स्वामी, नसीमुद्दीन की राह पर इंद्रजीत सरोज, कराएंगे ताकत का एहसास

अब इसे संयोग कहें या फिर बसपा के नेताओं को विरासत में मिली सियासी संस्कृति। चाहे स्वामी प्रसाद मौर्या हों या फिर नसीमुद्दीन सिद्दीकी, इन नेताओं ने जब बसपा का दामन छोड़ा तो पहले शक्ति प्रदर्शन कर अपनी ताकत का एहसास कराया।

Update: 2017-08-10 13:05 GMT
स्वामी, नसीमुद्दीन की राह पर इंद्रजीत सरोज, कराएंगे ताकत का एहसास

राजकुमार उपाध्याय

लखनऊ: अब इसे संयोग कहें या फिर बसपा के नेताओं को विरासत में मिली सियासी संस्कृति। चाहे स्वामी प्रसाद मौर्या हों या फिर नसीमुद्दीन सिद्दीकी, इन नेताओं ने जब बसपा का दामन छोड़ा तो पहले शक्ति प्रदर्शन कर अपनी ताकत का एहसास कराया। अब पार्टी से निष्कासित पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज भी उसी राह पर चल पड़े हैं।

सरोज डॉ. अम्बेडकर और कांशीराम की सियासी रेखा पर आगे बढ़ने की तैयारी में हैं। इसमें उनके साथ बसपा के कुछ और नेता भी शामिल हो गए हैं। पूर्व मंत्री इंद्रजीत 13 अगस्त को राजधानी के आशियाना स्थित एक क्लब में अपनी इसी ताकत का एहसास कराएंगे। इस दिन कांशीराम के मूवमेंट से जुड़े और बसपा से उपेक्षित नेताओं को बुलाया गया है। 'मिशन बचाओ' का नारा देते हुए इंद्रजीत ने बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ सीधे मोर्चा खोल दिया है।

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पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज का कहना है कि मायावती की गलत नीतियों के विरोध में प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाया गया है। इसमें वह नेता शामिल होंगे, जो डॉ. अम्बेडकर के मूवमेंट से जुड़े रहे हैं, पर मायावती की पैसा कमाऊ नीति से नाराज हैं। उनका कहना है कि सम्मेलन में पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और बीते चुनाव में प्रत्याशी रहे नेता भी शिरकत करेंगे। बसपा मुखिया अपने पैसे की हवस में मिशन को खत्म कर रही हैं। सम्मेलन में डॉ. अम्बेडकर के मिशन को बचाने के लिए चिंतन, मंथन और आगे की रणनीति बनेगी।

खास यह है कि मायावती के किचेन कैबिनेट में शुमार रहे स्वामी प्रसाद मौर्या, नसीमुद्दीन सिद्दीकी आए दिन बसपा मुखिया के खिलाफ आग उगलते रहते हैं। ताजा तस्वीर बताती है कि अब इसमें इंद्रजीत सरोज का एक नाम और जुड़ गया है जो आगामी चुनाव में मायावती की मुश्किलें और बढ़ा सकती है।

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