गवर्नर राम नाईक ने उठाया सवाल, ऐसे कैसे नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए रामगोविंद चौधरी

पिछली सरकार के कई फैसलों पर आपत्ति जताने के बाद निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के रामगोविंद चौधरी को नेता विरोधी दल बनाए जाने पर आपत्ति की है।

Update: 2017-03-28 15:09 GMT
गवर्नर राम नाईक ने उठाया सवाल, ऐसे कैसे चुन लिए गए रामगोविंद चौधरी नेता प्रतिपक्ष

लखनऊ: यूपी के गवर्नर राम नाईक ने रामगोविंद चौधरी को नेता विरोधी दल की मान्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछली सरकार के कई फैसलों पर आपत्ति जताने के बाद निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के रामगोविंद चौधरी को नेता विरोधी दल बनाए जाने पर आपत्ति की है। उन्होंने इसके लिए बाकायदा नवगठित विधान सभा को गवर्नर ने संदेश भेजा है।

यह भी पढ़ें ... चाचा शिवपाल को किनारे कर अखिलेश ने राम गोविन्‍द को बनाया नेता विपक्ष

क्या है गवर्नर की आपत्ति ?

अपनी चिट्ठी में गवर्नर ने ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 175(2) अतंर्गत नवगठित विधान सभा के विचारार्थ संदेश भेजा है। राजभवन द्वारा भेजे गए संदेश में कहा गया है कि नवगठित विधान सभा, निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष यानी माताप्रसाद पांडेय ने 16वीं विधान सभा के अंतिम कार्य दिवस दिनांक 27 मार्च, 2017 को अगली यानी 17वीं विधान सभा के लिए रामगोविंद चौधरी, सदस्य विधान सभा एवं नेता समाजवादी पार्टी, विधान मंडल दल को दिनांक 27 मार्च, 2017 से नेता विरोधी दल के रूप मान्यता दे दी है।

गवर्नर ने 27 मार्च, 2017 को इस अधिसूचना के लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक औचित्य यानी democratic and constitutional propriety पर सवाल उठाए हैं। गौरतलब है कि विधान सभा सचिवालय उत्तर प्रदेश (संसदीय अनुभाग) ने 27 मार्च, 2017 को अधिसूचना जारी कर नवगठित 17वीं विधान सभा के लिए रामगोविंद चौधरी को नेता विरोधी दल के रूप में मान्यता दे दी थी।

राजभवन की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विधान सभा के सामान्य निर्वाचन के फलस्वरूप नवगठित विधान सभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष द्वारा ही नवगठित विधान सभा में नेता विपक्ष चुनने की हमेशा परंपरा रही है। नेता विरोधी दल को इस तरह मान्यता दिए जाने का कोई और उदाहरण देश के किसी राज्य में उपलब्ध नहीं है।

कैसे चुन लिया पिछली विधानसभा ने नई विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष

गवर्नर ने सवाल उठाया कि देश के सभी राज्यों की विधान सभाओं में नेता विपक्ष चुनने में चली आ रही लोकतांत्रिक परंपरा को क्यों नहीं अपनाया गया। यूपी की 17वीं विधान सभा के नेता विपक्ष चुनने में इसे क्यों नहीं अपनाया गया। यह यूपी विधान सभा सचिवालय द्वारा जारी इस अधिसूचना (27 मार्च, 2017) से साफ नहीं हो रहा है। राजभवन की ओर से भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि 27 मार्च को जारी अधिसूचना में यह स्पष्ट नहीं है कि नेता विपक्ष के चयन का मामला यदि नवगठित विधान सभा के नए अध्यक्ष पर छोड़ा गया होता तो किस प्रकार की संवैधानिक शून्यता अथवा संकट (constitutional void or crisis) अथवा असंवैधानिकता (unconstitutionality) उत्पन्न होने की संभावना थी।

गवर्नर और सपा के रिश्ते में रही है खटास

गवर्नर और यूपी की पिछली सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के तौर तरीके से नाइत्तेफाकी जग जाहिर है। अब भी वह खत्म नहीं हो रही है। गवर्नर ने यह सवाल उठाकर एक तरफ तो इसकी बानगी दी है वहीं सपा की पिछली सरकार के तौर तरीकों पर भी निशाना साधा है।

Tags:    

Similar News