आंखों में दशहत और दर्द लिए लौट रहे उत्तर भारतीय, अब मोदी से पूछे रहे सवाल ?    

Update:2018-10-08 19:51 IST

वाराणसी: गाजीपुर के रहने वाले ओमकार विश्वकर्मा पिछले दस सालों से अहमदाबाद के एक कंपनी में काम करते थे। हर सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन अचानक जिंदगी पटरी से उतर गई। कलतक जो गुजराती भाई की तरह उनके साथ रहते थे अब वही मारने पर उतारू हो गए हैं। लिहाजा ओमकार अब अपने परिवार के साथ घर लौट आए हैं। सिर्फ ओमकार ही नहीं बल्कि उनकी तरह हजारों लोगों की यही दास्तां है। आंखों में खौफ और निराशा लिए लोगों का कारवां अब गुजरात से लौट रहा है। वाराणसी के कैंट स्टेशन पर पहुंची साबरमती एक्सप्रेस से पूर्वांचल के लोगों से ठसाठस भरी थी। अपनी सरजमीं पर पहुंचते ही लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि खौफ के मंजर यादकर ये लोग फिर से सिहर उठे। इस दौरान गुजरात से लौट रहे लोगों ने न्यूजट्रैक के साथ बताया दर्द बयां किया और वहां के हालात बताएं।

खुलेआम दी जा रही है धमकी

मऊ के रहने वाले शब्बीर अहमद कहते हैं कि ‘’गुजरात में ऐसे हालात उन्होंने आजकत नहीं देखा था। सालों से वहां के लोगों के साथ घुल मिलकर रहते थे लेकिन साबरकांठा की एक घटना के बाद पूरे गुजरात में जहर घुल गया। जहां-जहां बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं, वहां गुजरातियों का एक समूह पहुंच रहा है और धमकी दे रहा है ‘’। शब्बीर के मुताबिक इन लोगों ने उत्तर भारतियों को गुजरात छोड़ने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया। कहा कि अगर नहीं जाओगे तो तुम्हारी लाश घरवालों को नहीं मिलेगी। अब आप बताइए, हम लोग क्या करते। कंपनीवालों ने भी हाथ खड़े कर दिए। पुलिसवाले सुन नहीं रहे हैं।

सुरक्षा की गारंटी हो तभी जाएंगे वापस

गुजरात छोड़कर पलायन करने वाले अधिकांश लोग अब वापस लौटने को तैयार नहीं है। इन लोगों का कहना है कि जब तक सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, वे वापस नहीं जाएंगे। पलायन करने वाले लोगों को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी शिकायत है। उनके मुताबिक गुजरात के होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के लोगों ने नरेंद्र मोदी के सिर आंखों पर बैठाया लेकिन इसके बदले में हमारे साथ क्या हो रहा है। गुजरात में होने वाली घटनाओं पर मोदी सरकार को चुप्पी तोड़नी चाहिए और हमे सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए।

 

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