बिहार: विधानसभा चुनाव से पहले विधानपरिषद के लिए पार्टियों ने कसी कमर
वैसे तो बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। लेकिन इससे पहले विधानपरिषद के चुनाव भी होने हैं, जिन्हें सेमीफाइनल मान जा रहा है।
पटना: वैसे तो बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। लेकिन इससे पहले विधानपरिषद के चुनाव भी होने हैं, जिन्हें सेमीफाइनल मान जा रहा है। इस साल अप्रैल महीने में विधानपरिषद की 17 सीटों के लिए चुनाव होने हैं।
इसमें ज्यादातर सीटें एनडीए कोटे की हैं। वहीं, विधानसभा कोटे से सभी सीटें एनडीए से ही खाली हो रही हैं, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस को भी संख्या बल के आधार पर सीटें मिलेंगी।
12 सीटें राज्यपाल कोटे की
17 सीटों पर होने वाले चुनाव में नौ सीटें विधानसभा कोटे से चुनी जाएंगी। इसके लिए विधानसभा में विधायकों की संख्या पर चुनाव होगा। शिक्षक कोटे से चार सीटों पर चुनाव होंगे, वहीं स्नातक की चार सीटों पर भी चुनाव है।
दस सीटें राज्यपाल कोटे से खाली हो रही हैं। ललन सिंह और पशुपति पारस के सांसद बनने के बाद उनकी भी दो सीटें अभी तक खाली हैं। यानी कुल मिलाकर 12 सीटें राज्यपाल कोटे से रिक्त हो जाएंगी।
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ये सीटें होंगी खाली
जेडीयू से अशोक चौधरी, हारून रशीद, हीरा प्रसाद बिंद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता विधानसभा कोटे से हैं। बीजेपी से कृष्ण कुमार सिंह, राधा मोहन शर्मा, संजय प्रकाश मयूख विधानसभा कोटे से हैं।
राज्यपाल मनोनयन कोटा से जावेद इकबाल, ललन सर्राफ, रामचंद्र भारती, राम लखन राम रमण, रामबदन राय, राणा गंगेश्वर सिंह, रणवीर नंदन, संजय कुमार सिंह, शिव प्रसन्न यादव, विजय कुमार मिश्र अपना कार्यकाल पूरा कर रहे है।
शिक्षक कोटा से केदार पांडे सारण सीपीआई से, मदन मोहन झा दरभंगा कांग्रेस से, संजय कुमार सिंह तिरहुत सीपीआई से और प्रोफेसर नवल किशोर यादव पटना बीजेपी से अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं।
स्नातक कोटे से नीरज कुमार पटना जेडीयू से, दिलीप कुमार चौधरी दरभंगा जेडीयू से, डॉक्टर एनके यादव कोशी बीजेपी से और देवेश चंद्र ठाकुर तिरहुत निर्दलीय से अपनी किस्मत आजमाएंगे।
एक सीट के लिए 25 विधायक करेंगे वोट
विधानसभा कोटे से ज्यादा सीटें एनडीए की खाली हो रही हैं तो विपक्ष की निगाहें उस पर ज्यादा टिकी हैं। उनका मानना है कि राज्यपाल कोटे पर सत्तारुढ दल का कब्जा रहता है। कांग्रेस नेता प्रेम चन्द्र मिश्रा बताते हैं कि इस बार विधानसभा कोटे से कांग्रेस को एक सीट मिलेगी, वहीं शिक्षक और स्नातक चुनाव पर भी पार्टी बेहतर करेगी।
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विधानपरिषद में खाली होने वाली नौ सीटें जिनके लिए विधायक वोट करेंगे। नौ सीटों के लिए जब वोट होंगे उसमें एक सीट के लिए 25 विधायक वोट करेंगे। अब बिहार विधानसभा दलगत स्थिति को समझ लेते है।
जेडीयू के पास 70 विधायक हैं तो बीजेपी के पास 54 और एलजेपी के पास दो विधायक हैं। वहीं, आरजेडी के 79 और कांग्रेस के 26 विधायक हैं। सीपीआई एमएल के तीन, हम से एक, औवेसी के दल से एक विधायक और पांच निर्दलीय विधायक हैं।
बीजेपी और जेडीयू को हो रहा नुकसान
अब अगर संख्या बल के आधार को देखा जाए तो बीजेपी के पास तीन में से दो ही सीटें बच पाएंगी। वहीं, जेडीयू को छह में तीन सीटों पर संतोष करना होगा। इस बार आरजेडी को तीन और कांग्रेस को एक सीट का फायदा होगा।
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इस बार बीजेपी को सीधे तौर पर एक और जेडीयू को तीन सीट का नुकसान हो रहा है। इस चुनाव को लेकर सभी पार्टी के नेता अपने आलाकमान की परिक्रमा शुरू कर चुके हैं।
दलों की निगाह स्नातक और शिक्षक चुनाव पर भी होगी और इसको लेकर बिहार की पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में अभी से जुट चुकी हैं।