मानसून सत्र कैंसिल करना विपक्ष को नहीं आ रहा रास, सरकार के फैसले पर उठाए सवाल

Update: 2020-09-02 09:45 GMT
यह सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड की तरह बनाना चाहती है और अपने बहुमत को रबर स्टाम्प के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। जिस एक तरीके से जवाबदेही तय होती है।

नई दिल्ली: संसद का सत्र 14 सितम्बर से शुरू होने वाला है। इस बार मानसून सत्र में सरकार ने प्रश्नकाल रद्द करने का फैसला किया है। लेकिन विपक्षी दलों को ये बात रास नहीं आ रही है। सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस की तरफ से सरकार के खिलाफ सांसद शशि थरूर ने मोर्चा खोल दिया है।

थरूर ने ट्वीट करते हुए लिखा है- मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी को लोकतंत्र खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं, सत्र का ये नोटिफिकेशन बता रहा है कि इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा, हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना सही है?

कांग्रेस नेता शशि थरूर की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछना ऑक्सीजन की तरह: थरूर

थरूर यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने आगे लिखा कि लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछना ऑक्सीजन की तरह है, लेकिन यह सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड की तरह बनाना चाहती है और अपने बहुमत को रबर स्टाम्प के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। जिस एक तरीके से जवाबदेही तय होती है, उसे भी किनारा किया जा रहा है।

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टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

टीएमसी पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कही ऐसी बात

वहीं टीएमसी पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि सांसद सत्र शुरू होने से 15 दिन पहले प्रश्न संसद में जमा करते हैं, सत्र की शुरुआत 14 सितंबर से शुरू हो रही है तो क्या प्रश्नकाल रद्द हो गया?

उन्होंने आगे लिखा है कि 1950 से पहली बार विपक्ष के सांसद सरकार से सवाल पूछने का अधिकारी खो बैठे हैं? उन्होंने लिखा कि जब संसद की सारी कार्रवाई पूर्ण रूप से चल रही है तो प्रश्नकाल को ही क्यों रद्द किया गया है? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी को बहाना बनाया जा रहा है।

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