आखिरी चरण में क्या गुल खिलाएगा नीतीश का ब्रह्मास्त्र, आकलन में जुटे सियासी दल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आखिरी चुनाव संबंधी बड़े एलान से सियासी माहौल गरमाया हुआ है। पक्ष और विपक्ष के नेता इस एलान के नफा-नुकसान का आकलन करने में लगे हुए हैं।

Update: 2020-11-06 03:17 GMT
बिहार में टीकाकरण कार्य सबसे निचले स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और ऊपरी स्तर पर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और पटना एम्स में होगा।

अंशुमान तिवारी

पटना: बिहार में तीसरे और आखिरी चरण की 78 सीटों पर चुनावी शोर थम चुका है। निर्णायक मानी जा रही इन सीटों पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आखिरी चुनाव संबंधी बड़े एलान से सियासी माहौल गरमाया हुआ है। पक्ष और विपक्ष के नेता इस एलान के नफा-नुकसान का आकलन करने में लगे हुए हैं।

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अब हर किसी की नजर इस बात पर ही टिकी हुई है कि नीतीश कुमार का यह ब्रह्मास्त्र क्या गुल खिलाने वाला है। यह तो सच्चाई है कि नीतीश की इस घोषणा से बिहार ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में एक नई हलचल मच गई है। बिहार की सियासत में नीतीश कुमार एक बड़ा फैक्टर माने जाते हैं और उनके इस बड़े एलान का असर पड़ना तय माना जा रहा है।

सभी सियासी दलों ने झोंकी ताकत

बिहार विधानसभा के तीसरे और आखिरी चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर 7 नवंबर को मतदान होना है। इन सभी सीटों पर गुरुवार की शाम चुनाव प्रचार समाप्त हो गया। तीसरे चरण में विधानसभा अध्यक्ष समेत नीतीश सरकार के कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सभी सियासी दलों के नेताओं ने पसीना बहाया और चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश की।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद नेता तेजस्वी यादव, लोजपा मुखिया चिराग पासवान और अन्य सियासी नेताओं ने विभिन्न जनसभाओं को संबोधित करके अपने दलों के प्रत्याशियों को जिताने की अपील की।

78 सीटों पर 1204 प्रत्याशी मैदान में

तीसरे चरण 78 सीटों पर कुल 1204 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं। इनमें से 1094 पुरुष एवं 110 महिला उम्मीदवार शामिल हैं। आखिरी चरण में सर्वाधिक 23 सीटों पर राजद और जदयू प्रत्याशी आमने-सामने होंगे जबकि भाजपा और राजद का मुकाबला 20 सीटों पर होगा।

अहम माना जा रहा है तीसरा चरण

तीसरा और आखिरी चरण में महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसलिए दोनों गठबंधनों में शामिल दलों के नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा दी। तीसरे चरण की 78 सीटों में 20 सीटें राजद के पास थीं जबकि इस बार पार्टी ने तीसरे चरण की 46 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं।

तीसरे चरण की सीटों में जदयू के पास 25 सीटें थीं। इसलिए जदयू के लिए भी तीसरा चरण काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। तीसरे चरण में तीन विधानसभा सीटों पर वीआईपी और राजद के बीच चुनावी मुकाबला होगा।

आखिरी दिन नीतीश का ब्रह्मास्त्र

तीसरे चरण का चुनाव प्रचार समाप्त होने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस घोषणा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि मौजूदा चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। नीतीश कुमार ने धमदाहा विधानसभा में आखिरी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह मेरा आखिरी चुनाव है और अंत भला तो सब भला। यह कहकर उन्होंने एनडीए उम्मीदवार को वोट देने की अपील की। नीतीश की इस घोषणा को उनके ब्रह्मास्त्र के तौर पर देखा जा रहा है।

नीतीश के एलान पर सियासी घमासान

पिछले 15 सालों से बिहार पर एकछत्र राज कर रहे नीतीश क्या वाकई संयास ले लेंगे? इसे लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गरम है। हालांकि जदयू की ओर से साफ किया गया है कि नीतीश आगे भी बिहार के लोगों की सेवा करते रहेंगे मगर नीतीश के इस एलान के बाद सियासी घमासान मचा हुआ है।

महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि नीतीश ने मतगणना से पहले ही अपनी हार स्वीकार कर ली है। वैसे सियासी जानकारों का कहना है कि नीतीश बिहार की सियासत में हमेशा से एक बड़ा फैक्टर रहे हैं और आखिरी चरण की सीटों पर उनकी इस भावुक अपील का असर दिख सकता है।

