असदुद्दीन ओवैसी का सेना प्रमुख के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना क्या सही है?
नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के विरोध में हुई हिंसा पर सेना प्रमुख बिपिन रावत के बयान के बाद राजनीति शुरू गई है। एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आर्मी चीफ पर हमला बोला है।
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के विरोध में हुई हिंसा पर सेना प्रमुख बिपिन रावत के बयान के बाद राजनीति शुरू गई है। एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आर्मी चीफ पर हमला बोला है। और लिखा है कि अपने कार्यालय की हद जानना भी एक नेतृत्व ही है।
असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को ट्वीट कर लिखा, ‘अपने कार्यालय की हद जानना भी एक नेतृत्व ही है। नेतृत्व वो है जो नागरिकता को सर्वोच्च स्थान पर रखे और उस संस्था की अखडंता को बरकरार रखें जिसकी आप अगुवाई कर रहे हो। ’
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दिग्विजय सिंह ने साधा निशाना
आर्मी चीफ को जवाब देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कुछ देर पहले एक ट्वीट किया है। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने लिखा, 'आर्मी चीफ ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन पर कहा कि नेता वो नहीं होता जो आगजनी का नेतृत्व करता है।
जनरल साहब मैं आपकी बात से सहमत हूं लेकिन वो लोग भी नेता नहीं होते जो अपने फॉलोअर्स को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में लिप्त होने देते हैं। क्या आप मुझसे सहमत हैं जनरल साहब।'
दिग्विजय सिंह के बयान पर अभी तक आर्मी चीफ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बताते चलें कि एक इवेंट में अपनी बात रखते हुए सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने कहा था, 'जब हम दिल्ली में खुद को सर्दी से बचाने के लिए पोशाक पहने खड़े हैं, मैं अपने उन जवानों को सम्मान देना चाहता हूं, जो सियाचिन में साल्तोरो ब्रिज पर मुस्तैद खड़े हैं और उन्हें भी, जो ऊंचाइयों पर पहरा दे रहे हैं, जहां तापमान -10 से -45 डिग्री तक रहता है।'
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सेना प्रमुख बिपिन रावत ने दिया था ये बयान
एनआरसी और सीएबी को लेकर जारी विरोध और देश के कई विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन पर आर्मी चीफ बिपिन रावत ने किसी यूनिवर्सिटी का नाम लिए बिना कहा, 'नेतृत्व क्षमता वह नहीं है जो लोगों को गलत दिशा में लेकर जाती हो।
आज हम सब बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों की अगुआई में कई शहरों में भीड़ और लोगों को हिंसक प्रदर्शन करते देख रहे हैं। यह नेतृत्व क्षमता नहीं है।'
एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भीड़ को दंगे के लिए भड़काना कोई लीडरशीप नहीं है।' जनरल रावत ने इस हिंसक प्रदर्शन में कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के शामिल होने पर भी सवाल उठाए।'
बिपिन रावत ने कहा, 'नेता वो नहीं होते हैं जो लोगों को गलत दिशा में ले कर जाए।' जैसा कि हम देख रहे हैं कि बड़ी संख्या में कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।' ये सब हिंसा कर रहे हैं सरकारी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं।' ये कोई लीडरशिप नहीं है।''
बताते चले कि हिंसा को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को चिंता जताई थी।' प्रधानमंत्री ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुए हिंसक प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा था।''
यूपी में कुछ लोगों ने विरोध प्रर्दान के नाम पर हिंसा की। वे खुद से सवाल पूछें कि क्या उनका यह रास्ता सही था? जो कुछ जलाया गया क्या वह उनके बच्चों के काम नहीं आने वाला था?'पीएम मोदी ने कहा था, 'हिंसा में जिन लोगों की मृत्यु हुई, जो लोग जख्मी हुए उनके परिवार पर क्या बीती होगी।'
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