्ट्रीय दलों ने 8000 करोड़ से अधिक की रकम अज्ञात स्रोतों से जुटाई

भारत में राष्ट्रीय दलों को मिलने वाले चंदे के स्रोतों पर आधारित एक रिपोर्ट में नेशनल इलेक्शन वाच का कहना है कि लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की अहम भूमिका होती है। जैसे कि वह चुनाव लड़ती हैं। सरकार बनाती हैं। नीतियों का निर्धारण करती हैं। शासन देने और लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए जिम्मेदार होती हैं। लेकिन वह अपने लिए चंदा कहां से जुटाती हैं।

Update: 2019-01-23 13:36 GMT

भारत में राष्ट्रीय दलों को मिलने वाले चंदे के स्रोतों पर आधारित एक रिपोर्ट में नेशनल इलेक्शन वाच का कहना है कि लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की अहम भूमिका होती है। जैसे कि वह चुनाव लड़ती हैं। सरकार बनाती हैं। नीतियों का निर्धारण करती हैं। शासन देने और लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए जिम्मेदार होती हैं। लेकिन वह अपने लिए चंदा कहां से जुटाती हैं।

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आयकर रिटर्न और चुनाव आयोग के समक्ष दिये गए घोषणा पत्र के विश्लेषण से साफ हुआ है कि ज्यादातर दलों को मिले चंदे के स्रोत अज्ञात हैं। वर्तमान में ये राजनीतिक पार्टियां न तो बीस हजार से कम चंदा देने वाले लोगों या संगठनों का नाम घोषित करने को तैयार हैं न ही जिन्होंने इलेक्टोरल बांड के जरिये चंदा दिया। इसके चलते इन दलों को अज्ञात स्रोतों से मिले 50 फीसद से अधिक फंड की पहचान नहीं हो सकी। हालांकि राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को जून 2013 की मुख्य सूचना आयुक्त की रुलिंग के तहत सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जा चुका है। लेकिन राजनीतिक दल इस निर्णय को नहीं मान रहे हैं। दुर्भाग्य से वर्तमान कानूनों के तहत पूरी पारदर्शिता संभव नहीं है। ये केवल सूचना का अधिकार है जो नागरिकों को पूरी तरह सूचना से लैस रख सकता है।

एडीआर के निष्कर्ष

2004-05 से 2017-18 के मध्य राष्ट्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से 8721.14 करोड़ की रकम अज्ञात स्रोतों से जमा की।

2017-18 के वित्तीय वर्ष में भाजपा ने अज्ञात स्रोतों से 553.38 करोड़ की रकम जमा की जो कि राष्ट्रीय पार्टियों को मिली कुल रकम का 80 फीसदी थी। भाजपा की यह रकम अन्य पांच राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित अज्ञात स्रोतों की रकम की चार गुना थी।

राष्ट्रीय दलों को मिली 689.44 करोड़ की रकम के अलावा 215 करोड़ की आय जो कि लगभग इसकी 31 प्रतिशत थी इलेक्टोरल फंड से हुई थी।

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2004-05 से 2017-18 के मध्य कांग्रेस और एनसीपी को कूपन की बिक्री से हुई आय 3573.53 करोड़ थी।

चंदे की रिपोर्ट (20,000 रुपये से ऊपर दान का विवरण है) के अनुसार, 16.80 लाख रुपए नकद राष्ट्रीय दलों को दिया गया। 689.44 करोड़ रुपये के चंदे के योगदान की प्रक्रिया फिर भी अज्ञात ही रही।