इन हॉट सीटों पर होगी सबकी नजर

तीसरे चरण की कई सीटों को हॉट सीट माना जा रहा है। विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी की किस्मत का फैसला भी तीसरे चरण में ही होना है। चौधरी जदयू के टिकट पर समस्तीपुर जिले की सरायरंजन सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला राजद के अरविंद साहनी से हो रहा है। नीतीश सरकार में नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा मुजफ्फरपुर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के विजेंद्र चौधरी से है।

नीतीश सरकार के एक और मंत्री महेश्वर हजारी कल्याणपुर से चुनावी मैदान में उतरे हैं जहां उनका मुकाबला भाकपा माले के रंजीत राम से हो रहा है। बहादुरपुर सीट से मंत्री मदन साहनी का मुकाबला राजद के रमेश चौधरी से हो रहा है।

लवली आनंद की किस्मत का भी होगा फैसला

सहरसा विधानसभा सीट को भी हॉट सीट माना जा रहा है क्योंकि इस सीट से इस बार पूर्व सांसद लवली आनंद राजद के टिकट पर किस्मत आजमा रही हैं।

उनका मुकाबला करने के लिए भाजपा ने आलोक रंजन को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट को जीतने के लिए दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है।

केवटी सीट भी राजद के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस सीट से पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के मुरारी झा से हो रहा है।

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शरद यादव की बेटी भी हैं चुनाव मैदान में

कोसी क्षेत्र की बिहारीगंज सीट पर भी हर किसी की नजर टिकी हुई है। इस सीट से शरद यादव की बेटी सुभाषिनी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी हैं। जदयू ने मौजूदा विधायक निरंजन कुमार मेहता पर एक बार फिर दांव लगाया है।

यह सीट कांग्रेस के खाते में जाने से राजद के पुराने कद्दावर नेता इंजीनियर प्रभात निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। लोजपा ने इस सीट से विजय कुमार सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है।

सीमांचल में दिख रही त्रिकोणात्मक जंग

आखिरी चरण के चुनाव में मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में भी मतदान होगा। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल की सीटों को त्रिकोणात्मक जंग में उलझा दिया है। लोजपा ने इस इलाके की एक दर्जन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर समीकरणों को और उलझा दिया है।

एनआरसी और सीएए का मुद्दा भी चर्चा में

सीमांचल में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है। यह बिरादरी एनआरसी और सीएए जैसे मुद्दों पर बुरी तरह आशंकित है। अब देखने वाली बात होगी कि इन मुद्दों का चुनाव पर क्या असर पड़ता है।

तीसरे चरण में ही यादव बहुल कोसी इलाके और ब्राह्मण बहुल मिथिलांचल इलाके की कुछ सीटों पर भी चुनावी मुकाबला होना है। बिहार में आम तौर पर यह बात कही जाती है कि जिसने कोसी-सीमांचल जीता उसने बिहार जीता।

पिछले कई चुनावों में निर्णायक भूमिका अदा करने वाले ये दोनों इलाके एक बार फिर जीत-हार की अंतिम पटकथा लिखेंगे।

सभी दलों के लिए तीसरा चरण महत्वपूर्ण

तीसरे और आखिरी चरण में महागठबंधन की ओर से राजद के 46, कांग्रेस के 25, भाकपा माले के पांच और भाकपा के दो प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा।

दूसरी ओर एनडीए की ओर से जदयू के 37, भाजपा के 35, वीआईपी के पांच और हम के एक प्रत्याशी की किस्मत का फैसला आखिरी चरण में होना है।

पप्पू यादव और ओवैसी ने सबको फंसाया

पिछले चुनाव में महागठबंधन ने कोसी और सीमांचल इलाके की सीटों पर भारी जीत हासिल की थी। लेकिन उस समय महागठबंधन में राजद, जदयू और कांग्रेस तीनों दल शामिल थे मगर इस बार समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। राजद और कांग्रेस एक खेमे में हैं जबकि जदयू ने भाजपा से हाथ मिला लिया है।

एनडीए और महागठबंधन के लिए इस बार चुनौती इसलिए भी और कड़ी हो गई है क्योंकि पप्पू यादव और असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने गठबंधन के उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए इस इलाके में कड़ी मेहनत की है।

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