केजरीवाल को टक्कर देने वाली नूपुर शर्मा ने लंदन से की है कानून की पढ़ाई

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता टीम में लगातार अपनी जगह बनाए रखने में कामयाब नूपुर शर्मा के पिता विनय शर्मा व्यवसायी हैं।

Update:2020-09-27 16:13 IST
केजरीवाल को टक्कर देने वाली नूपुर शर्मा ने लंदन से की है कानून की पढ़ाई (social media)

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता टीम में लगातार अपनी जगह बनाए रखने में कामयाब नूपुर शर्मा के पिता विनय शर्मा व्यवसायी हैं। उनके नाना मदन गोपाल महर्षि उत्तर प्रदेश सरकार के पीसीएस अधिकारी रहे। वह देहरादून में एसडीएम और एडीएम के पद पर तैनात रहे हैं और बाद में वही बस गए। नूपुर शर्मा ने दिल्ली के डीपीएस स्कूल से पढ़ाई शुरू की और 2008-09 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुनी गई।

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वकालत की उच्च शिक्षा लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से प्राप्त की है

उन्होंने वकालत की उच्च शिक्षा लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से प्राप्त की है। 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर के दौरान उन्होंने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस चुनावी समर के बाद वह भारतीय जनता पार्टी की सीढ़ियां चढ़ती गई उन्हें 2015 में ही राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बाद अब उन्हें जेपी नड्डा ने भी अपनी टीम में मौका दिया है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण वर्ष पार्टी को समर्पित कर दिए हैं। 1985 में दिल्ली में जन्म लेने वाली नूपुर शर्मा ने अपने शुरुआती पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड से पूरी की। नाना मदन गोपाल महर्षि कि तेरा दूध में तैनाती के दौरान ही शर्मा की मां रूपाली का जन्म हुआ। मां रूपाली ने दिल्ली में रहकर दो विषयों में परास्नातक की पढ़ाई की। बाद में उनका विवाह दिल्ली के व्यवसायी विनय शर्मा से हुआ।

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दिल्ली विश्व विद्यालय के हिंदू कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की है नूपुर ने

दिल्ली विश्व विद्यालय के हिंदू कॉलेज से शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही नूपुर भारतीय जनता पार्टी के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आई। परिषद नेताओं के कहने पर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जोरदार जीत हासिल की । उनकी यह जीत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता पार्टी दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण रही क्योंकि तब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी ।

छात्र राजनीति के साथ ही उन्होंने बीए अर्थशास्त्र में ऑनर्स किया और एलएलबी की शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने लंदन स्कूल आफ इस्लामिक से कानून की उच्च शिक्षा डिग्री एलएलएम हासिल की। भारत लौटने के बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लिए पूरी तरह से समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। पेशे से आज भी वह सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता हैं ।

राजनीति में बढ़ी सक्रियता

लंदन से शिक्षा ग्रहण कर वापस लौटे नूपुर शर्मा ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की गतिविधियों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी । 2015 में उन्हें पार्टी नेतृत्व में दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के सामने उतार दिया। यह वह विधानसभा चुनाव था जिसमें भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने की पूरी उम्मीद थी तब तक अमित शाह और मोदी की जोड़ी भी सक्रिय हो चुकी थी।

उन्होंने झुग्गी झोपड़ी तक जाकर मतदाताओं की समस्याओं को उभारने का काम बखूबी निभाया

आम आदमी पार्टी की लहर में नूपुर शर्मा को जीत तो नहीं हासिल हुई लेकिन उन्होंने झुग्गी झोपड़ी तक जाकर मतदाताओं की समस्याओं को उभारने का काम बखूबी निभाया। उन्हें अपनी मेहनत का फल भी मिला और पार्टी नेतृत्व ने 2015 में ही उन्हें अपनी प्रवक्ता टीम में शामिल कर लिया। टीवी पर होने वाली डिबेट में नूपुर शर्मा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर विपक्षी दलों के प्रवक्ताओं की बोलती बंद कर देने वाली मानी जाती है।

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उन्होंने पश्चिम बंगाल के चुनाव के दौरान भी ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर तीखे हमले किए

उन्होंने पश्चिम बंगाल के चुनाव के दौरान भी ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर तीखे हमले किए। उनके आक्रामक तेवर को पार्टी में पसंद किया जाता है। यही वजह है कि वह मोदी और शाह दोनों की पसंद बनी हुई है। पार्टी के नेता उन्हें भाजपा के भावी पीढ़ी की महिला नेत्री के रूप में देखना पसंद करते हैं। पार्टी के अंदर जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह करने वाली नूपुर शर्मा को सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर भी बेहद सक्रिय देखा गया है।

महिलाओं के साथ अपराध और भेदभाव वाले मामलों में उनकी मुखरता सर्वाधिक है यही वजह है कि पार्टी उन्हें प्रवक्ता के पद से हटाना फायदेमंद नहीं मान रही है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि नूपुर शर्मा के टक्कर में दूसरी महिला प्रवक्ता मिलना मुश्किल है। पार्टी उन्हें भविष्य में और बड़ी जिम्मेदारियां देने की सोच रही है।

अखिलेश तिवारी

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