राजनीतिक दलों को ज्ञात, अज्ञात स्रोतों से हुई आय

रिपोर्ट के अनुसार ज्ञात स्रोतों से 20,000 रुपये से अधिक दान देने वाले दाताओं का विवरण चुनाव आयोग को राष्ट्रीय दलों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में उपलब्ध है। इसके अलावा अज्ञात स्रोतों में वह आय शामिल है जो बीस हजार से कम की है जिसका विवरण राजनीतिक दल नहीं दे रहे हैं। इस तरह के अज्ञात स्रोतों में बैठकों / मोर्चे के जरिये 'निर्वाचन बांड के माध्यम से दान', 'कूपनों की बिक्री', 'राहत कोष', 'विविध आय', 'स्वैच्छिक योगदान' शामिल है जिसका सार्वजनिक विवरण उपलब्ध नहीं है।

· आय के अन्य ज्ञात स्रोतों में जंगम और अचल संपत्ति, पुराने अखबारों, सदस्यता शुल्क, प्रतिनिधि शुल्क, बैंक ब्याज, प्रकाशन और लेवी आदि शामिल है जिसका विवरण राजनीतिक दलों द्वारा बनाए रखा खातों की पुस्तकों में उपलब्ध होगा।

वित्तीय वर्ष 2017-18 में 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के कुल आय: 1293.05 करोड़ रुपये थी

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467.13 करोड़ रुपये पार्टियों की कुल आय का 36% है। यह ज्ञात दाताओं से राजनीतिक दलों की कुल आय। यानी इनका विवरण चुनाव आयोग को दिया गया है।

136.48 करोड़ रुपये या कुल आय का 11%: अन्य ज्ञात स्रोतों (जैसे, संपत्ति की बिक्री, सदस्यता शुल्क, बैंक ब्याज, प्रकाशनों की बिक्री, पार्टी लेवी आदि) से राजनीतिक दलों की कुल आय है।

689.44 करोड़ रुपये, पार्टियों की कुल आय का 53% है यह राजनीतिक दलों की अज्ञात स्रोतों से कुल आय है।

215 करोड़ रुपये या 31%: निर्वाचन बांड से अज्ञात स्रोतों से आय है। यह आय 689.44 करोड़ रुपये की कुल आय के हिस्से के रूप में हैं।

अज्ञात स्रोतों से आय

अज्ञात स्रोतों से 6 राष्ट्रीय दलों की 689.44 करोड़ रुपये की कुल आय में से 51.38% या 354.22 करोड़ रुपये स्वैच्छिक योगदान है जो कि 20,000 रुपये से कम के स्वैच्छिक योगदान के रूप में आया है।

निर्वाचन बांड से दान, 31.18% अज्ञात स्रोतों से आय में (215 करोड़ रुपये) जोड़े गए हैं, जबकि कांग्रेस और एनसीपी द्वारा कूपन की घोषित बिक्री से छह राष्ट्रीय दलों के अज्ञात स्रोतों से आय का 16.78% है।

एडीआर की सिफारिशें

· सभी दान के भुगतान (20,000 रुपये से ऊपर और व नीचे) कूपन, सदस्यता शुल्क, आदि उनकी ऑडिट रिपोर्ट, आयकर विभाग और हर साल प्रस्तुत की जाने वाली 'अनुसूचियों' में पार्टियों द्वारा घोषित की जानी चाहिए।

· हाल ही में, ईसीआई ने सिफारिश की है कि कर छूट केवल उन्हीं राजनीतिक दलों को देने की सिफारिश की है कि जिन्होंने 2,000 रुपये से अधिक दान देने वाले सभी दाताओं का ब्यौरा सार्वजनिक किया हो। एडीआर राजनीतिक दलों के अनुदान के रूप में सुधारों को लागू करने में अपनी मजबूत स्टैंड के लिए ईसीआई का समर्थन करता है और उम्मीद है कि इन सुधारों के सक्रिय रूप क्रियान्वयन के लिए सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा।

· राजनीतिक दलों द्वारा प्रस्तुत वित्तीय दस्तावेजों की जांच ईसीआई द्वारा अनुमोदित सीए द्वारा प्रतिवर्ष की जानी चाहिए। ताकि पारदर्शिता आए और राजनीतिक दलों की जवाबदेही बढ़े।

· राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सभी जानकारी प्रदान करनी चाहिए।

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