वोट बैंक की राजनीति हिंसा की जिम्मेदार, खट्टर सरकार बर्खास्त करें: मायावती

Update: 2017-08-26 07:56 GMT
BJP वादाखिलाफी का घोर पाप कर जनता को ठगने वाली बदनाम पार्टी : मायावती

लखनऊ: बसपा सुप्रीमों मायावती ने हरियाणा हिंसा के लिए भाजपा की वोट बैंक की राजनीति को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि सरकार ने हिंसक भीड़ के सामने समर्पण कर दिया। करीब 500 रेलगाड़ियों के रद्द होने के बाद हाहाकार मचा है। पूरे घटनाक्रम की निंदा करते हुए मायावती ने सीएम मनोहर लाल खट्टर को बर्खास्त करने की मांग की है।

बसपा मुखिया ने शनिवार को एक बयान जारी कर हिंसा में हुई मौतों पर दुःख जताते हुए कहा है कि पूरे हरियाणा में हिंसा के ताण्डव के लिए बीजेपी की वोट बैंक की राजनीति व मनोहर लाल खट्टर सरकार की शर्मनाक आपराधिक लापरवाही जिम्मेदार है।

हाईकोर्ट के सख्त व स्पष्ट निर्देश के बावजूद कानून व संविधान की जिम्मेदारी निभाने में विफल रहने वाली ऐसी सरकार को तुरन्त बर्खास्त कर देना चाहिये, पर दुर्भाग्य की बात है कि मोदी सरकार के साथ बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी इसमें पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है।

बीजेपी सरकार ने अराजकता को आमंत्रित करके संरक्षण दिया।

उसके आगे भाजपा उसी तरह नतमस्तक रही जैसे छह दिसम्बर को अयोध्या में। कि हरियाणा बीजेपी सरकार में इस प्रकार की हिंसा व ताण्डव पहली बार नहीं हुआ है। कानून, कोर्ट व संविधान की धज्जियां उड़ाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

हरियाणा बीजेपी सरकार हाईकोर्ट की अवमानना करने पर अमादा लगती है।

डेरा सच्चा सौदा की सम्पत्ति की नीलामी करके क्षतिपूर्ति करने को तैयार नहीं है।

इसे बीजेपी सरकार की हठधर्मी नहीं तो और क्या कहा जायेगा?

गुरमीत राम रहीम के सजायाफ्ता होने के बावजूद वीवीआईपी सुविधा दे रही सरकार।

यह शर्मनाक रवैया व सरकार का दुरूपयोग, इसे तुरन्त वापस लिया जाना चाहिए।

सरकार ने सेना को केवल फ्लैग मार्च ही करते रहने देने को मजबूर किया।

इससे वे उपद्रवियों के उपहास का पात्र बने।

सेना प्रमुख व मोदी सरकार के लिये सतर्क हो जाने की बात है।

इससे सेना का बमनोबल गिरता है। भीड़तंत्र के हाथों सेना का उपहास चिन्ता की बात।

सांसद स्वामी साक्षी महाराज का गुरमीत राम रहीम के समर्थन में बयान की निंदा।

न्यायालय की अवमानना जैसे बयान की भी भर्त्सना।

साक्षी महाराज के महिला विरोधी बयानों पर बीजेपी शीर्ष नताओं की रहस्मय मुस्कान।

भाजपा के महिला सम्मान के दावों को आंख में धूल झोंकने वाला साबित करते हैं।

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