लोकसभा चुनाव: मंदिर-मठ-आश्रम के सहारे बीजेपी, बनाया ये एक्‍शन प्‍लान

Update: 2018-08-06 10:05 GMT

आगरा: मंदिर-मठ-आश्रम और दलितों के सहारे भाजपा ने सपा-बसपा गठबंधन को मात देने के लिए मास्टरप्लान बनाया है। इस मास्‍टर प्‍लान के हिसाब से जहां एक ओर जमीनी स्तर पर बूथ कमेटियां बनाई जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ हिंदुत्व कार्ड के लिए मंदिर, मठ और महंत के आंकड़े भी जुटाने का काम बीजेपी ने शुरु कर दिया है। इसके साथ ही साथ दलितों का भी विशेष ध्यान बूथ कमेटियां बनाते समय रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए बाकायदा एक प्रोफॉर्मा भी हर जिले और शहर कमेटी को भेज दिया गया है।

तलाश रहे सपा-बसपा के गठजोड़ की काट

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने सपा बसपा के गठजोड़ की काट तलाश ली है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी अपनी तैयारी में जुट गई है। बीजेपी ने जमीनी स्तर पर अपने आधार को मजबूत करने के लिए सूबे में जहां एक ओर बूथ कमेटियां बनाई हैं। वहीं, हिंदुत्व की बिसात बिछाने के लिए मंदिर, मठों, महंत और पुजारियों के आंकड़े भी जुटाने का काम शुरू कर दिया है। वर्ष 2019 में पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह से जीत हासिल करने के लिए माइक्रो लेवल पर अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई है। इसके लिए बीजेपी बूथ स्तर पर कमेटियां बना रही है। इसके लिए हर बूथ पर कम से कम दो दलित चेहरे शामिल किए जा रहे हैं.बीजेपी माइक्रो लेवल की चुनावी तैयारियों में अब हर बूथ में शामिल मंदिरों और मठों और महंत का आंकड़ा जुटा रही है। इसके पीछे बीजेपी की मंशा साफ है कि चुनाव में इनके इस्तेमाल से वह वंचित ना रह जाए। हर बूथ क्षेत्र में आने वाले मन्दिर, मठ और आश्रम की गिनती शुरू कर दी गई है और बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं को प्रोफॉर्मा दिया गया है। जिसमें उन्हें इनकी संख्या इनके पुजारियों संचालकों और महंतों के नाम और कांटेक्ट नंबर के साथ भरकर भेजना है।

आगरा में बनीं 1472 बूथ कमेटियां

बीजेपी शहर अध्‍यक्ष विजय शिवहरे ने बताया कि शहर में भाजपा ने अभी तक 1472 बूथों पर अपनी बूथ कमेटियां बना ली हैं। इन बूथ कमेटियों में एक बूथ का अध्यक्ष और साथ-साथ कई सदस्य रखे गए हैं। इनकी जिम्मेदारी इन तमाम आंकड़ों को जुटाना है ताकि जरूरत पड़ने पर चुनाव में इनका इस्तेमाल किया जा सके। वहीं इस बार बूथों के लिए ग्रेडिंग का इस्तेमाल भी किया गया है। इसमें ‘ए’ ग्रेड यानी हर बार विजयी रहने वाला बूथ, ‘बी’ ग्रेड यानि फिफ्टी-फिफ्टी वाली स्थिति का बूथ और ‘सी’ ग्रेड मतलब जहां कभी नहीं जीते। इसी के हिसाब से जनसंपर्क अभियान को मजबूती से चलाया जाएगा।

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